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चार दिन में 4 डॉक्टर गिरफ्तार, क्लिनिक से हथियार और केमिकल जब्त; सफेदपोश आतंक का खतरनाक चेहरा बेनकाब- अब तक क्या-क्या हुआ?

देशभर में बीते एक हफ्ते में चार डॉक्टरों की गिरफ्तारी से व्हाइट-कॉलर आतंक का नया चेहरा उजागर हुआ है. इन डॉक्टरों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और केमिकल बरामद किए गए. जांच में सामने आया कि ये सभी पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स और आतंकी संगठनों जैसे ISIS, जैश-ए-मोहम्मद और AGUH से जुड़े थे. यह केस दिखाता है कि आतंकवाद अब शिक्षित और पेशेवर वर्गों में भी गहराई तक फैल चुका है.

चार दिन में 4 डॉक्टर गिरफ्तार, क्लिनिक से हथियार और केमिकल जब्त; सफेदपोश आतंक का खतरनाक चेहरा बेनकाब- अब तक क्या-क्या हुआ?
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( Image Source:  X/@ImtiazMadmood )

White-Collar Terror: देशभर में बीते एक हफ्ते के भीतर चार डॉक्टरों की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को हिला दिया है. ये गिरफ्तारियां न सिर्फ आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी बताई जा रही हैं, बल्कि इसने भारत में ‘व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क’ के सक्रिय होने की आशंका भी बढ़ा दी है- यानी ऐसे शिक्षित पेशेवर जो अपनी प्रोफेशनल पहचान के पीछे आतंक की साजिशों को अंजाम दे रहे थे. पुलिस ने अलग-अलग राज्यों, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और गुजरात, से इन डॉक्टरों और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया है.

जांच एजेंसियों ने अब तक 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री, राइफलें, पिस्तौल, टाइमर, बैटरियां और जहरीले केमिकल्स बरामद किए हैं. शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि गिरफ्तार डॉक्टरों के संपर्क पाकिस्तान सहित विदेशी हैंडलर्स और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों, जैश-ए-मोहम्मद (JeM), आईएसआईएस (ISIS), और अंसर गजवात-उल-हिंद (AGUH), से थे.

1- डॉ. अदील अहमद रदर

पहली गिरफ्तारी डॉ. अदील अहमद रदर (27) की हुई, जो अनंतनाग स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे. उनके लॉकर से AK-47 राइफल बरामद की गई. रदर का नाम उस वक्त सामने आया जब 27 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाए गए. CCTV जांच में रदर की भूमिका सामने आने के बाद पुलिस ने उन्हें 6 नवंबर को सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ UAPA और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.

2- डॉ. मुज़म्मिल शकील

दूसरी बड़ी गिरफ्तारी डॉ. मुज़म्मिल शकील की हुई, जो हरियाणा के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी थे. उन्हें 9 नवंबर को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीम ने फरीदाबाद के धौज इलाके से पकड़ा. उनके ठिकाने से 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट, राइफलें, पिस्तौलें, टाइमर, बैटरियां और विस्फोटक सामग्री जब्त की गई. पुलिस को उनके किराए के कमरे में सूटकेस में छिपाए गए बम-निर्माण के उपकरण मिले. फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मुज़म्मिल का लिंक जैश-ए-मोहम्मद से है. रदर की गिरफ्तारी के बाद मिले सुरागों से ही पुलिस मुज़म्मिल तक पहुंची.

3- डॉ. शाहीन शाहिद

तीसरी गिरफ्तारी डॉ. शाहीन शाहिद की हुई, जो लखनऊ की रहने वाली हैं और अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर के रूप में कार्यरत थीं. पुलिस ने उन्हें फरीदाबाद से गिरफ्तार किया और उनकी कार से राइफल और जिंदा कारतूस बरामद किए. जांच में पता चला कि शाहीन, मुज़म्मिल के साथ मिलकर आतंकी साजिश के बड़े नेटवर्क का हिस्सा थीं.

4- डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद- गुजरात में ‘केमिकल टेरर’ की साजिश

चौथी गिरफ्तारी ने तो सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी. 35 वर्षीय डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद, जो हैदराबाद के रहने वाले और चीन से MBBS की पढ़ाई कर चुके हैं, उन्हें 7 नवंबर को गुजरात ATS ने अहमदाबाद के पास आदलाज से पकड़ा. उनके पास से दो Glock पिस्तौल, एक Beretta, 30 जिंदा कारतूस और 4 लीटर कैस्टर ऑयल बरामद हुआ. जांच में सामने आया कि वह कैस्टर सीड से जहरीला प्रोटीन ‘राइसिन’ तैयार कर रहा था, जो कुछ ही बूंदों में मौत का कारण बन सकता है.

सैयद ने दिल्ली के आज़ादपुर मंडी, अहमदाबाद के नारोड़ा मार्केट और लखनऊ स्थित RSS कार्यालय की रेकी भी की थी. पुलिस का कहना है कि वह ISIS-खुरासान प्रांत के अबू खादिम के संपर्क में था.

अब तक क्या-क्या हुआ

  • जम्मू-कश्मीर, यूपी, हरियाणा और गुजरात से 4 डॉक्टरों की गिरफ्तारी
  • 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट, AK-47, क्रिंकोव राइफल, पिस्तौलें और राइसिन-फॉर्मुलेशन केमिकल जब्त
  • गिरफ्तारी में UAPA, Arms Act और IPC की कई धाराएं लागू.
  • गिरफ्तार डॉक्टरों के विदेशी हैंडलर्स और ISIS, JeM, AGUH जैसे आतंकी संगठनों से लिंक मिले
  • जांच एजेंसियां दोनों मामलों में कनेक्शन की पड़ताल कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई औपचारिक संबंध स्थापित नहीं हुआ है.

यह मामला दिखाता है कि आतंकवाद का नया चेहरा अब सिर्फ सीमाओं या मदरसों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उच्च शिक्षित, तकनीकी रूप से प्रशिक्षित लोगों के बीच भी अपनी जड़ें फैला रहा है, जो ‘व्हाइट-कॉलर टेररिज़्म’ की नई और भयावह परिभाषा पेश करता है.

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