Begin typing your search...

चीन से बांग्लादेश की करीबी कर रही भारत को परेशान! क्या है BIMSTEC, जिसमें शामिल होने के लिए बैंकॉक पहुंचे PM मोदी?

बिम्सटेक (BIMSTEC) बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के सात देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जो व्यापार, निवेश, सुरक्षा, कनेक्टिविटी, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है. इसकी स्थापना 1997 में बैंकॉक घोषणा के तहत हुई थी. भारत के लिए यह संगठन Act East Policy, SAGAR नीति और भारत-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है, जिससे यह चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है.

चीन से बांग्लादेश की करीबी कर रही भारत को परेशान! क्या है BIMSTEC, जिसमें शामिल होने के लिए बैंकॉक पहुंचे PM मोदी?
X
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 3 April 2025 3:50 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को थाईलैंड पहुंचे, जहां वे BIMSTEC शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस दौरान वे थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनवात्रा और राजा महा वजिरालोंगकोर्न के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. यह शिखर सम्मेलन बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा.

भारत, जो इस संगठन का एक प्रमुख सदस्य है, क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैंकॉक में आयोजित 20वीं BIMSTEC मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया. उन्होंने इस क्षेत्र के साझा हितों और रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि BIMSTEC को यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाने, ठोस नींव तैयार करने और भविष्य की संभावनाओं को लेकर आशावादी रहने की आवश्यकता है.

क्या है BIMSTEC?

बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC) एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें बंगाल की खाड़ी से सटे सात देश शामिल है. इसकी स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के तहत हुई थी. शुरुआत में इसे BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में म्यांमार, नेपाल और भूटान के जुड़ने से इसका नाम बदलकर BIMSTEC कर दिया गया. इस संगठन का उद्देश्य व्यापार, निवेश, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा देना है.

ढाका में है सचिवालय

1997 में म्यांमार और 2004 में भूटान व नेपाल के शामिल होने के बाद, बिम्सटेक एक मजबूत क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरा. 2014 में बिम्सटेक की तीसरी शिखर बैठक के बाद, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इसका सचिवालय स्थापित किया गया. यह संगठन व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और मत्स्य उद्योग में सहयोग के अलावा, कृषि, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद विरोधी प्रयासों, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है. भारत ने हमेशा बिम्सटेक को अपनी नेबरहुड फर्स्ट, एक्ट ईस्ट और सागरमाला नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना है.

बांग्लादेश होगा अगला अध्यक्ष

मौजूदा समय में BIMSTEC में 1.67 बिलियन की जनसंख्या और 2.88 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी शामिल है. क्षेत्रीय व्यापार की बात करें तो यह 2000 में 5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 60 बिलियन डॉलर हो चुका है. हालांकि, एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अभी भी अधूरी है, जो इस समूह के आर्थिक विकास में एक बड़ी बाधा बनी हुई है. BIMSTEC की अध्यक्षता सदस्य देशों के Alphabetical Order में घूमती रहती है. 2022 से थाईलैंड अध्यक्षता संभाले हुए है और अगला अध्यक्ष बांग्लादेश होगा.

भारत को है BIMSTEC से उम्मीद

चीन द्वारा हिंद महासागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने और Belt and Road Initiative (BRI) के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के कारण भारत के लिए BIMSTEC रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया है. दक्षिण एशिया में SAARC की निष्क्रियता और पाकिस्तान की चीनी प्रभाव में बढ़ती भागीदारी को देखते हुए, भारत BIMSTEC को एक मजबूत क्षेत्रीय मंच के रूप में उभारना चाहता है. भारत के लिए यह संगठन Act East Policy, Neighborhood First Policy और सागर (SAGAR) नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक है.

BIMSTEC के लिए क्या है नई चुनौतियां?

बांग्लादेश, जो अगले BIMSTEC अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने वाला है. कुछ नई चुनौतियां पेश कर सकता है. हाल ही में, प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख नियुक्त किए गए मुहम्मद यूनुस ने 2026 तक राष्ट्रीय चुनाव टालने की संभावना जताई है. ढाका स्थित BIMSTEC सचिवालय को पूर्व की बांग्लादेशी सरकारों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन अब नई सरकार की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं. बांग्लादेश और चीन की बढ़ती निकटता से भारत और अन्य सदस्य देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं.

विदेश मंत्री ने क्या कहा?

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने BIMSTEC की भारत-प्रशांत रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र संगठन के लिए कनेक्टिविटी केंद्र के रूप में उभर रहा है. भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाला आईएमटी त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT Trilateral Highway) इस क्षेत्र को प्रशांत महासागर तक पहुंच प्रदान करेगा, जिससे व्यापार और आर्थिक विकास को गति मिलेगी.

भविष्य में क्या है संभावनाएं?

BIMSTEC सिर्फ एक आर्थिक संगठन नहीं, बल्कि सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और आतंकवाद विरोधी सहयोग का भी एक मंच बन चुका है. चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत करने के लिए इस संगठन का प्रभावी रूप से संचालन आवश्यक है. आने वाले वर्षों में, यदि BIMSTEC एक ठोस मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने और क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक संगठन के रूप में उभर सकता है.



नरेंद्र मोदी
अगला लेख