Dual Stealth Drone: भारत के इस हथियार का दुनिया के पास नहीं कोई जवाब, ‘RAMA शील्ड’ ड्रोन को रखेगी दुश्मन की आंखों से ओझल
भारत दुनिया का पहला ड्यूल स्टील्थ ड्रोन तैयार कर रहा है, जो रडार और इंफ्रारेड दोनों से अदृश्य रहेगा. हैदराबाद स्थित वेरा डायनेमिक्स ने RAMA शील्ड नामक नैनो-टेक कोटिंग विकसित की है, जो डिटेक्टेबिलिटी को 97% तक घटाती है. यह ड्रोन 100 किलोग्राम वजनी होगा और 50 किग्रा पेलोड ले सकेगा. इसे 2025 के अंत तक नौसेना को सौंपा जाएगा.

भारत दुनिया को चौंकाने वाली एक नई तकनीक लेकर आ रहा है - ऐसी तकनीक जो भविष्य के युद्धों का स्वरूप बदल सकती है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए अपनी एयर डिफेंस क्षमता का लोहा मनवाने के बाद अब भारत दुनिया का पहला ड्यूल स्टील्थ ड्रोन पेश करने जा रहा है, जो न केवल हाई-रेंज राडार बल्कि इंफ्रारेड डिटेक्शन सिस्टम को भी चकमा देगा. इस प्रोजेक्ट को हैदराबाद स्थित वेरा डायनेमिक्स और बिनफोर्ड रिसर्च लैब रक्षा मंत्रालय के सहयोग से विकसित कर रहे हैं.
ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है इसकी अनोखी ‘RAMA शील्ड’ (Radar Absorption and Multispectral Adaptive Material) - एक नैनोटेक्नोलॉजी-आधारित कोटिंग, जो राडार वेव्स को सोखकर ऊर्जा को गर्मी में बदल देती है और इंफ्रारेड सिग्नेचर को 1.5°C प्रति सेकंड तक कम कर देती है. यह ड्रोन 97% तक अदृश्यता हासिल करेगा, जिससे दुश्मन के आधुनिक राडार और सेंसर भी इसे पकड़ नहीं पाएंगे.
भारतीय सेना के लिए यह तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है. अनुमान है कि यह ड्रोन 100 किलो वज़न और 50 किलो पेलोड के साथ 2025 के अंत तक नौसेना को सौंप दिया जाएगा. अभी तक अमेरिका, चीन और रूस के पास राडार-स्टील्थ ड्रोन हैं, लेकिन भारत पहला देश होगा जिसके पास ड्यूल स्टील्थ क्षमता होगी.
भारत की नई गेम-चेंजर रक्षा ताकत
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए अपनी एयर डिफेंस क्षमता का प्रदर्शन करने के बाद भारत अब एक और क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है. हैदराबाद स्थित वेरा डायनेमिक्स (Vera Dynamics) और बिनफोर्ड रिसर्च लैब (Binford Research Lab) के सहयोग से भारत दुनिया का पहला ऐसा ड्यूल स्टील्थ ड्रोन विकसित कर रहा है, जो न केवल हाई-रेंज रडार बल्कि इंफ्रारेड डिटेक्शन सिस्टम्स को भी चकमा दे सकेगा.
कंपनी के सीईओ साई तेजा के अनुसार, इस ड्रोन में एक विशेष इंडिजिनस स्टील्थ कोटिंग लगाई जाएगी, जिसका नाम है RAMA - यानी Radar Absorption and Multispectral Adaptive material. यह तकनीक भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक नया युग लाने वाली है.
‘RAMA’ शील्ड क्यों है गेम-चेंजर?
RAMA असल में एक नैनोटेक्नोलॉजी आधारित स्टील्थ कोटिंग है, जिसे वेरा डायनेमिक्स ने तैयार किया है. इसकी खासियत यह है कि यह ड्रोन की रडार और इंफ्रारेड सिग्नेचर को 97% तक कम कर देती है. यह कोटिंग पेंट या रैप के रूप में लगाई जाती है.
कैसे काम करता है RAMA?
- इसमें कार्बन-बेस्ड कंपाउंड्स का इस्तेमाल किया गया है.
- यह रडार वेव्स को एब्जॉर्ब कर हीट में बदल देता है, जिससे ड्रोन रडार से लगभग अदृश्य हो जाता है.
- साथ ही, यह थर्मल सिग्नेचर को 1.5°C प्रति सेकंड तक कम करता है, जिससे इंफ्रारेड सेंसर भी ड्रोन को पकड़ नहीं पाते.
इस तकनीक से भारत ऐसा पहला देश बनेगा, जिसके पास ड्यूल स्टील्थ क्षमता वाला ड्रोन होगा. फिलहाल, अमेरिका, चीन और रूस के पास स्टील्थ ड्रोन हैं, लेकिन वे सिर्फ रडार इवेजन तक सीमित हैं.
ड्रोन की तकनीकी विशेषताएं
- वजन: 100 किलोग्राम
- पेलोड कैपेसिटी: 50 किलोग्राम
- फोकस: सटीक स्ट्राइक मिशन और इंटेलिजेंस ऑपरेशंस
- डिलीवरी टाइमलाइन: 2025 के अंत तक भारतीय नौसेना को पहला बैच सौंपने का लक्ष्य
सैन्य रणनीति पर बड़ा असर
अभी तक पारंपरिक ड्रोन हमलों में केवल 25–30% ड्रोन ही लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं क्योंकि वे रडार या थर्मल डिटेक्शन से बच नहीं पाते. लेकिन RAMA शील्ड से लैस ड्रोन की सफलता दर 80–85% तक बढ़ जाएगी. इससे भारतीय सेनाओं को लंबी दूरी पर सर्जिकल स्ट्राइक, डिप-सी मिशन और बॉर्डर ऑपरेशंस में बढ़त मिलेगी.
भारत का डिफेंस ब्लूप्रिंट: 21वीं सदी की टेक्नोलॉजी में छलांग
भारत का लक्ष्य स्पष्ट है - स्वदेशी डिफेंस इनोवेशन के दम पर दुनिया की सैन्य ताकतों में शीर्ष स्थान हासिल करना. स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लेकर सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम तक, भारत ने अपने रिसर्च और इंडस्ट्री को जोड़ते हुए नए मील के पत्थर तय किए हैं. RAMA शील्ड के साथ आने वाला ड्रोन न केवल भारतीय सेना को बढ़त देगा, बल्कि भारत को हाई-एंड डिफेंस एक्सपोर्ट मार्केट में भी मजबूत करेगा.