मातम में बदली दिवाली की खुशियां, बेटे के इंतजार में पथरा गई बूढ़ी मां की आंखें; जैसलमेर बस हादसे के पीड़ितों की आपबीती
राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए भयानक बस अग्निकांड में 20 यात्रियों की मौत हो गई और 15 गंभीर रूप से झुलसे. शॉर्ट सर्किट से आग भड़कने के कारण यात्री फंस गए और बाहर नहीं निकल पाए. स्थानीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड और सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय नेता घायलों के पास पहुंचकर राहत एवं उपचार की व्यवस्था कर रहे हैं. मृतकों की पहचान के लिए DNA जांच की जाएगी.

राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार को एक भयानक बस हादसा हुआ. आर्मी स्टेशन के पास जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर चलती बस में अचानक आग लग गई, जिससे 20 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. यात्रियों के चीख-पुकार के बीच लोग बाहर खड़े सिर्फ हादसे को देख सकते थे. यह हादसा न केवल जैसलमेर बल्कि पूरे राज्य को हिला देने वाला था. आग की तीव्र लपटों और बस की संरचना के कारण कोई बचाव संभव नहीं हो पाया.
हादसे के तुरंत बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी, जिला कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत और पुलिस अधीक्षक अभिषेक शिवहरे से जानकारी ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने घायलों के उपचार और मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता देने के निर्देश दिए.
मातम में बदली दिवाली की खुशी
महेंद्र मेघवाल अपनी पत्नी पार्वती और बच्चों के साथ दीपावली की छुट्टी मनाने घर जा रहे थे. खुशी-खुशी उन्होंने त्योहार की तैयारी की थी, लेकिन जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर चलती बस में अचानक आग लग गई. आग इतनी तेज थी कि बस में सवार 20 लोग जिंदा जलकर मौत के मुंह में समा गए. महेंद्र के साथ उनकी पत्नी और तीनों बच्चे भी इस हादसे का शिकार बने. बस में फंसे यात्रियों ने बाहर निकलने की पूरी कोशिश की, लेकिन दरवाजा लॉक और खिड़कियों की मजबूत कांच की वजह से किसी को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला. स्थानीय लोगों और ठेकेदारों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. फायर ब्रिगेड और सेना की मदद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ.
इस भयानक हादसे में महेंद्र की बूढ़ी मां डेचू गांव में अपने बेटे और पोते-पोतियों का इंतजार कर रही थीं, जो अब अधूरा रह गया. हादसे में झुलसे 15 यात्रियों का इलाज जोधपुर के अस्पताल में चल रहा है. स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान और केमिस्ट एसोसिएशन के मनोज भाटिया भी इसी हादसे में शामिल थे, जिसमें राजेंद्र सिंह की मौत हो गई और मनोज घायल हुए. प्रशासन ने मृतकों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी है. पूरे इलाके में मातम का माहौल है, और दिवाली का त्योहार इस भयानक हादसे के चलते दर्द और आंसुओं में बदल गया.
कैसे लगी थी बस में आग?
जांच में पता चला कि बस में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी. बस क.के ट्रैवल्स की थी और केवल पांच दिन पहले ही जोधपुर-जैसलमेर रूट पर लगाई गई थी. यह एक एसी स्लीपर बस थी, जिसे नॉर्मल बस से कन्वर्ट किया गया था. बस पूरी तरह भरी हुई थी और गैलरी में भी यात्री मौजूद थे. शॉर्ट सर्किट ने बस के पीछे की यूनिट में आग भड़काई, जो तेजी से आगे फैल गई.
क्यों नहीं बच पाए लोग?
बस की फाइबर बॉडी, एसी सिस्टम और मजबूत कांच की खिड़कियों ने आग को रोकने के बजाय और भी घातक बना दिया. दरवाजे लॉक हो गए और यात्रियों के लिए बाहर निकलना असंभव हो गया. बस के अंदर केवल एक मुख्य गेट था और वह भी लॉक हो गया. गैलरी संकरी होने के कारण लोग छटपटा कर जिंदा जल गए.
रेस्क्यू ऑपरेशन और फायर ब्रिगेड की देर
जैसे ही आग की सूचना मिली, स्थानीय लोग और ठेकेदार मौके पर पहुंचे. सेना के जवानों ने जेसीबी की मदद से बस का गेट तोड़ा और रेस्क्यू शुरू किया. फायर ब्रिगेड की टीम 45 मिनट बाद पहुंची, तब तक 20 यात्रियों की मौत हो चुकी थी. यह स्पष्ट करता है कि समय पर बचाव की कमी और बस की संरचना ने हादसे को और भी जानलेवा बना दिया.
कौन-कौन हुआ प्रभावित?
स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान और केमिस्ट एसोसिएशन के मनोज भाटिया भी बस में सवार थे. मनोज बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन राजेंद्र सिंह अंदर फंस गए और जल गए. हादसे में झुलसे 15 लोग जोधपुर में इलाज के लिए भर्ती हैं, जिनमें 2 बच्चे और 4 महिलाएं शामिल हैं. घायल यात्रियों का उपचार जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में चल रहा है. 20 मृतकों में केवल एक व्यक्ति की पहचान तुरंत हो पाई. बाकियों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि शव पूरी तरह जल चुके हैं. जिला प्रशासन ने डीएनए जांच के जरिए मृतकों की पहचान करने का निर्णय लिया है और परिजनों से संपर्क किया जा रहा है.
57 यात्री थे बस में सवार
हादसे के समय 57 यात्री बस में सवार थे. कई यात्री अपनी जान बचाने के लिए चलती बस से कूद गए. मुख्यमंत्री ने जोधपुर अस्पताल में घायलों से मुलाकात की और डॉक्टरों को त्वरित और प्रभावी उपचार के निर्देश दिए. प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को गति दी है, लेकिन हादसे की भयावहता और बस की संरचना के कारण नुकसान अपरिवर्तनीय साबित हुआ.