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ये बन जाएगा ब्लैकमेल का साधन... पॉलिटिकल पार्टी पर नहीं लागू होगा POSH कानून, SC ने कहा- यहां लोग खुद से जुड़ते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक दलों के भीतर POSH कानून लागू करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह नौकरी का रिश्ता नहीं बल्कि स्वेच्छा से किया गया जुड़ाव है.

ये बन जाएगा ब्लैकमेल का साधन... पॉलिटिकल पार्टी पर नहीं लागू होगा POSH कानून, SC ने कहा- यहां लोग खुद से जुड़ते हैं
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( Image Source:  sci.gov.in )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 16 Sept 2025 8:24 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि राजनीतिक दलों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (POSH) अधिनियम, 2013 के दायरे में नहीं लाया जा सकता. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर राजनीतिक दलों को इस कानून के तहत लाया गया तो इससे 'भानुमती का पिटारा' खुल जाएगा और यह ब्लैकमेल का हथियार बन सकता है. यह याचिका योगमाया जी नाम की महिला ने दाखिल की थी. उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि देश में हजारों महिलाएं राजनीतिक दलों से जुड़ी हुई हैं और सक्रिय रूप से काम कर रही हैं.

लेकिन अब तक केवल सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी) ही ऐसा राजनीतिक दल है, जिसने POSH कानून के मुताबिक बाहरी सदस्यों वाली आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनाई है. अन्य बड़े दल जैसे भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी या तो ICC के अधूरे ढांचे को स्वीकार कर रहे हैं या उनमें पारदर्शिता की कमी है. याचिकाकर्ता का कहना था कि राजनीतिक दल संविधान के प्रति निष्ठा रखने वाले संगठन हैं, इसलिए उन्हें भी कानून का पालन करना चाहिए और महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देना चाहिए.

कोर्ट ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश गवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कई अहम टिप्पणियां की. पीठ ने पूछा- आप राजनीतिक दलों को कार्यस्थल के बराबर कैसे मान सकते हैं? जब कोई व्यक्ति किसी दल से जुड़ता है, तो यह रोजगार नहीं है. यह नौकरी नहीं है क्योंकि यहां वेतन या पारिश्रमिक नहीं मिलता. लोग अपनी मर्जी से राजनीतिक दलों में शामिल होते हैं. इसलिए, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ बने POSH कानून का राजनीतिक दलों पर लागू होना संभव नहीं है.'

पहले का क्या फैसला था?

इस मामले में पहले 2022 में केरल हाईकोर्ट ने भी यही कहा था कि चूंकि राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के बीच कर्मचारी-नियोक्ता (Employer-Employee) का संबंध नहीं है, इसलिए उन पर आंतरिक शिकायत समितियां (ICC) बनाने का कानूनी दबाव नहीं डाला जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अब उसी फैसले को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया.

सरल शब्दों में समझें

POSH कानून (2013) हर उस जगह लागू होता है, जहां महिला काम कर रही हो और उसके पास किसी तरह का एम्प्लायर-जॉब संबंध हो. लेकिन राजनीतिक दलों को कोर्ट ने 'कार्यस्थल' की परिभाषा से बाहर बताया है, क्योंकि वहां लोग स्वेच्छा से और बिना वेतन के जुड़ते हैं. इसलिए, फिलहाल राजनीतिक दलों पर POSH कानून लागू नहीं होगा, भले ही उनमें महिलाएं सक्रिय रूप से काम कर रही हों.

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