SSC Stenographer Exam 2025: जिस बदनाम EDUQUITY कंपनी से लाखों बेरोजगार पीड़ित, केंद्र और SSC उस पर मेहरबान क्यों?
SSC ने बदनाम और कथित रूप से ब्लैकलिस्टेड कंपनी Eduquity Career Technologies को फिर से Stenographer Exam 2025 आयोजित करने का ठेका दिया, जिससे लाखों बेरोजगार युवा आक्रोशित हैं. परीक्षा केंद्रों की बदहाली, बाउंसरों की तैनाती, प्रश्नपत्र में गड़बड़ी और दूरस्थ केंद्रों के चयन जैसे कई आरोप लगे. फिर भी SSC और DOPT मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इस कंपनी को हटाने को तैयार नहीं. सोशल मीडिया पर भारी विरोध के बावजूद सरकार का रवैया सवालों के घेरे में है.
इन दिनों भारत के युवाओं को लेकर एक ही खबर चर्चा में है. वह यह कि कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission SSC) यानी एसएससी द्वारा लिखित परीक्षा के लिए चयनित और कथित रूप से ब्लैकलिस्टेड प्राइवेट ठेका कंपनी एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज (Eduquity Career Technologies) से ही, देश की केंद्रीय सरकार लिखित प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करवाने पर क्यों आमादा है?
गंभीर बात तो यह है कि एक ओर जहां इस कंपनी को लेकर देश भर का युवा उच्च शिक्षित बेरोजगार देश की सड़कों पर रो-चीख चिल्ला रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के जिस कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय यानी डीओपीटी (Department of Personnel & Training) और कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission SSC) को यह कंपनी काबू करने या निपटाने की ताकत दी गई है, वे दोनों कुटिल मुस्कान मुस्करा रहे हैं. आखिर क्यों? आइए जानते हैं ‘इनसाइड स्टोरी’ कि आखिर देश के लाखों उच्च शिक्षित युवाओं के भविष्य से खुलेआम डंके की चोट पर खेलने वाली यह प्राइवेट ठेका कंपनी एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज (Eduquity Career Technologies) आखिर है क्या बला? कौन सा वह हौवा है इस कंपनी का जो, इसकी लाख काली करतूतों के बाद भी, इसे निपटाने से थरथर कांप रहा है भारत सरकार का डीओपीटी मंत्रालय और एसएससी.
क्या बदनाम कंपनी से पीछा छुड़ाने की SSC में नहीं हिम्मत?
कथित रूप से ही सही इस बदनाम-ब्लैकलिस्टेड कंपनी से अपना पीछा छुड़ाने की हिम्मत आखिर क्यों नहीं जुटा पा रहा है एसएससी? क्यों इस भारी-भरकम या ऊंची पहुंच वाली बदनाम कंपनी से ही कर्मचारी चयन आयोग लिखित प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कराने पर तब भी आमादा है? जब देश भर के इससे पीड़ित शिक्षित युवा सड़कों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस उम्मीद में कि चाहे जैसे भी हो सरकार इस थर्ड स्टैंडर्ड की बदनाम कंपनी का टेंडर रद्द करके किसी बेहतर कंपनी को ठेका दे दे. और तो और पीड़ितों का दुखड़ा जब बीते दिनों संबंधित मंत्रालय के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और कर्मचारी चयन आयोग अध्यक्ष एस गोपालकृष्णन (SSC Chairman IAS S. Gopalkrishnan) के सामने जाकर रोया गया, तो मंत्री जी ने जो रुखा-रवैया अख्तियार किया उसे देखकर तो फरियादियों ने समझ लिया कि, मंत्री से लेकर एसएससी के पास इस पीड़ा का मरहम नहीं है.
'कंपनी को किसी कीमत पर नहीं हटाया जाएगा'
केडी कैंपस नाम से कोचिंग सेंटर चलाने वाली और केंद्रीय मंत्री से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहने वाली नीतू सिंह जिन्हें नीतू मैम के नाम से जाना जाता है, मीडिया में मौजूद उनके बयान के मुताबिक, “एसएससी चेयरमैन की मौजूदगी में डीओपीटी के केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दो टूक कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए Eduquity कंपनी को नहीं हटाया जाएगा. जहां तक बात इस कंपनी द्वारा आयोजित की जा रही एसएससी की लिखित परीक्षाओं में आ रही अड़चनों-तमाशों की है तो, उन अड़चनों को दूर करने की कोशिश जरूर की जाएगी.”
