सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्यों कहा? ‘यही है अच्छी सुबह’! क्या दिल्ली धमाके पर है कोई इशारा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने एक इमोशनल कमेंट में यूएपीए के एक मामले में मंगलवार को सुनवाई न करने की अनुरोध पर कहा कि “मैसेज देने को यह सबसे अच्छी सुबह है. उनके इस कमेंट ने सुप्रीम कोर्ट के गलियारे में हलचल मचा दी. सवाल उठ रहा है कि क्या यह बयान दिल्ली धमाके की पृष्ठभूमि में उन्होंने दिया या यह सिर्फ एक संयोग है? जानिए पूरा मामला.
दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब देश में सुरक्षा और न्याय प्रणाली को लेकर बहस छिड़ी हुई थी, उसी वक्त सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के एक कमेंट सुर्खियों में है. उन्होंने यूएपीए से संबंधित एक केस की सुनवाई मंगलवार को अदालत में शुरू होने से ठीक पहले वरिष्ठ वकील के अनुरोध पर कहा कि “मैसेज देने को यह सबसे अच्छी सुबह है.” उनके इस रिएक्शन ने सोशल मीडिया और सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है.
सवाल यह है कि आखिर उन्होंने किस संदर्भ में अपना रिएक्शन दिया. क्या इसका कोई अप्रत्यक्ष संबंध दिल्ली ब्लास्ट के बाद की स्थिति से है. जस्टिस विक्रम नाथ का यह बयान उस समय आया जब दिल्ली धमाके की जांच में कई नए साइबर और डार्कनेट कनेक्शन सामने आए हैं.
सिद्धार्थ दवे के अनुरोध पर रिएक्शन
दरअसल, मंगलवार को जब सुप्रीम कोर्ट में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत जेल में बंद एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की बारी आई तो केस की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट से गुजारिश की कि आज इस मामले की सुनवाई नहीं की जाए. उन्होंने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ से अनुरोध करते हुए कहा कि "दिल्ली ब्लास्ट की घटनाओं के बाद इस मामले में बहस करने के लिए यह अच्छी सुबह नहीं है."
जमानत याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, "सख्त संदेश देने के लिए यह सबसे अच्छी सुबह है." जस्टिस विक्रम नाथ के इस कमेंट के बाद मामले की सुनवाई शुरू हो गई. अभियोजन पक्ष के वकील ने अदालत में इस बात की ओर इशारा किया कि आरोपी के पास से भड़काऊ सामग्री बरामद हुई है, तो बचाव पक्ष के वकील दवे ने कहा कि केवल इस्लामी साहित्य ही बरामद हुआ है. इसके बाद मेहता ने बीच में दखल देते हुए कहा कि आरोपी ने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया था, जिस पर लगभग ISIS जैसा ही एक झंडा दिखाई दे रहा था.
इसके जवाब में बचाव पक्ष के वकील सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि आरोपी दो साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है. उनके इस तर्क पर अदालत ने दरकिनार करते हुए कहा कि उसके खिलाफ आरोप भी गंभीर हैं. दवे ने जोर देकर कहा कि कोई आरडीएक्स या विस्फोटक सामग्री उसके पास से बरामद नहीं हुई थी. आरोपी 70 फीसदी विकलांग है. उनके इस तर्क के बाद पीठ ने जमानत याचिका खारिज कर दी.
ट्रायल दो साल में समाप्त करने के निर्देश
इसके बाद अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट दो साल के अंदर इस मुकदमे की सुनवाई पूरी कर ले. पीठ ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो अभियुक्त जमानत के लिए फिर से आवेदन दे सकता है. बशर्ते कि मुकदमे में देरी उसके कारण न हुई हो.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस विक्रम नाथ जस्टिस सूर्यकांत के रिटायर होने के बाद फरवरी 2027 में देश के नए CJI होंगे. जस्टिस सूर्यकांत इसी महीने CJI बनने जा रहे हैं, क्योंकि जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं.





