Begin typing your search...

लापरवाही से वाहन चलाकर जान गंवाने वालों को नहीं मिलेगा बीमा क्लेम, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी ड्राइवर की मौत उसकी खुद की लापरवाही, जैसे तेज रफ्तार या ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से होती है, तो बीमा कंपनी उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है. यह फैसला कर्नाटक में हुए एक हादसे के मामले में आया, जिसमें ड्राइवर की गलती से वाहन पलटा और उसकी मौत हो गई थी. कोर्ट ने इसे बीमा पॉलिसी की सीमा से बाहर माना.

लापरवाही से वाहन चलाकर जान गंवाने वालों को नहीं मिलेगा बीमा क्लेम, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
X
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 3 July 2025 12:36 PM IST

सड़क हादसों में मुआवजा दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम और दूरगामी प्रभाव वाला फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि किसी ड्राइवर की मौत उसकी ही लापरवाही और तेज़ रफ्तार में वाहन चलाने की वजह से होती है, तो बीमा कंपनी मृतक के परिवार को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है.

यह मामला कर्नाटक का है, जहां रविश नामक व्यक्ति अपनी Fiat Linea कार से मल्लसंद्र गांव से अर्सिकेरे टाउन की ओर जा रहा था. कार में उसके पिता, बहन और उनके बच्चे भी सवार थे. रास्ते में मायलानहल्ली गेट के पास तेज़ रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते रविश ने वाहन पर नियंत्रण खो दिया और कार पलट गई। रविश की मौके पर ही मौत हो गई.

परिवार ने दावा किया कि रविश पेशे से ठेकेदार था और 3 लाख रुपये प्रति माह कमाता था. उन्होंने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 80 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की. हालांकि, पुलिस चार्जशीट में रविश को ही हादसे का जिम्मेदार बताया गया.

ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के फैसले

मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) ने मुआवजे की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी 23 नवंबर 2024 को याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट ने कहा कि यदि दुर्घटना पूरी तरह से बीमित व्यक्ति की गलती से हुई हो, तो बीमा कंपनी को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, "अगर किसी ड्राइवर की मौत केवल उसकी ही गलती के कारण होती है और किसी बाहरी तत्व या तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होती, तो बीमा कंपनी को मुआवजा देने की जिम्मेदारी नहीं है." यह फैसला इस बात पर भी जोर देता है कि बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी केवल उन्हीं मामलों में बनती है, जहां दुर्घटना में तीसरे पक्ष की भूमिका हो या ड्राइवर की गलती न हो.

इस फैसले का महत्व

यह फैसला उन मामलों में मार्गदर्शन देगा जहां बीमा कंपनियों को केवल भावनात्मक या आर्थिक सहानुभूति के आधार पर मुआवजा देने के लिए दबाव बनाया जाता है. अब यह स्पष्ट हो गया है कि बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी बीमा शर्तों और कानूनी दायरे के अनुसार तय की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट
अगला लेख