तेंदुए के दांत वाले पेंडेट की जांच शुरू होने से बढ़ी सुरेश गोपी की मुश्किलें, 7 साल तक की सजा का है प्रावधान, क्या है नियम?
Suresh Gopi News: केंद्रीय मंत्री और एक्टर सुरेश गोपी के गले में दिखे तेंदुए के दांत वाले पेंडेंट की तस्वीर ने केरल में विवाद खड़ा कर दिया है. वाइल्डलाइफ एक्ट के अनुसार ऐसा करना गैरकानूनी है. अब इस मामले की जांच शुरू हो गई है और अगर यह दांत असली पाए गए तो सुरेश गोपी को 7 साल तक की जेल हो सकती है।

केरल से बीजेपी सांसद, केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी गले में तेंदुए के दांत वाला एक लॉकेट पहनने से विवादों में आ गए हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होने से बवाल मच गया था. यह मामला इतना बढ़ा गया कि खुद वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को इसकी जांच शुरू करनी पड़ी है. शिकायतकर्ता का कहना है कि केंद्रीय मंत्री द्वारा तेंदुए के दांत वाला पेंडेंड पहनना सीधे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आता है. जिसमें 7 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या यह लॉकेट कानून तोड़ता है? अगर हां तो क्या सुरेश गोपी पर इसकी गाज गिरेगी?
अब केरल वन विभाग ने उन आरोपों की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है जिनमें कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी ने एक ऐसा पेंडेंट पहना था, जिसमें तेंदुए का दांत होने का संदेह है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित वस्तु है. इसकी शिकायत पुलिस ने INTUC युवा शाखा के नेता एए मोहम्मद हाशिम ने थी. अब इस मामले में 21 जुलाई को पट्टिक्कड़ रेंज के वन अधिकारी ने उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है.
दरअसल, एए मोहम्मद हाशिम कहा था कि केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी ने एक ऐसा हार पहना था, जिसमें तेंदुए का दांत होने का संदेह है. जबकि यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित वस्तु है. मोहम्मद हाशिम इसको लेकर 29 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी.
सुरेश गोपी पर लगाए गंभीर आरोप
एए मोहम्मद हाशिम ने दावा किया है कि उनके पास दृश्य प्रमाण हैं और उन्होंने शुरुआत में राज्य पुलिस प्रमुख को शिकायत सौंपी थी, जिन्होंने बाद में इसे वन विभाग को भेज दिया. हाशिम कर अरोप है कि मंत्री का कथित कृत्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करता है, जिसके तहत तेंदुओं को अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है, जो उन्हें सर्वोच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है और उनके शरीर के किसी भी अंग को रखने पर प्रतिबंध लगाता है.
इस साल की शुरुआत में राज्य पुलिस प्रमुख को हाशिम की औपचारिक शिकायत के बाद गोपी द्वारा तेंदुए के दांत या पंजों जैसा दिखने वाला पेंडेंट पहने हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं. हाशिम ने अपनी शिकायत में बताया था कि यह घटना 13 जून 2024 को गोपी के कन्नूर स्थित मामानिक्कुन्नू मंदिर के दर्शन के दौरान हुई थी. उन्होंने कहा, "बाद में त्रिशूर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्हें वही पेंडेंट पहने देखा. हमने उसी समय इसके सबूत राज्य पुलिस प्रमुख को सौंप दिए हैं."
हाशिम का आरोप है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम कड़ा है. अभी तक कोई मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? क्या केंद्रीय मंत्रियों के लिए कोई अलग कानून है? हाशिम ने आगे कहा कि हालांकि, उन्होंने सीधे वन विभाग से संपर्क नहीं किया था, लेकिन पुलिस को उनकी शिकायत के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए थी.
अधिनियम का उल्लंघन करने पर ये है सजा का प्रावधान
भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए "वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 लागू किया गया था. इसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है. इसका मकसद विलुप्त हो रहे जीवों की रक्षा करना है. इसका उल्लंघन करने पर दो स्तरों पर सजा का प्रावधान है.
अधिनियम की धारा 9 और 39 का उल्लंघन
यदि कोई व्यक्ति किसी संरक्षित वन्यजीव का शिकार करता है, उसे मारता है, फंसाता है, या उसका अंग-प्रत्यंग रखता या बेचता है या ऐसे उत्पाद पहनता तो पहली बार अपराध करने पर 3 साल तक की जेल या जुर्माना और 25 हजार रुपये आर्थिक दंड का प्रावधान है. दूसरी बार अपराध करने पर 6 साल तक की जेल की सजा या अधिक जुर्माना या दोनों हो सकता है.
अधिनियम की अनुसूची-1 का उल्लंघन
अधिनियम की अनुसूची-1 का उल्लंघन ज्यादा गंभीर अपराध माना जाता है. इस नियम के तहत न्यूनतम 3 साल की सजा अनिवार्य है, जो बढ़कर 7 साल तक हो सकती है. न्यूनतम जुर्माना 10 हजार रुपये है. यह एक गैर-जमानती अपराध है. बता दें कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन करना एक गंभीर अपराध है. सरकार ने इस कानून को कठोर इसलिए बनाया है क्योंकि भारत जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है. यदि इस जैव विविधता को संरक्षित नहीं किया गया, तो कई प्रजातियां जल्द ही विलुप्त हो सकती हैं.