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सर्विस नहीं तो टोल क्यों? केरल हाईवे जाम पर सुप्रीम कोर्ट की NHAI को फटकार, कहा - जनता के...

Supreme Court NHAI: केरल के एक नेशनल हाईवे पर घंटों चले ट्रैफिक जाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को कड़ी फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि जब गाड़ियां रुक-रुक कर चल रही हैं और यात्रियों को बुनियादी सर्विस नहीं मिल रही तो फिर टोल टैक्स क्यों वसूला जा रहा है?

सर्विस नहीं तो टोल क्यों? केरल हाईवे जाम पर सुप्रीम कोर्ट की NHAI को फटकार, कहा - जनता के...
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( Image Source:  ANI )

देश भर में हाईवे पर टोल टैक्स वसूली को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 अगस्त 2025) को केरल के एक मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को आड़े हाथों लिया है. अदालत ने ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या पर नाराजगी जताते हुए एनएचएआई को फटकार लगाते हुए कहा कि जब यात्रियों को समय पर और आसान सफर की सुविधा नहीं मिल रही, तब टोल वसूलने का कोई औचित्य नहीं है? कोर्ट ने NHAI से पूछा कि लोगों की परेशानी कब तक जारी रहेगी? इसकी रिपोर्ट पेश करें.

सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई की याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि घंटों फंसे रहने के बावजूद टोल टैक्स चुकाते हैं. यह गलत है. इसी तरह उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में कुछ घंटों की बारिश हो जाए तो राष्ट्रीय राजधानी ठप होने में टाइम नहीं लगेगी. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और याचिकाकर्ता गुरुवायूर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. इन अपीलों में केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है. दरअसल, हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति और चल रहे निर्माण कार्यों के कारण गंभीर यातायात जाम के कारण त्रिशूर के पलियाक्कारा टोल प्लाजा पर चार सप्ताह के लिए टोल वसूली पर रोक लगा दी गई थी.

यात्री 150 रुपये क्यों दें?

पीटीआई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के हवाले से कहा, "अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए? जिस सड़क पर एक घंटा लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लगेंगे और उन्हें टोल भी देना होगा, ये कहा का नियम है?"

'जाम से दुर्घटना ईश्वरीय कृपा नहीं'

इस पर एनएचएआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि जाम एक लॉरी के पलटने के कारण लगा था, जिसे उन्होंने "ईश्वरीय कृपा" बताया. जस्टिस चंद्रन ने असहमति जताते हुए कहा, "जिस दुर्घटना के कारण जाम लगा, वह केवल ईश्वरीय कृपा नहीं थी बल्कि एक लॉरी के गड्ढे में गिर जाने के कारण यह हादसा हुआ था."

एसजी तुषार मेहता ने आगे कहा कि सर्विस रोड उपलब्ध कराए गए थे और उन्होंने काम धीमा होने के लिए मानसून की बारिश को जिम्मेदार ठहराया था. टोल को रोकने के बजाय आनुपातिक रूप से कम करने का सुझाव दिया. हालांकि, जस्टिस चंद्रन ने टिप्पणी की कि 12 घंटे की यह परेशानी आनुपातिक समायोजन से कहीं ज्यादा थी.

'दिल्ली में तो पूरा शहर थम जाता'

चीफ जस्टिस ने एसजी तुषार मेहता से कहा, "दिल्ली में आप जानते हैं कि क्या होता है? अगर दो घंटे भी बारिश हो जाए, तो पूरा शहर थम सा जाता है"

जनता के विश्वास से धोखा

इस पर मूल याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मुथराज ने तर्क दिया कि एनएचएआई की जिम्मेदारी है कि वह मोटर वाहन योग्य सड़क सुनिश्चित करे. ऐसी परिस्थितियों में टोल वसूलना जनता के विश्वास का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले के अंतरिम निर्देशों के बाद केवल अंतिम उपाय के रूप में टोल वसूली पर रोक लगाई थी.

इससे पहले हाईकोर्ट ने 6 अगस्त के आदेश में कहा गया था कि राजमार्गों का रखरखाव ठीक से न होने और भीड़भाड़ गंभीर होने पर वाहन चालकों से शुल्क नहीं लिया जा सकता. न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि एनएचएआई और जनता के बीच का रिश्ता "जनता के विश्वास" का है.

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