पकड़ा दिया गया झूठे आश्वासनों का झुनझुना
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और एसएससी के रबर-स्टैंपी चेयरमैन एस गोपालकृष्णन ने झूठे आश्वासनों का ‘झुनझुना’ देकर, उन कोचिंग सेंटर्स के मालिकों को अपने सामने से खामोशी के साथ रुखसत कर दिया. झूठे आश्वासनों का झुनझुना इसलिए क्योंकि, उस आश्वासन के बाद जैसे ही 6 अगस्त 2025 (बुधवार) को देश भर में एसएसी स्टेनोग्राफर 2-25 परीक्षा (SSC Stenographer Exam 2025) आयोजित की गई, बदनाम प्राइवेट ठेका कंपनी Eduquity ने फिर युवा बेरोजगारों के भविष्य से खुलेआम खिलवाड़ कर डाला. जिन परीक्षा केंद्रों पर देश के उच्च शिक्षित युवाओं की भीड़ जुटी, उन लिखित परीक्षा केंद्रों पर गुंडों के रूप में ‘बाउंसर’ तैनात कर दिए गए. अरे भाई क्यों? ऐसा क्यों? परीक्षार्थी हैं कोई गुंडा-मवाली नहीं न. फिर उच्च शिक्षित अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्रों पर भला बाउंसर क्यों?
बाउंसरों का सहारा लेने की क्यों पड़ गई जरूरत?
मतलब, देश भर में काली-करतूतों के लिए बदनाम कंपनी Eduquity ने अपनी खामियां छिपाने के लिए बाउंसरों का सहारा लिया. ताकि परीक्षा केंद्रों पर मची अफरा-तफरी से संबंधित कोई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल न हो जाए. इससे बदनाम कंपनी का कुछ बिगड़े या न बिगड़े मगर सरकार की किरकिरी जरूर हो जाएगी. मतलब जो मंत्री जी और एसएससी चेयरमैन किसी भी हाल में बदनाम ठेका एजेंसी को न बदलने की ‘कसमें’ खा रहे थे. उसी ठेका कंपनी Eduquity ने चंद दिन में ही फिर से देश की हुकूमत और एसएससी को खुले में “ढेर” करवा डाला.
जानना जरूरी है कि आखिर क्यों देश के शिक्षित युवा इस कारस्तानी ब्लैकलिस्टेड बदनाम कंपनी Eduquity से पीछा छुड़ाने के लिए रो-बिलख और बिलबिला रहे हैं. इस कंपनी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जब परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे तब सेंटर पर चिपका मिला कि परीक्षा रद्द हो गई है. इसका मैसेज परीक्षा होने वाली सुबह से ठीक उसी रात आया. मतलब, दूर दराज के परीक्षार्थी जब अपने घरों से कई कई सौ मील या किलोमीटर दूर स्थित परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने निकल कर सफर में थे. अब सोचिए रास्ते में से बिचारे अभ्यर्थी कहां जाएं?
तबेले से भी गई गुजरी हालत में परीक्षा केंद्र
जिस केंद्रों पर इस बदनाम कंपनी ने परीक्षाएं आयोजित कराईं उनमें से कई तो जानवरों के तबेले से भी गई गुजरी हालत में थे. कई इतने दूर-दराज इलाकों में जहां जाना दुश्वार था. अगर पहुंच गए तो कई परीक्षा केंद्रों पर कानफोड़ू आवाज में डीजे बजता मिला. सोचिए कि राष्ट्रीय स्तर की वह परीक्षा जिसमें लाखों परीक्षार्थी हिस्सा ले रहे हों क्या तबेलानुमा लिखित केंद्रों में परीक्षा दे पाना संभव है? सैकड़ों ऐसे परीक्षा केंद्र निकले जिनमें मौजूद कंप्यूटर, उनके माउस ही मरी हुई हालत में थे. कई परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों को घंटों इंतजार कराया जाता रहा. यह वही बदनाम ठेका कंपनी है जिसने मध्य प्रदेश में परीक्षा आयोजित कराई थी. और वहां से इस कंपनी को अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर हटना पड़ा. वहां इसके ऊपर परीक्षा में धांधली के भी कथित आरोप लगे थे. ऐसे में सवाल पैदा होना लाजमी है कि जिस कंपनी के ऊपर राज्य स्तर की किसी परीक्षा के आयोजन में ही आरोप लगे, उसे भला भारत सरकार के डीओपीटी जैसे मंत्रालय ने किस ‘सद्गुण’ की वजह से पूरे देश स्तर की परीक्षा के आयोजन का ठेका दे दिया?
जब देना नहीं होता तो सेंटर प्रेफरेंस मांगते ही क्यों हैं?
