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इंडियन आर्मी की Rudra Brigades का नाम सुनकर ही सूख जाएगा दुश्‍मन का खून, कारगिल विजय दिवस पर बड़ा ऐलान

कारगिल विजय दिवस पर सेना प्रमुख ने नई ‘रुद्र’ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड का ऐलान किया है. इसमें इंफेंट्री, आर्मर्ड, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और ड्रोन यूनिट्स एकीकृत होंगे. सेना ने भैरव लाइट कमांडो, ड्रोन प्लाटून और दिव्यास्त्र बैटरियां भी शामिल की हैं. यह पहल 21वीं सदी के युद्धों के लिए भारतीय सेना को हाई-टेक और मल्टी-डोमेन ताकत में बदल देगी.

इंडियन आर्मी की Rudra Brigades का नाम सुनकर ही सूख जाएगा दुश्‍मन का खून, कारगिल विजय दिवस पर बड़ा ऐलान
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 26 July 2025 2:55 PM IST

कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने भविष्य की जंग को ध्यान में रखते हुए अपनी सबसे बड़ी रणनीतिक पहल की घोषणा की. थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को लद्दाख के द्रास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बताया कि भारतीय सेना में अब नई 'ऑल-आर्म्स ब्रिगेड' यानी ‘रुद्र ब्रिगेड’ तैयार की जा रही है. ये ब्रिगेड पारंपरिक ढांचे से बिल्कुल अलग होंगी, क्योंकि इनमें इंफेंट्री, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, आर्मर्ड यूनिट्स, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज, ड्रोन यूनिट्स और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एक ही कमांड में होंगे.

जनरल द्विवेदी ने कहा, “आज की भारतीय सेना न केवल मौजूदा चुनौतियों का सामना कर रही है, बल्कि तेजी से एक आधुनिक, तकनीक-प्रधान और फ्यूचर-ओरिएंटेड फोर्स के रूप में उभर रही है. शुक्रवार को ही मैंने ‘रुद्र ब्रिगेड’ को मंजूरी दी है.”

सिर्फ इतना ही नहीं, सेना ने सीमा पर दुश्मन को चौंकाने के लिए ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन, हर इंफेंट्री में ड्रोन प्लाटून, और आर्टिलरी में ‘दिव्यास्त्र’ बैटरियां व लोइटर म्यूनिशन बैटरियां शामिल कर दी हैं.

रुद्र ब्रिगेड क्यों खास?

भारतीय सेना का पारंपरिक ढांचा अब तक आर्म-स्पेसिफिक ब्रिगेड्स पर आधारित था, जैसे आर्टिलरी ब्रिगेड, इंफेंट्री ब्रिगेड आदि. लेकिन आधुनिक युद्ध में तेजी से बदलते हालात ने इस मॉडल को सीमित कर दिया था. रुद्र ब्रिगेड इस खामी को खत्म करेगी, क्योंकि यह एक कॉम्बाइंड, इंटीग्रेटेड फोर्स होगी. इसमें शामिल होंगे...

  • इंफेंट्री और मैकेनाइज्ड इंफेंट्री - ग्राउंड असॉल्ट के लिए
  • आर्मर्ड यूनिट्स - टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों के जरिए स्ट्राइक क्षमता
  • आर्टिलरी - लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें
  • स्पेशल फोर्सेज - हाई-रिस्क मिशन के लिए
  • अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (ड्रोन) - निगरानी और टारगेट हिट के लिए
  • लॉजिस्टिक्स और कॉम्बैट सपोर्ट - सप्लाई लाइन और हेलिकॉप्टर सपोर्ट

तकनीक का नया युग

सेना प्रमुख ने खुलासा किया कि हर इंफेंट्री बटालियन में अब ड्रोन प्लाटून होंगे. इसका मतलब है कि सीमावर्ती पोस्ट पर भी अब सैनिकों को ड्रोन से रियल-टाइम डेटा मिलेगा. आर्टिलरी में शामिल ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ और लोइटर म्यूनिशन बैटरियां दुश्मन की पोस्ट को सटीक निशाना बना सकती हैं.

भैरव कमांडो बटालियन - बॉर्डर का शॉक फोर्स

रुद्र के साथ-साथ सेना ने ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन बनाई है. इनका मकसद है - सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन को तुरंत और जोरदार जवाब देना. यह यूनिट्स हल्की, तेज और घातक होंगी, जिनका इस्तेमाल सर्जिकल स्ट्राइक्स, एंबुश ऑपरेशंस और हाइब्रिड वॉरफेयर में किया जाएगा.

क्यों जरूरी थी यह पहल?

कारगिल युद्ध ने भारतीय सेना को यह सिखाया था कि भूगोल, मौसम और सीमित संसाधनों के बावजूद जीत वही पाता है जो तेज और लचीला हो. अब चुनौतियां बदल गई हैं - ड्रोन अटैक, साइबर वॉरफेयर, मल्टी-फ्रंट खतरे और प्रॉक्सी वॉर. रुद्र ब्रिगेड इन सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा रही है.

ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ

जनरल द्विवेदी ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र भी किया. यह ऑपरेशन पाहलगाम आतंकी हमले (अप्रैल 2025) के बाद किया गया था. इसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान की आतंकी बुनियाद को सटीक प्रिसिजन स्ट्राइक्स से नेस्तनाबूद किया. इसने यह साबित कर दिया कि भारत अब आतंक को उसकी जमीन पर खत्म करने की क्षमता रखता है.

भविष्य का संकेत

दो इंफेंट्री ब्रिगेड्स को पहले ही रुद्र में बदला जा चुका है. आने वाले समय में यह कॉन्सेप्ट पूरी आर्मी में लागू होगा. इससे भारत को डॉक्ट्रिनल एडवांटेज मिलेगा - यानी युद्ध की रणनीति और मोर्चाबंदी में भारत हमेशा एक कदम आगे रहेगा.

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