प्रणब मुखर्जी का मेमोरियल बनाकर क्या संदेश देना चाहती है बीजेपी?
भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मेमोरियल बनाने का बड़ा एलान किया है. यह राष्ट्रीय स्मृति यानी राजघाट परिसर का एक भाग है. इससे नया बवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि यह कदम दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए एक स्मारक बनाने को लेकर उठे विवाद के बाद उठाया गया है.

Pranab Mukherjee Memorial: केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मेमोरियल बनाने का बड़ा एलान किया है. यह राष्ट्रीय स्मृति यानी राजघाट परिसर का एक भाग है. इस बारे में सरकार ने मंगलवार (7 जनवरी) को जानकारी दी. इस संबंध में मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय का 1 जनवरी का पत्र पोस्ट किया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने प्रणब मुखर्जी का मेमोरियल बनाने का फैसला किया है. इससे नया बवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि यह कदम दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए एक स्मारक बनाने को लेकर उठे विवाद के बाद उठाया गया है.
केंद्र सरकार के फैसले से कांग्रेस नाराज
कांग्रेस ने हाल ही में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार ने मनमोहन सिंह के लिए दिल्ली में एक समाधि स्थल के उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सिंह के परिवार को सूचित किया था कि सरकार स्मारक के लिए जगह आवंटित करेगी. जबकि सरकार के सूत्रों ने कहा कि उसने स्मारक के लिए एकता स्थल, विजय घाट और राष्ट्रीय स्मृति स्थल में से कोई एक हो सकता है. इस पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
प्रणब मुखर्जी का बनेगा मेमोरियल
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक्स पोस्ट में लिखा कि "माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात की और बाबा के लिए स्मारक बनाने के उनकी सरकार के फैसले के लिए दिल से आभार और आभार व्यक्त किया. यह और भी अधिक सराहनीय है, क्योंकि हमने इसके लिए नहीं कहा था. पीएम के फैसले से मैं बहुत खुश और आभारी हूं. उन्होंने कहा, "बाबा कहा करते थे कि राजकीय सम्मान मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि दिया जाना चाहिए. मैं बहुत आभारी हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा की याद में ऐसा किया. इससे बाबा पर कोई असर नहीं पड़ता कि वे अब कहां हैं- प्रशंसा या आलोचना से परे. मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकती."
कांग्रेस पर क्या बोलीं शर्मिष्ठा मुखर्जी?
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था कि जब 2020 में उनके पिता की मृत्यु हुई थी, तो कांग्रेस ने पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्य समिति की बैठक नहीं बुलाई थी. उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें गुमराह किया गया था. एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा कि राष्ट्रपतियों के लिए ऐसा नहीं किया जाता. यह पूरी तरह से बकवास है, क्योंकि मुझे बाद में बाबा की डायरी से पता चला कि के.आर. नारायणन की मृत्यु पर सीडब्ल्यूसी को बुलाया गया था और शोक संदेश बाबा द्वारा ही तैयार किया गया था."