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EXCLUSIVE: 'SSC' नाम की सरकारी दुकान में बेरोजगारों की पिसती है हड्डी, ये युवाओं को बर्बाद करने का 'मकड़जाल'; Neetu Singh

नीतू सिंह ने स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) को बेरोजगारों को बर्बाद करने वाला ‘सरकारी मकड़जाल’ बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि खराब परीक्षा व्यवस्थाएं, भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते लाखों उच्च शिक्षित युवाओं का भविष्य अंधेरे में जा रहा है. दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे बेरोजगारों और शिक्षकों को पुलिस ने जबरन बसों में भरकर थानों में बंद किया. नीतू मैम ने चेताया कि यदि सरकार और SSC ने सुधार नहीं किया तो आक्रोशित युवा सड़कों पर उतरेंगे.

EXCLUSIVE: SSC नाम की सरकारी दुकान में बेरोजगारों की पिसती है हड्डी, ये युवाओं को बर्बाद करने का मकड़जाल; Neetu Singh
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 3 Aug 2025 6:47 PM IST

इन दिनों भारत के लाखों हजारों उच्च शिक्षित बेरोजगार देश की राजधानी दिल्ली सहित तमाम सूबों की सड़कों पर धक्के खा रहे हैं. इस पर जलालत यह कि इनकी परेशानी सुनकर उसका समाधान करने की बात तो कोई कर नहीं रहा है. सरकारी हुक्मनामों की बेजा हरकतों के हाथों हलकान हुए पड़े इन बिचारों को पुलिस लठिया और ठेल कर बसों में भरकर कभी इस थाना परिसर कभी उस थाना परिसर के धक्के और खिलवा रही है. ऐसे जैसे कि मानों बिचारों ने अपने भविष्य को दांव पर लगा देखकर, इसकी जानकारी हिंदुस्तानी हुकूमत को देने की नाकाम कोशिश करके कोई बहुत बड़ा अपराध कर डाला हो.

दरअसल यह मुद्दा अभी भी तो सिर्फ चिंगारी के ही रूप में है कि, युवा और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक छोटे-छोटे समूहों में बंटकर, इस वक्त सिर्फ और सिर्फ संबंधित विभाग के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलकर उन्हें अपनी समस्याओं और कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी के ‘निकम्मेपन’, और बेरोजगार-विरोधी गतिविधियों से अवगत करवा करके, समस्या का समाधान चाहते हैं. सोचिए अगर किसी दिन आज टुकड़ों में बंटी अभ्यर्थियों की यही भीड़ देश भर से चलकर दिल्ली में पहुंच गई तब, भारत सरकार और एसएसी की किस कदर खुले में बेइज्जती होगी.

समझिए कि SSC है क्या बलाये...?

एसएससी यानी स्टाफ सलेक्शन कमीशन (Staff Selection Commissioner SSC) मतलब कर्मचारी चयन आयोग वह संस्था जो भारत सरकार के डीओपीटी यानी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training DoPT) के तहत संचालित है. इन दोनो ही महकमों-विभागों का संयुक्त माई-बाप है भारत सरकार का कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) है. एसएससी की जिम्मेदारी है कि सालाना लाखों शिक्षित बेरोजगारों के लिए केंद्रीय मंत्रालय और विभागों में रिक्त पड़े पदों की रिक्तियां जारी करेगा. उसके बाद एसएससी इन रिक्त सरकारी पदों पर नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करवाएगा.

पीड़ितों की परछाई से मंत्री खौफजदा

सोचिए कि जिस एसएससी (SSC) को परीक्षा आयोजित करवाने की जिम्मेदारी दी गई हो, वही एसएससी कान में तेल डालकर सो जाए. तब पीड़ित शिक्षित बेरोजगार अपनी शिकायत लेकर कहां जाएंगे? सीधे संबंधित मंत्रालय के पास ही जाएंगे न. और मंत्रालय व मंत्रीजी हैं कि पीड़ितों की परछाई से भी कांप जा रहे हैं. इसका जीता-जागता नमूना तो हाल ही का है कि, जब सैकड़ों बेरोजागर अपने शिक्षकों के साथ दिल्ली में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलने जा रहे थे. तो रास्ते में ही उन्हें सरकारी ‘लठ्ठधारी’ दिल्ली पुलिस ने घेर लिया.

नीतू मैम ने संभाला मोर्चा तो...