इस कंपनी से अभ्यर्थियों को यह भी शिकायत है कि यह ब्लैकलिस्टेड बदनाम कंपनी सेंटर प्रेफरेंस तो मांगती है. मगर परीक्षा केंद्र कन्याकुमारी वाले का कानपुर और कानपुर वाले का जम्मू कश्मीर डाल देती है. सोचिए आखिर कोई बेरोजगार परीक्षार्थी इतना खर्चा और वक्त बर्बाद करके कैसे परीक्षा केंद्र तक पहुंच सकता है. वह भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि परीक्षा केंद्र के बाहर पहुंचने पर वहां गेट पर ‘परीक्षा-रद्द’ का नोटिस लटका हुआ नहीं मिलेगा. जिस बदनाम Eduquity Career Technologies कंपनी ने 6 अगस्त 2025 को आयोजित एसएससी स्टेनोग्राफर परीक्षा 2025 (SSC Stenographer Exam 2025) के प्रश्नपत्र में रीजनिंग विषय में 20 से ज्यादा सवाल ‘गणित’ के घुसा डाले हों, जबकि स्टेनोग्राफर परीक्षा में ‘गणित’ विषय तो होता ही नही है. ऐसी वाहियात कंपनी को आखिर देश के डीओपीटी मंत्रालय के मंत्री और एसएससी चेयरमैन आखिर क्यों पैनल पर रखने की जिद पर आमादा होकर, जान-बूझकर देश के होनहार शिक्षित युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने पर आमादा हैं? अरे भाई अगर एक दागी कंपनी की पचास कमियां सामने पड़ी ‘गुर्रा’ रहीं हों या फिर ‘सरकारी सिस्टम को आंख’ दिखा रही हों. तो ऐसी बदनाम ठेका कंपनी से एसएससी की लिखित परीक्षाएं आयोजित करवाने के पीछे भला किसका क्या स्वार्थ है?
कंपनी पर लग चुके हैं पेपर लीक, तकनीकी गड़बड़ियों के आरोप
दरअसल इस वाहियात बदनाम कंपनी का मुंह काला तब हुआ जब हाल ही में (जुलाई अगस्त 2025) Selection Post Phase-13 की लिखित परीक्षा इसी कंपनी ने आयोजित कराई. परीक्षा में गड़बड़ियों की भरमार मिली तो अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए. गुस्साए युवाओं का आरोप था कि इस बदनाम कंपनी ने मध्य प्रदेश में MP-TET (2022), पटवारी भर्ती परीक्षा (2023), महाराष्ट्र में MBA-CET (2023) आदि-आदि परीक्षाएं जब कराईं तब भी इस कंपनी के मुंह पर खूब थूका गया था. यहां तक की इस कंपनी की करतूतों से आजिज कुछ लोग न्यायालय में भी जा पहुंचे. खबरों के मुताबिक यह बेंगलुरू की वही बदनाम Eduquity Career Technologies कंपनी है जिसके ऊपर पूर्व में पेपर लीक, तकनीकी गड़बडियां करने कराने, अनुचित प्रक्रियाओं से जुड़े आरोप भी लगते रहे हैं. ऐसे में फिर वही सवाल कि इस कदर की बदनाम कंपनी को ही आखिर एसएससी की लिखित परीक्षाओं को आयोजित कराने का जिम्मा देश में किसने और क्यों डाला? सोशल मीडिया पर मौजूद खबरें तो यह भी चुगली करती हैं कि इस कंपनी को अतीत में 2 साल के लिए प्रतिबंधित तक कर डाला गया था. ऐसे में भी मौजूदा डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और एसएससी अध्यक्ष एस. गोपालकृष्णन की यह जिद कि चाहे कुछ भी हो जाए, एसएससी इस कंपनी से तो परीक्षा का ठेका रद्द नहीं करेगी. वाह जी वाह. क्यों भाई एक इस कदर की बदनाम कंपनी पर देश की हुकूमत और एसएससी इस कदर मेहरबान क्यों? अगर दाल में कहीं कुछ काला नहीं है?
SSC चेयरमैन को कंपनी में नहीं दिखती कोई गलती
इस सब तमाशे में हमेशा मूकदर्शक ही बने रहने वाले एसएससी चेयरमैन मीडिया रिपोर्ट्स में बताते हैं कि, “Eduquity Career Technologies” का चयन पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया गया. ब्लैकलिस्टेड किसी भी फर्म को टेंडरिंग के चरण में ही अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.” लो अब इनकी सुन लो. मतलब जिस कंपनी की कारस्तानियों कारगुजारियों से देश के लाखों बेरोजगार पीड़ित होकर सड़कों पर रो-बिलख और बिलबिला रहे हैं. वही कंपनी एसएसी चेयरमैन को कहीं से गलत नहीं लगती है. मतलब, यहां हमाम में तो क्या सब नंगे ही हैं? और देश के युवा बेरोजगारों की भविष्य गड्ढे में?





