दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने के आदेश पर रोक लगेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट आज उस अहम मामले पर फैसला सुनाएगा जिसमें 8 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई है. इस आदेश में दिल्ली और एनसीआर (नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद) के सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ़्तों में पकड़कर शेल्टर में रखने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट की तीन जजों की बेंच यह तय करेगी कि आदेश को बरकरार रखा जाए, बदला जाए या पूरी तरह रोका जाए.
Supreme Court stray dogs order: सुप्रीम कोर्ट आज (22 अगस्त) को उस अहम फैसले पर अपना आदेश सुनाएगा, जिसमें 8 अगस्त को पारित निर्देशों के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं. उस आदेश में दिल्ली और एनसीआर (नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद) के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में रखने और दोबारा सड़कों पर न छोड़ने का निर्देश दिया गया था.
यह मामला अब न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ (न्यायमूर्ति संदीप मेहता और एनवी अंजरिया के साथ) के पास है, जो तय करेगी कि 8 अगस्त का आदेश पूरी तरह से निलंबित होगा, उसमें संशोधन होगा या फिर वह जस का तस लागू रहेगा.
8 अगस्त को पारित आदेश में क्या कहा गया था?
8 अगस्त को पारित आदेश में दिल्ली नगर निगम और एनसीआर की स्थानीय एजेंसियों को आठ सप्ताह में 5,000 क्षमता वाले शेल्टर बनाने और सभी आवारा कुत्तों को वहाँ रखने का निर्देश दिया गया था. 11 अगस्त को लिखित आदेश जारी कर कुत्तों की देखभाल और भलाई के लिए कुछ सुरक्षा उपाय भी जोड़े गए थे, लेकिन यह आदेश शुरू से ही विवादों में रहा.
कई एनजीओ और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने दलील दी कि यह Prevention of Cruelty to Animals Act और Animal Birth Control (ABC) Rules के खिलाफ है. उनका कहना था कि कानून के मुताबिक कुत्तों का नसबंदी और टीकाकरण कर उन्हें उसी इलाके में छोड़ा जाना चाहिए, न कि बड़े पैमाने पर शेल्टर में बंद किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को फटकार लगाई कि उन्होंने खुद कानून बनाए, लेकिन उन्हें लागू करने में नाकाम रहे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से दलील दी कि लगातार हो रहे डॉग बाइट्स और बच्चों पर हमले 'चौंकाने वाले' हैं, इसलिए सार्वजनिक सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कुत्तों को मारा नहीं जाना चाहिए, लेकिन उन्हें सुरक्षित रूप से अलग करना और मानवीय तरीके से ट्रीट करना आवश्यक है.
वहीं, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा जैसे वरिष्ठ वकीलों ने एनजीओ की ओर से कहा कि पर्याप्त और निरीक्षित सुविधाओं के बिना यह अभियान कुत्तों के साथ क्रूरता साबित होगा. उन्होंने संसद में रखे सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हाल के वर्षों में दिल्ली में डॉग बाइट से किसी की मौत दर्ज नहीं हुई है.
छह साल की बच्ची की रेबीज से मौत के बाद मामले ने पकड़ा तूल
यह पूरा मामला उस समय उठ खड़ा हुआ जब एक छह साल की बच्ची की कुत्ते के काटने के बाद रेबीज़ से मौत हो गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे को स्वतः संज्ञान में लिया और स्थानीय एजेंसियों की लापरवाही पर सवाल उठाए. अब देशभर की निगाहें शुक्रवार को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि दिल्ली और एनसीआर में आवारा कुत्तों के लिए भविष्य की नीति क्या होगी.





