आखिर क्या थी नर्स निमिषा प्रिया की गलती जिसके कारण यमन सरकार ने सुनाई मौत की सजा?
निमिषा प्रिया भारत के केरल राज्य की निवासी हैं और 2011 से यमन के सना में एक नर्स के रूप में काम कर रही हैं. उन्हें जुलाई 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था और 2018 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई.

यमन में काम कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को एक हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है और यमन के राष्ट्रपति ने इस सजा की मंजूरी दे दी है. इसके बाद, भारत सरकार निमिषा की मदद के लिए सामने आई है. सरकार ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि निमिषा को बचाने के लिए उनके परिवार को हरसंभव मदद दी जा रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार इस मामले से अवगत है और परिवार को कानूनी विकल्पों पर मदद दी जा रही है. जिसके बाद से नर्स निमिषा चर्चा में आई है तो आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं...
कौन है नर्ष निमिषा?
निमिषा प्रिया भारत के केरल राज्य की निवासी हैं और 2011 से यमन के सना में एक नर्स के रूप में काम कर रही हैं. उन्हें जुलाई 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था और 2018 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. निमिषा ने अपनी सजा के खिलाफ वर्षों तक संघर्ष किया और उनके परिवार ने उनकी रिहाई के लिए कानूनी और कूटनीतिक प्रयास किए हैं. हालांकि, हाल ही में यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने निमिषा के लिए मौत की सजा को मंजूरी दे दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, निमिषा को एक महीने के भीतर फांसी दी जा सकती है.
यमन में आखिर क्यों निमिषा को दी गई मौत की सजा?
उत्पीड़न से तंग आकर, निमिषा प्रिया ने जुलाई 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी को एक नशीला इंजेक्शन दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. निमिषा का कहना है कि उसका इरादा तलाल को मारने का नहीं था, बल्कि वह केवल तलाल के पास रखा हुआ अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थी. निमिषा की मां, प्रेमकुमार ने यमन जाकर अपनी बेटी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन यमन की निचली अदालत ने निमिषा को दोषी करार देते हुए उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई. इसके बाद, यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.
निमिषा प्रिया पर क्या है आरोप?
नर्स निमिषा प्रिया को साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी पाया गया था. उनको एक साल बाद यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. नर्स का परिवार तब से बेटी की रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है. ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्होंने यमन के सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. लेकिन साल 2023 में उसकी अपील खारिज हो गई. अब यमन के राष्ट्रपति ने भी उसकी अपील को खारिज कर दिया है. नर्स की रिहाई पीड़ित परिवार और उनके आदिवासी नेताओं से माफी हासिल करने पर निर्भर थी.