पायलट की गलती की बात 'दुर्भाग्यपूर्ण', अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और DGCA से मांगा जवाब
अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए एयर इंडिया प्लेन क्रैश में 270 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे की असली वजह अब तक सामने नहीं आई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, DGCA और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो को नोटिस जारी किया है. कॉकपिट रिकॉर्डिंग से पायलट एरर की अटकलें तेज हैं, लेकिन कोर्ट ने निष्पक्ष जांच पर जोर दिया है.

12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 171 टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही क्रैश हो गई थी. इस हादसे में 265 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट एरर की संभावना जताई गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस नैरेटिव को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया है और स्वतंत्र जांच की मांग पर केंद्र और DGCA से जवाब तलब किया है.
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने जुलाई में जारी रिपोर्ट में कॉकपिट ऑडियो का जिक्र किया था. इसमें कैप्टन सुमीत सबरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के बीच "फ्यूल कट-ऑफ" को लेकर हुई बातचीत दर्ज थी. इसी आधार पर पायलट एरर की थ्योरी सामने आई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि जल्दबाज़ी में दोषारोपण करना सही नहीं है.
कॉकपिट बातचीत से बढ़ी अटकलें
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हादसे से पहले कॉकपिट में कैप्टन सुमीत सबरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के बीच बातचीत हुई थी. रिकॉर्डिंग में सुना गया कि एक पायलट ने पूछा, "Why did you cut off?" और दूसरे ने जवाब दिया, "I didn’t". इस बातचीत के बाद पायलट एरर की अटकलें तेज हो गईं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के बाद ही असली कारण सामने आएगा.
एनजीओ ने दायर की याचिका
सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन नामक एनजीओ ने पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) दाखिल कर जांच रिपोर्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाए. याचिका में कहा गया कि रिपोर्ट ने अहम तकनीकी खामियों जैसे फ्यूल-स्विच डिफेक्ट और इलेक्ट्रिकल फॉल्ट्स को नजरअंदाज किया है. साथ ही इसे नागरिकों के जीवन और सच्ची जानकारी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है.
अधूरी रिपोर्ट और सुरक्षा को लेकर चिंता
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हादसे को 100 दिन से अधिक हो गए हैं, लेकिन अभी तक केवल प्रारंभिक रिपोर्ट ही सामने आई है. इसमें न तो असली वजह साफ की गई है और न ही यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी एहतियात का जिक्र है. उनका कहना था कि जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक बोइंग विमानों से उड़ने वाले यात्री खतरे में हैं.
जांच पैनल पर हितों के टकराव का आरोप
भूषण ने यह भी बताया कि पांच सदस्यीय जांच टीम में तीन अधिकारी DGCA से हैं, जबकि यही संस्था खुद जांच के दायरे में है. ऐसे में यह 'कन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' का मामला बनता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि निष्पक्ष जांच जरूरी है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सभी जानकारियों को सार्वजनिक करना परिवारों और जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.
हादसे में बचा था सिर्फ एक यात्री
एयर इंडिया का यह विमान अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया था. हादसे में 12 क्रू मेंबर समेत 229 यात्री मारे गए, जबकि 19 लोगों की मौत जमीन पर हुई. केवल एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच पाया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जिम्मेदारी तय करने से पहले निष्पक्ष और गहन जांच बेहद जरूरी है.