Delhi Blast: डार्कनेट, साइबर और व्हाइट कॉलर टेररिज्म समेत खुले कई राज, जांच एजेंसियों के निशाने पर स्लीपर सेल
दिल्ली ब्लास्ट में आतंकी घटना का नया पैटर्न सामने आ रहा है. यह पैटर्न है डार्कनेट और टेरर कनेक्शन. अभी तक की जांच में जो एंगल सामने आए हैं उनमें फॉरेन अकाउंट से ट्रांजेक्शन, कश्मीर और बंगाल से जुड़ा एक संदिग्ध लिंक अन्य शामिल हैं. जानें साजिशकर्ताओं ने कैसे डिजिटल नेटवर्क को आतंक का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया.
Delhi Blast News: दिल्ली ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सुरक्षा एजेंसियों के सामने आतंक का नया चेहरा सामने आ रहा है. देश की राजधानी में ब्लास्ट की यह घटना सिर्फ विस्फोटक या साजिश की कहानी नहीं है बल्कि इसमें कई पहलू उभरकर सामने आए हैं. जांच में कई डिजिटल ट्रेल, फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट और एन्क्रिप्टेड चैट के एंगल सामने आए हैं, जो इस केस को पहले के आतंकी हमलों से अलग बनाते हैं. जानें अब तक कौन-कौन से एंगल आए अब तक सामने आ चुके हैं.
अभी तक की जांच में जो एंगल सामने आए हैं उनमें फॉरेन अकाउंट से ट्रांजेक्शन, कश्मीर और बंगाल से जुड़ा एक संदिग्ध लिंक, दिल्ली-एनसीआर में कुछ युवकों की गिरफ्तारी से स्लीपर नेटवर्क, डार्कनेट क्रिप्टो ट्रांजेक्शन, व्हाइट कॉलर टेररिज्म आदि शामिल हैं. आइए, जानते हैं इन पहलुओं के बारे में सब कुछ.
1. व्हाइट कॉलर इकोसिस्टम
जांच में सामने आया है कि यह नेटवर्क पारंपरिक आतंकी हादसों से अलग था. इसे एक व्हाइट-कॉलर आतंक इकोसिस्टम माना जा रहा है, जिसमें हाई एजुकेटेड पेशेवर और छात्र शामिल थे जो एन्क्रिप्टेड चैट और वित्तीय चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स से निर्देश ले रहे थे. प्रारंभिक छानबीन बताती है कि यह सोची समझी साजिश है. सोचा-समझी साजिश है. तीन डॉक्टरों का इस मुहिम में शामिल होना इसके उदाहरण हैं.
2. डिजिटल हाइडिंग’ का ट्रेंड कैसे?
पहले आतंकी घटनाओं में फिजिकल नेटवर्क ( घटना को अंजाम देने वाला) मौके पर मौजूद होता था. इस बार दिल्ली धमाके के केस में डिजिटल हाइडिंग यानी टेक्नोलॉजी के जरिए लोकेशन और पहचान छिपाने का ट्रेंड देखने को मिला है. कई फर्जी IP एड्रेस और VPN इस्तेमाल किए गए, जिससे पुलिस के लिए ट्रेसिंग मुश्किल हो रही है.
3. साइबर टेररिज्म
एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब फोकस साइबर टेररिज्म की दिशा में मोड़ दिया है. माना जा रहा है कि धमाके में शामिल लोग किसी विदेशी संगठन के संपर्क में थे और डिजिटल प्लेटफॉर्म को ऑपरेटिंग बेस की तरह इस्तेमाल कर रहे थे. एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब फोकस साइबर टेररिज्म की दिशा में मोड़ दिया है. माना जा रहा है कि धमाके में शामिल लोग किसी विदेशी संगठन के संपर्क में थे और डिजिटल प्लेटफॉर्म को ऑपरेटिंग बेस की तरह इस्तेमाल कर रहे थे.
4. डार्कनेट और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन
जांच एजेंसियों ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया है. महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात सहित कई राज्यों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. सेंट्रल एजेंसियां अब डार्कनेट और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन की ट्रैकिंग पर काम कर रही हैं. ताकि टेक्नोलॉजी के इस ‘आतंकी रूप’ को पूरी तरह बेनकाब किया जा सके.
सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में नई रणनीति पर काम कर रही है. इस एंगल को ध्यान में रखते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया गया है. सेंट्रल एजेंसियां अब डार्कनेट और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन की ट्रैकिंग पर काम कर रही हैं. ताकि टेक्नोलॉजी के इस ‘आतंकी रूप’ को पूरी तरह बेनकाब किया जा सके.
5. टेक्नोलॉजी और आतंक - दोनों का मेल कैसे?
जांच एजेंसियों को शक है कि दिल्ली धमाके में शामिल आरोपी हाई-टेक गैजेट्स और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे. व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और डार्क वेब के जरिए संदिग्धों के बीच बातचीत के साक्ष्य मिले हैं. डिजिटल पेमेंट चैनलों के जरिए फंडिंग के संकेत भी सामने आए हैं.
