'ऐसी पूछताछ अमानवीय व्यवहार...', सुप्रीम कोर्ट ने ED को इस मामले में लगाई फटकार
Supreme Court : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि एक व्यक्ति से आधी रात से भी ज्यादा समय तक करीब 15 घंटे पूछताछ करना 'अमानवीय व्यवहार' है.

Supreme Court: देश में पिछले कुछ सालों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अलग-अलग मामलों में नेताओं के खिलाफ एक्शन लिया है. ईडी ने घंटों आरोपियों से पूछताछ की है. अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही एक मामले की सुनवाई करते हुए ईडी को फटकार लगाई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि एक व्यक्ति से आधी रात से भी ज्यादा समय तक करीब 15 घंटे पूछताछ करना 'अमानवीय व्यवहार' है.
ईडी की कार्रवाई पर क्या बोला SC?
इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की. कोर्ट ने कहा कि ईडी एक व्यक्ति (सुरेंद्र पंवार) को बयान देने के लिए मजबूर कर रही थी. यह चौंकाने वाली स्थिति थी. कोर्ट ने 15 घंटे तक देर रात तक पूछताछ तक करने की कार्रवाई पर चिंता जाहिर की. बता दें कि सितंबर में पंजाब और हरियाणा होईकोर्ट ने सुरेंद्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द कर दिया था. फिर एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
ईडी नहीं पेश कर पाई प्रूफ
कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि पंवार की प्रारंभिक गिरफ्तारी और अरेस्ट कानून के आधार पर टिकने योग्य नहीं है. इसलिए ईडी के पास इस बात को साबित करने का कोई प्रूफ नहीं था कि नेता ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल थे. ईडी ने हाल ही में एक पत्र जारी किया, जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह देर रात तक पूछताछ न करें या ऑफिस में ज्यादा वेट न कराएं.
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ईडी का बयान
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गलत तरीके से दर्ज किया है कि पंवार से लगातार 14 घंटे और 40 मिनट तक पूछताछ की. इस दौरान उन्हें डिनर ब्रेक दिया गया. हुसैन ने कहा कि एजेंसी ने प्रक्रिया को मैनेज करने और यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कदम उठा लिए हैं कि लोगों से सुबह-सुबह पूछताछ न की जा सके. फिर कोर्ट ने एजेंसी की दलील को खारिज करते हुए पूछा कि एजेंसी बिना किसी ब्रेक के इतने लंबे समय तक पूछताछ करके किसी को कैसे प्रताड़ित कर सकती है.