JPC क्या है, अब तक किन-किन बिलों को जेपीसी के पास भेजा गया है? जानें पूरी डिटेल
Joint Parliamentary Committee: केंद्र सरकार 16 दिसंबर को वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में पेश कर सकती है. विधि व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को पेश करेंगे. माना जा रहा है कि बिल को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजा जा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जेपीसी क्या है, बिल को जेपीसी के पास क्यों भेजा जाएगा और अब तक किन-किन मामलों को जेपीसी के पास भेजा गया है. आइए इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं...

What Is JPC: केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन की तरफ तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं. केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार (16 दिसंबर) को लोकसभा में 'संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024' पेश करेंगे. पहला संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए तथा दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबधित है. बिल को पहले चर्चा और आम सहमति के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा. जेपीसी सभी दलों के नेताओं के साथ चर्चा करेगी. उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा.
इसके अलावा, मेघवाल संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक 2024 भी पेश करेगे, ताकि संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में और संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किया जा सके. आइए, जेपीसी के बारे में जानते हैं...
क्या है जेपीसी?
जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति संसद द्वारा गठित एक प्रकार तदर्थ यानी अस्थायी समिति है. जेपीसी का गठन किसी खास मामले की जांच करने और प्रतिवेदन देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा द्वारा समय-समय पर किया जाता है. अभी हाल में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के लिए जेपीसी का गठन किया गया है. इसमें कुल 31 सदस्य हैं, जिसमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं.
दरअसल, संसद में काम ज्यादा और समय कम होता है. ऐसे में संसद में सभी बिलों और रिपोर्टों की जांच नहीं हो पाती. ऐसे में अलग-अलग विधेयकों , मुद्दों और संसद में पेश की गई रिपोर्टों की जांच और उनके परीक्षण के लिए अलग-अलग समिति का गठन किया जाता है.
जेपीसी के सदस्य कौन-कौन हैं?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की समीक्षा के लिए 31 सदस्यों की जेपीसी बनाई गई है. इसमें लोकसभा से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, कल्याण बनर्जी, ए राजा, लावु श्री कृष्ण देवरायलू, दिलेश्वर कामैत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत म्हस्के, अरुण भारती और असदुद्दीन औवेसी शामिल हैं.
राज्यसभा से बृज लाल, डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, सैयद नसीर हुसैन, मोहम्मद नदीम उल हक, वी विजयसाई रेड्डी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े जेपीसी के सदस्य बनाए गए हैं. जेपीसी के सदस्यों के नाम लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्तावित की जाती है. इसके बाद प्रस्ताव पारित होता है. प्रस्ताव को दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद जेपीसी का गठन होता है. जेपीसी निश्चित अवधि के लिए गठित की जाती है.
जेपीसी का गठन क्यों किया जाता है?
जेपीसी का गठन विधेयक की जांच या वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए किया जाता है. जेपीसी में दोनों सदनों के सदस्य होते हैं. हालांकि, सदस्यों की संख्या अनिश्चित है. अगर जेपीसी के सामने कोई व्यक्ति समन देने के बावजूद पेश नहीं होता है तो उसे सदन की अवमानना माना जाएगा. जेपीसी लिखित या मौखिक या फिर दोनों जवाब मांग सकती है.
कैसे होता है जेपीसी का गठन?
जेपीसी में अनेक दलों के सदस्य शामिल होते हैं. समिति में अलग-अलग दलों से चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके अनुपात के आधार पर चुना जाता है. इसका मतलब यह है कि संसद में जिस दल के ज्यादा सदस्य होते हैं, उसको ज्यादा प्रतिनिधि मिलते हैं. हालांकि, जेपीसी की रिपोर्ट कुछ सवालों और विवादों से घिरी रहती है. फिर भी सरकार उसकी सिफारिश को बहुत महत्वपूर्ण मानती है. जेपीसी किसी मुद्दे की बारीकी से छानबीन करती है.
जेपीसी का गठन सबसे पहले कब हुआ?
जेपीसी का गठन सबसे पहले 1987 में राजीव गांधी सरकार पर लगे बोफोर्स तोप खरीद घोटाला के आरोपों की जांच के लिए किया गया था. स्वीडन के रेडियो ने इसका सबसे पहले खुलासा किया था. इसमें राजीव गांधी के करीबी ओतावियो क्वात्रोची का नाम सामने आया था. कहा जाता है कि 400 बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डॉलर में किया गया था.
इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस नेता बी. शंकरानंद ने की थी. इसका घटन 6 अगस्त को तत्कालीन रक्षा मंत्री केसी पंत के द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर किया गया था. समिति ने 50 बैठकें की और 26 अप्रैल 1988 को अपनी रिपोर्ट पेश की. हालांकि, विपक्ष ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया.
अब तक किन-किन मामलों में बनी जेपीसी?
- बैंकिंग लेन-देन में अनियमितता, 1992: दूसरी जेपीसी का गठन अगस्त 1992 में किया गया था. उस समय पीवी नरसिम्हा राव सरकार पर सुरक्षा मामलों और बैंकिंग लेन-देन में अनियमितता का आरोप लगा था. इसकी अध्यक्षता कांग्रेस नेता राम निवास मिर्धा ने की थी. इस जेपीसी की सिफारिशों न तो पूरी तरह से स्वीकार किया गया और न ही लागू किया गया.
- केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला, 2001: केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाले की जांच करने के लिए तीसरी जेपीसी का गठन अप्रैल 2001 में किया गया.जेपीसी ने 105 बैठकें करने के बाद 19 दिसंबर 2002 को अपनी रिपोर्ट दी और शेयर मार्केट के नियमों में बदलाव की सिफारिश की.
- शीतल पेय कीटनाशक मुद्दा (2003): चौथी जेपीसी का गठन अगस्त 2003 में किया गया था. इसका उद्देश्य शीतल पेय, फलों के रस,अन्य पेय पदार्थों और आवश्यक वस्तुओं में कीटनाशकों के अवशेषों की जांच करना और सुरक्षा मानक निर्धारित करना था. इसकी अध्यक्षता एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने की थी. संयुक्त संसदीय समिति ने 17 बैठकें कीं और 4 फरवरी 2004 को अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपी. रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई कि शीतल पेय पदार्थों में कीटनाशक अवशेष हैं. जेपीसी ने पीने के पानी के लिए कड़े मानदंडों की सिफारिश की. इस समिति ने भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय के बारे में एक सिफारिश की थी, जिसे संसद और सरकार ने स्वीकार किया था. इसने सिफारिश की थी कि भारतीय मानक ब्यूरो का नेतृत्व एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक को करना चाहिए, लेकिन 20 साल बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
- 2जी स्पेक्ट्रम मामला (2011): पाचंवीं जेपीसी का गठन फरवरी 2011 में 2जी मामले की जांच के लिए किया गया था, जिसके अध्यक्ष पीसी चाको थे. इसमें 30 सदस्य थे. दरअसल. 2010 में आई कैग की एक रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे. इसमें कहा गया था कि सरकार को 176000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
- वीवीआईपी चॉपर घोटाला (2013): छठी बार 27 फरवरी, 2013 को वीवीआईपी चॉपर घोटाले की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया गया. रक्षा मंत्रालय द्वारा मेसर्स अगस्ता वेस्टलैंड के साथ भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए 2010 में किए गए 3600 करोड़ रुपये के करार को केंद्र ने जनवरी 2014 में रद्द कर दिया. इस करार में 160 करोड़ रुपये कमीशन का भुगतान करने का आरोप लगाया गया था. जेपीसी में राज्यसभा से 10 और लोक सभा से 20 सदस्य थे.
नागरिता संशोधन विधेयक 2016
इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण पुनर्वास बिल 2015, नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (2019) को लेकर भी जेपीसी का गठन किया गया था. नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को लेकर गठित जेपीसी ने देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उन्हें वापस भेजने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता जाहिर की थी.
समिति ने सरकार से तत्काल जरूरी कदम उठाने के लिए कहा था. समिति ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं, जो देशविरोधी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक गतिविधियों में लिप्त हैं. नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 लोकसभा में 19 जुलाई को पेश किया गया था. इसके बाद 11 अगस्त को इस विधेयक को जेपीसी को सौंपे जाने का प्रस्ताव तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया. राज्यसभा ने इस प्रस्ताव पर 12 अगस्त 2016 को सहमति दे दी.