Begin typing your search...

ब्रह्मोस की मार भूला नहीं होगा पाकिस्‍तान, भारत ले आया उससे भी तेज ET-LDHCM क्रूज मिसाइल; चीन का भी सूख जाएगा गला

भारत ने ET-LDHCM हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जो Mach 8 (11,000 किमी/घंटा) की रफ्तार और 1,500 किमी रेंज के साथ ब्रह्मोस से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. DRDO द्वारा ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत विकसित यह स्क्रैमजेट इंजन आधारित मिसाइल दुश्मन को मिनटों में निशाना बना सकती है. इसकी क्षमता चीन-पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती और भारत के लिए इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक बढ़त साबित होगी.

ब्रह्मोस की मार भूला नहीं होगा पाकिस्‍तान, भारत ले आया उससे भी तेज ET-LDHCM क्रूज मिसाइल; चीन का भी सूख जाएगा गला
X
( Image Source:  Meta AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 16 July 2025 12:05 PM

भारत ने वैश्विक रक्षा संतुलन को झकझोर देने वाली छलांग लगाई है. ब्रह्मोस की ताकत पर भरोसा करने वाला भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल युग में प्रवेश कर चुका है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में ऐसी मिसाइल का सफल परीक्षण किया है जो न सिर्फ ध्वनि से 8 गुना तेज (Mach 8) है बल्कि 1,500 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त कर सकती है.

इस मिसाइल का नाम है Extended Trajectory Long Duration Hypersonic Cruise Missile (ET-LDHCM), जिसे ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत तैयार किया गया है. यह वही टेक्नोलॉजी है जिसने रूस, चीन और अमेरिका जैसे महाशक्तियों को सुपरपावर बनाए रखा. अब भारत भी उसी क्लब में शामिल होने की कगार पर है.

मिसाइल का यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब इजरायल-ईरान विवाद, भारत-पाक तनाव और चीन का इंडो-पैसिफिक में दबदबा पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण है. तुर्की और पाकिस्तान की नजदीकी भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियों को और बढ़ा रही है. ऐसे में यह परीक्षण भारत की डिटरेंस स्ट्रैटेजी को नई धार देता है.

हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है और क्यों गेम चेंजर है?

  • हाइपरसोनिक हथियार वे होते हैं जो Mach 5 (ध्वनि की गति से 5 गुना) या उससे ज्यादा स्पीड से उड़ते हैं
  • क्रूज हाइपरसोनिक मिसाइल: विमान की तरह हवा में उड़ती हैं, स्क्रैमजेट इंजन से चलती हैं
  • ग्लाइड व्हीकल: रॉकेट से लॉन्च होकर ऊपरी वायुमंडल में ग्लाइड करती हैं

इनकी सबसे बड़ी खासियतें

  • बेहद तेज़ - दुश्मन के पास प्रतिक्रिया का समय नहीं
  • रडार से बचने की क्षमता - लो-लेवल फ्लाइट
  • मिड-फ्लाइट मैन्युवर - एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा
  • ET-LDHCM: नाम और तकनीक
  • फुल फॉर्म: Extended Trajectory Long Duration Hypersonic Cruise Missile
  • इंजन: स्क्रैमजेट (Air-Breathing)
  • स्पीड: Mach 8 (11,000 किमी/घंटा)
  • रेंज: 1,500 किमी
  • वारहेड: 1,000 से 2,000 किलोग्राम (कन्वेंशनल + न्यूक्लियर)
  • प्लेटफॉर्म: लैंड, सी, एयर लॉन्च

टेक्नोलॉजी

  • स्क्रैमजेट इंजन - ऑक्सीजन वातावरण से लेता है, जिससे वजन कम
  • हीट-रेसिस्टेंट कोटिंग - 2,000°C तक सहने की क्षमता
  • स्टील्थ डिजाइन - रडार को चकमा

ब्रह्मोस से तुलना - कितना आगे है ET-LDHCM?

फीचर

ब्रह्मोस

ET-LDHCM

स्पीड

Mach 3

Mach 8

रेंज

450 किमी

1,500 किमी

इंजन

रैमजेट

स्क्रैमजेट

वारहेड

200-300 KG

1,000-2,000 KG

स्पीड + रेंज का ये कॉम्बिनेशन भारत को मिनिट्स में स्ट्राइक करने की क्षमता देता है, जो ब्रह्मोस में नहीं है.

