अगर राम मंदिर आंदोलन कांग्रेस के नेतृत्व में होता, तो संघ उसका भी समर्थन करता... पाकिस्तान पर क्या बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में कहा कि संघ किसी पार्टी नहीं बल्कि राष्ट्रनीति का समर्थन करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, बांटना नहीं. भागवत ने कहा कि भारत हमेशा शांति चाहता है, लेकिन पाकिस्तान शांति नहीं चाहता. इसलिए देश को हर चुनौती के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने चेताया कि पाकिस्तान को हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा जब तक वह सबक नहीं सीखता.
कर्नाटक के बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को संघ की नीतियों, राजनीति और राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर बेहद अहम बातें कहीं. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि संघ राजनीति का नहीं, राष्ट्रनीति का समर्थन करता है. भागवत ने कहा कि आरएसएस किसी पार्टी या व्यक्ति के पीछे नहीं चलता, बल्कि केवल देशहित के मुद्दों के साथ खड़ा रहता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर राम मंदिर आंदोलन कांग्रेस के नेतृत्व में भी होता, तो संघ उसका भी समर्थन करता, क्योंकि संघ का मकसद किसी दल को नहीं, बल्कि राष्ट्र को सशक्त बनाना है.
अपने संबोधन में भागवत ने यह भी दोहराया कि संघ समाज को जोड़ने का काम करता है, जबकि राजनीति समाज को बांटने का. उन्होंने कहा कि भारत की एकता, शक्ति और सांस्कृतिक जागरूकता ही विश्व शांति का आधार बन सकती है, और इसी दिशा में संघ काम कर रहा है. वहीं पाकिस्तान पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति चाहता है, लेकिन पाकिस्तान नहीं चाहता. इसलिए हमें हर बार उन्हें करारा जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए.
राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति का समर्थन
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति का समर्थन नहीं करता, बल्कि नीतियों और राष्ट्रहित के मुद्दों का समर्थन करता है. उन्होंने कहा, “संघ राजनीति नहीं करता क्योंकि राजनीति समाज को बांटती है, जबकि हमारा उद्देश्य समाज को एकजुट करना है.” उनका कहना था कि संघ केवल ‘cause’ को समर्थन देता है, न कि किसी दल को. उन्होंने कहा कि अगर राम मंदिर आंदोलन कांग्रेस की अगुवाई में होता, तब भी संघ उसी के साथ खड़ा होता.
संघ और राजनीतिक दलों के रिश्ते पर बयान
भागवत ने स्वीकार किया कि ज्यादातर राजनीतिक दल संघ को स्वीकार नहीं करते. उन्होंने कहा, “हमारे लिए सबके दरवाजे बंद हैं, केवल बीजेपी ही ऐसा दल है जिसने संघ के लिए अपने दरवाजे खोले हैं.” उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दलों द्वारा लगातार आरएसएस और बीजेपी के गठजोड़ पर सवाल उठाए जाते रहे हैं.
हिंदू समाज को संगठित करने का लक्ष्य
संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और उनमें गुण, एकता और आत्मबल का संचार करना है. उन्होंने कहा कि “हम एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो विश्व को धर्म, शांति और समरसता का ज्ञान दे सके. हमारा लक्ष्य सिर्फ संगठन बनाना नहीं, बल्कि एक सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर समाज तैयार करना है.”
पाकिस्तान पर तीखा हमला- ‘वो शांति नहीं चाहता’
मोहन भागवत ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, “भारत हमेशा पाकिस्तान से शांति चाहता है, लेकिन पाकिस्तान को भारत से शांति नहीं चाहिए. जब तक पाकिस्तान को भारत को नुकसान पहुंचाने में संतोष मिलता रहेगा, तब तक वह ऐसा करता रहेगा.” उन्होंने कहा कि भारत को हर बार पाकिस्तान के हमलों का करारा जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए.
‘जवाब देना ही भाषा है जो पाकिस्तान समझता है’
भागवत ने कहा कि पाकिस्तान को समझाना मुश्किल है क्योंकि वह बार-बार एक ही गलती दोहराता है. उन्होंने 1971 का जिक्र करते हुए कहा कि “पाकिस्तान ने हमला किया था और उसे 90,000 सैनिक खोने पड़े थे, लेकिन वह आज भी सबक नहीं सीखता.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को वही भाषा समझ में आती है, जिसमें भारत उसे बार-बार हार का एहसास दिलाए.
भारत को रहना होगा हमेशा तैयार
संघ प्रमुख ने चेतावनी दी कि भारत को पाकिस्तान की साजिशों के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमेशा सतर्क रहना जरूरी है. पाकिस्तान बार-बार कोशिश करेगा, और हमें हर बार उसे नुकसान पहुंचाकर यह एहसास कराना होगा कि भारत को नुकसान पहुंचाना असंभव है.” भागवत ने कहा कि जब पाकिस्तान को समझ आएगा कि भारत से टकराना उसके लिए नुकसानदायक है, तभी वह शांति की राह पर आएगा.
'धर्म से ही दुनिया में शांति'
मोहन भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति और अध्यात्म ही विश्व में स्थायी शांति ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि संघ एक ऐसे भारत का निर्माण चाहता है जो अपनी संस्कृति से दुनिया को दिशा दिखाए. उन्होंने कहा, “हमारा मिशन है एक संगठित, सशक्त हिंदू समाज जो पूरे विश्व को सुख, आनंद और शांति का संदेश दे सके.”
‘100 साल का सफर, नई दिशा की ओर’
‘100 Years of Sangh Journey – New Horizons’ कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने कहा कि संघ अब अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है और आने वाले वर्षों में उसकी भूमिका और व्यापक होगी. उन्होंने कहा कि संघ का मिशन राजनीति से परे समाज निर्माण का है, और आने वाले दशक भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में निर्णायक होंगे.





