संघ केवल संगठन नहीं... हिंसा से उथल-पुथल होती है, लेकिन हालात नहीं बदलते, पढ़ें RSS के 100 साल पर मोहन भागवत की बड़ी बातें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने 100 साल पूरे करने के उपलक्ष्य में नागपुर में शताब्दी वर्ष समारोह मनाया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधन में भारत की सुरक्षा, स्वावलंबन, परिवार और समाज की मजबूती, हिंदू समाज की एकजुटता और वैश्विक चुनौतियों पर जोर दिया. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. भागवत ने हिंसा और असंतोष के खिलाफ लोकतांत्रिक मार्ग अपनाने, व्यक्ति निर्माण और शाखाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला. यह भाषण देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने वाला रहा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस साल अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. शताब्दी वर्ष समारोह नागपुर के रेशम बाग मैदान में बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर संघ के करीब 21 हजार स्वयंसेवक शामिल हुए. समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रहे. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समारोह को संबोधित करते हुए देश और समाज के वर्तमान हालात, वैश्विक चुनौतियां और युवा पीढ़ी में जागरूकता बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया.
भागवत ने अपने भाषण में यह साफ किया कि संघ केवल एक संगठन नहीं है, बल्कि व्यक्ति, परिवार और समाज को मजबूत बनाने वाला प्लेटफॉर्म है. उन्होंने हाल ही में पड़ोसी देशों में हुई हिंसा, पहलगाम में आतंकवादी हमले, और वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को सुरक्षा, स्वावलंबन और सामाजिक जिम्मेदारी के स्तर पर सजग रहना होगा. उनका भाषण संघ की 100 साल की परंपरा और आदर्शों को उजागर करता है.
मोहन भागवत के भाषण की बड़ी बातें
- आरएसएस की स्थापना और 100 साल का सफर: डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में संघ की नींव रखी. आज संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है और इसकी शाखाएं पूरे देश में सक्रिय हैं.
- राजनीति में नहीं आया संघ: संघ को बार-बार राजनीति में आने का न्यौता मिला, लेकिन उसने इसे ठुकराया और हमेशा सामाजिक सेवा और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया.
- श्रीगुरुतेग बहादुकर के बलिदान का स्मरण: इस साल 350वीं वर्षगांठ पर उनके बलिदान को याद किया जा रहा है. उन्होंने अन्याय के खिलाफ समाज की रक्षा के लिए अपना जीवन न्योछावर किया.
- महात्मा गांधी का योगदान याद किया: गांधी जी की जयंती पर भागवत ने उनके अहिंसा और समाज सुधार के योगदान को याद किया.
- पहलगाम आतंकवादी हमला: धर्म पूछकर 26 भारतीयों की हत्या हुई थी. संघ प्रमुख ने कहा कि इससे देश में दुख और क्रोध पैदा हुआ, लेकिन सेना और सरकार ने पूरी तैयारी से जवाब दिया.
- जैसा देश चाहिए, वैसा खुद बनना होगा: भागवत ने बताया कि आदतों और चरित्र में बदलाव के बिना समाज और देश का विकास संभव नहीं है.
- अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और अमेरिका के टैरिफ: उन्होंने कहा कि अमेरिका की टैरिफ नीति की मार पूरी दुनिया पर पड़ी है. अलगाव में कोई राष्ट्र नहीं रह सकता. हमें स्वदेशी और आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है.
- हिंसा के खिलाफ संदेश: संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि हिंसा से बदलाव नहीं आता. लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से ही समाज में सुधार संभव है.
- प्राकृतिक आपदाओं और हिमालय की सुरक्षा: हिमालय हमारी सुरक्षा की दीवार है. प्राकृतिक प्रकोप बढ़ गए हैं और इसकी वर्तमान स्थिति चिंता का विषय है.
- भारत पर दुनिया की नजर: दुनिया आज भारत से उम्मीद रखती है कि वह नई राह दिखाए और विकास का मॉडल प्रस्तुत करे.
- विश्व व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता: भागवत ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था में बदलाव जरूरी है, ताकि समाज और राष्ट्र विनाश से बच सके.
- व्यक्ति निर्माण से समाज परिवर्तन: उन्होंने बताया कि समाज में सुधार के लिए व्यक्ति का निर्माण और आदत सुधार सबसे जरूरी है.
- संघ शाखाओं का महत्व: शाखाएं व्यक्ति में सद्गुणों और आदत सुधार की दिशा में काम करती हैं और समाज को मजबूत बनाती हैं.
- जातिवाद का विरोध: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संघ में किसी प्रकार का जातिवाद नहीं है, सभी को समान सम्मान मिलता है.
- संघ और बाबा साहब अंबेडकर का योगदान: भागवत ने हेडगेवार और अंबेडकर को जीवन निर्माण में महत्वपूर्ण बताया.
- परिवार और समाज की मजबूती: उन्होंने कहा कि मजबूत परिवार और समाज ही राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास की नींव है.
- पड़ोसी देशों की उथल-पुथल पर चिंता: श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हालात चिंताजनक हैं. हिंसा और असंतोष से फायदा बाहरी ताकतों को मिलता है.
- भौतिक विकास की सीमाएं: अमेरिका जैसी भौतिक प्रगति के लिए 5 पृथ्वियों की जरूरत होगी, इसलिए भारत को संतुलित और स्थायी विकास का रास्ता अपनाना चाहिए.
- हिंदू समाज की एकजुटता: हिन्दू समाज को एकजुट, जिम्मेदार और उत्तरदायी बने रहने का संदेश दिया.
- स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत: संघ प्रमुख ने जोर दिया कि भारत को स्वदेशी और आत्मनिर्भर नीति अपनानी चाहिए और वैश्विक जुड़ाव मजबूरी नहीं, बल्कि विकल्प होना चाहिए.