Imgae Source: Meta AI

प्रोजेक्ट विष्णु: भारत का हाइपरसोनिक सपना

भारत का हाइपरसोनिक सपना ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत साकार हो रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इस प्रोजेक्ट को खास तौर पर डिजाइन किया है ताकि भारत सिर्फ ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्षमताओं तक सीमित न रहे, बल्कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में भी दुनिया की बड़ी शक्तियों के बराबर खड़ा हो सके. प्रोजेक्ट में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक, एयर-ब्रीदिंग इंजन डिज़ाइन, और अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर रेसिस्टेंट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है. यह मिसाइल भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक हथियार दौड़ में रणनीतिक बढ़त भी देती है.

भारत बनाम चीन: हाइपरसोनिक रेस

दुनिया में हाइपरसोनिक हथियारों की रेस बहुत तेज़ है. चीन के पास पहले से DF-17 जैसी हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल तकनीक मौजूद है, जबकि रूस ने Avangard और Kinzhal जैसे हथियारों से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. अमेरिका भी इस दौड़ में अरबों डॉलर झोंक रहा है. भारत का ET-LDHCM इस रेस में एंट्री का संकेत है. खास बात यह है कि भारत की इस तकनीक के आने से इंडो-पैसिफिक में शक्ति संतुलन बदल सकता है, जहां चीन लगातार अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान पर दबाव, इंडो-पैसिफिक में बढ़त

भारत की यह मिसाइल सिर्फ चीन ही नहीं, पाकिस्तान के लिए भी चुनौती है. फिलहाल पाकिस्तान के पास हाइपरसोनिक तकनीक नहीं है, और उसकी मौजूदा मिसाइलें भारत के आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने में सक्षम नहीं. ET-LDHCM के आने से भारत के पास कुछ ही मिनटों में किसी भी महत्वपूर्ण लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता होगी. इससे पाकिस्तान की पारंपरिक डिटरेंस स्ट्रैटेजी कमजोर पड़ेगी. इसके अलावा, हिंद महासागर और इंडो-पैसिफिक में भारत की नेवल स्ट्राइक क्षमता और बढ़ेगी, जो चीन की नेवी के लिए भी सिरदर्द बनेगी.

सिर्फ हथियार नहीं, टेक्नोलॉजी क्रांति

ET-LDHCM केवल युद्ध के लिए नहीं, बल्कि तकनीकी क्रांति का प्रतीक है. हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग अंतरिक्ष अनुसंधान और रॉकेट लॉन्च सिस्टम में किया जा सकता है. यह आपदा प्रबंधन के दौरान त्वरित आपूर्ति जैसी सिविलियन जरूरतों को भी पूरा कर सकती है. सबसे महत्वपूर्ण बात, इस प्रोजेक्ट से भारत की रक्षा निर्माण क्षमता बढ़ेगी, घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

सफलता का रास्ता आसान नहीं

हालांकि, यह यात्रा आसान नहीं है. हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए स्थिरता और नियंत्रण बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है. 2,000°C तक की अत्यधिक गर्मी को सहन करने के लिए विशेष हीट-रेसिस्टेंट मटेरियल की जरूरत होती है. इसके अलावा, मिसाइल का मिड-फ्लाइट मैन्युवर इसे बेहद जटिल बना देता है. इसके साथ ही भारत को एंटी-हाइपरसोनिक डिफेंस सिस्टम पर भी काम करना होगा ताकि भविष्य में अगर दुश्मन ऐसी तकनीक लेकर आए, तो भारत तैयार रहे.

ET-LDHCM का सफल परीक्षण भारत के लिए नई शुरुआत है. अब फोकस सीरियल प्रोडक्शन, डिप्लॉयमेंट और अगली पीढ़ी की मिसाइलों पर होगा. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में भारत एंटी-शिप हाइपरसोनिक मिसाइल, डेडिकेटेड लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक प्लेटफॉर्म और स्पेस टेक्नोलॉजी में भी इस तकनीक का इस्तेमाल करेगा. अगर भारत यह कदम तेजी से उठाता है, तो अगले एक दशक में वह हाइपरसोनिक क्लब में मजबूत जगह बना सकता है.

डिफेंस न्‍यूज
अगला लेख