6. यूं तो नहीं हुआ न ब्लास्ट, इंतजार कीजिए, सब साफ हो जाएगा
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच में एसीपी रहे वीरेंद्र पुंज का कहना है कि दिल्ली लाल किला ब्लास्ट को लेकर दिल्ली समेत सभी जांच एजेंसियां अलग-अलग एंगल पर काम कर रही हैं. इस मामले में इतना तय है कि बेवजह कुछ नहीं होता. डीटीसी बस में भी आग लगती है तो उसके कुछ कारण होते हैं. एक चलती कार में अति सुरक्षित एरिया में ब्लास्ट हो जाए, उसके कारण न हो, ये कैसे हो सकता है? इसलिए, अभी टेक्नोलॉजी आतंक, साइबर टेररिज्म, डार्कनेट और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन, डिजिटल हाइडिंग, व्हाइट कॉलर आतंकी इकोसिस्टम किसी को एंगल को खारिज नहीं किया जा सकता.
चूंकि यह मामला गंभीर है, इसलिए जांच में जुटी सभी एजेंसियां तार्किक और पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही किसी एक एंगल पर ब्लास्ट की घटना होने का दावा करेगी. यानी मूल कारण जानने के लिए एक से दो दिन लोगों को और इंतजार करना पड़ेगा.
जांच में अभी तक क्या-क्या मिले?
- दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों की जांच में पाया गया है कि धमाके में हाई-इंटेंसिटी IED का इस्तेमाल किया गया था. इसमें टाइमिंग सर्किट और रिमोट डिटोनेशन सिस्टम लगाया गया था, जिससे संकेत मिलता है कि आरोपी तकनीकी रूप से प्रशिक्षित थे.
- एनआईए और दिल्ली पुलिस की साइबर टीम को कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट और एन्क्रिप्टेड चैट मिले हैं. व्हाट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप्स से बातचीत के साक्ष्य मिले. कुछ डिजिटल पेमेंट ऐप्स के जरिए फंडिंग के भी संकेत मिले हैं.
- धमाके की जगह के आसपास के CCTV फुटेज में दो संदिग्धों को देखा गया है जो बैग लेकर मौके के पास पहुंचे थे.जांच एजेंसियों ने करीब 15 मिनट पहले और बाद के फुटेज को सुरक्षित किया है, जिससे कुछ चेहरों की पहचान की जा रही है.
- दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में स्लीपर सेल की सक्रियता के संकेत मिले हैं.गिरफ्तार कुछ संदिग्धों के कश्मीर और पश्चिम बंगाल से कनेक्शन सामने आए हैं.
- जांच एजेंसियां अब यह भी पता लगा रही हैं कि कहीं धमाके में इस्तेमाल सामग्री या फंडिंग का विदेशी नेटवर्क तो नहीं है. कुछ IP लॉग्स गल्फ देशों से एक्टिव पाए गए हैं.
- धमाके से पहले संदिग्धों ने VPN, टोर ब्राउजर और क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल किया, जिससे लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है. यह पैटर्न पहली बार दिल्ली के किसी टेरर केस में देखने को मिल रहा है.
- एनआईए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और आईबी अब मिलकर “साइबर टेररिज्म” एंगल पर फोकस कर रही हैं. देशभर में संदिग्ध डिजिटल ट्रांजेक्शन, विदेशी नंबर और एन्क्रिप्टेड चैट की मॉनिटरिंग की जा रही है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में 9 मौत हुई और कई लोग घायल हुए हैं. दिल्ली पुलिस ने इस हादसे के पीड़ित 29 लोगों की सूची भी जारी की है. इनमें से आधे दर्जन लोग लापता बताए जा रहे हैं. पुलिस और सिक्योरिटी एजेंसियां जांच में जुटी हैं. दिल्ली ब्लास्ट आतंकी घटना है या फिर कुछ और इस पर अभी जांच जारी है.
इससे पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक दिन पहले ही जैश-ए-मोहम्मद (JeM) व अंसार गजवा-उल-हिंद (AGuH) से जुड़े मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था. श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल, शोपियां, फरीदाबाद और सहारनपुर में छापेमारी कर सात लोगों को हिरासत में लिया गया था. इसके बाद 10 नवंबर की देर शाम लाल किले के पास बड़ा धमाका हो गया. सूत्रों के मुताबिक इसके तार इन आतंकियों से जुड़े हो सकते हैं.
आतंकियों के पास से पुलिस ने जो सामग्री जब्त की, वह सूची चौंकाने वाली है. एक चीनी स्टार पिस्टल व गोलियां, एक बरेटा पिस्टल व गोलियां, एक AK-56 राइफल व गोलियां, एक AK क्रिंकोव राइफल व गोलियां तथा लगभग 2,900 किलोग्राम IED बनाने की सामग्री जिसमें विस्फोटक, रसायन, अभिकर्मक, ज्वलनशील पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, बैटरी, तार, रिमोट कंट्रोल, टाइमर व धातु की शीट शामिल हैं. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह कोई शौकिया संग्रह नहीं बल्कि औद्योगिक स्तर की निर्माण क्षमता का सबूत है. इसलिए दिल्ली ब्लास्ट को हल्के में नहीं लिया जा सकता.