इन तमाम मुद्दों को लेकर स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर ने शनिवार (2 अगस्त 2025) को देर रात बात की भारत की मशहूर अंग्रेजी शिक्षा और केडी कैंपस की निदेशक नीतू सिंह (Neetu Singh English Teacher KD Campus Director) से. उन्हीं नीतू सिंह से भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लाखों विद्यार्थी-अभ्यर्थी जिन्हें ‘नीतू मैम’ (Neetu Mam) के नाम से पहचानते और पुकारते हैं. बेरोजगार युवाओं के दुख-दर्द और रग-रग से वाकिफ नीतू सिंह को लगा कि, अब पानी सिर से ऊपर जा रहा है. एसएसी कान में तेल डालकर सो रहा है. एसएसी के इस निकम्मेपन के चलते देश के होनहार शिक्षित युवा बर्बादी-तबाही के गर्त की ओर बढ़ रहे हैं. तब नीतू मैम ने इन बेरोजगारों को पीछे करके, खुद सरकारी तंत्र के सामने जाने का वीणा उठाया.

अकेली नीतू मैम ही नहीं.....

बेरोजगारों के हित में नीतू मैम का साथ देने में जहां देश के कई कोचिंग सेंटर मालिक सरकारी चाबुक के डर से दुम दबाकर ‘बिल’ में घुस गए. तो वहीं मैथ पढ़ाने वाले अभिनय सर, राकेश यादव, अंग्रेजी पढ़ाने वाली रानी मैम सरीखे तमाम शिक्षक नीतू मैम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिल्ली की सड़कों पर आ खड़े हुए. इस जबरदस्त सामंजस्य का नतीजा यह रहा कि, दिल्ली पुलिस को सड़कों पर उतारना पड़ा. ताकि अपनी जायज मांगों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर उतरे यह शिक्षक और बेरोजगार युवा कहीं, इन दिनों संसद के मानसून सत्र में कोई व्यवधान पैदा न कर डालें. सो जैसे ही इन शिक्षकों ने एसएससी के माई-बाप मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलने जाने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने पहले तो इन सबको अपनी लाठियां दिखाकर डराने की कोशिश की. जब बात नहीं बनी तो नीतू सिंह व अन्य शिक्षकों को जबरिया ही बसों में ठूंसकर, दिल्ली के थानों में ले जा कर भर दिया. तब तक के लिए जब तक कि दिल्ली पुलिस इस बात से आश्वस्त नहीं हो गई कि, अब वे लोग सड़कों पर उतरकर अपनी परेशानी बताने के लिए मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलने की जिद नहीं करेंगे.

बहरहाल आखिर यह नौबत आई क्यों कि बेरोजगारी से लड़ रहे युवाओं की समस्याओं के समाधान के लिए युवाओं और शिक्षकों को सड़कों पर उतरना पड़ा? पूछे जाने पर नीतू सिंह बोलीं, “दरअसल एसएससी इस सबके लिए जिम्मेदार है. इस बार हाल ही में एसएससी ने लिखित परीक्षा में इस कदर की घपलेबाजी जाने-अनजाने करवा डाली कि जो अक्षम्य अपराध है. लिखित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा केंद्र सैकड़ों मील दूर कर दिए. परीक्षा केंद्र में बिजली-पंखों तक का इंतजाम नहीं था. कुछ परीक्षा केंद्र तबेलों में बना डाले. कई परीक्षा केंद्रों के बाहर डीजी जोर जोर की कानफोडू आवाज में धमाल मचा रहे थे. सैकड़ों परीक्षा केंद्रों के भीतर मौजूद कंप्यूटर ही काम नहीं कर रहे थे. तो कुछ हजारों कंप्यूटरों के माउस तक मरे हुए से थे. ऐसे में नुकसान तो अंतत: अभ्यर्थी का ही होना है.”

एसएससी की मनमर्जी से बर्बाद होते युवा

स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में नीतू सिंह कहती है, “इन सब बेजा कर्म-कुर्कमों के बाद कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी का तुर्रा यह कि, अब भी वह इस हो चुकी परीक्षा को दुबारा आयोजित नहीं कराएगा. जो परीक्षा जल्दी ही होने वाली है उसमें भी इसी तरह की अव्यवस्था के बीच एसएससी परीक्षा कराने की घटिया बालहठ पर अड़ा बैठा है. यह कहां का न्याय है देश के युवा उच्च शिक्षित बेरोजगारों के साथ. इसका मतलब है कि एसएससी सरकार की मिलीभगत से यह चाहती है कि लिखित परीक्षा की बस खाना-पूर्ति करके आगे बढ़ो. लाखों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी पाने के सपने अगर एसएससी की हठधर्मिता के जूतों के नीचे दब-कुचल रहे हैं तो कुचलने दो. हम लोग ऐसा कैसे और क्यों बर्दाश्त करेंगे?”

युवा भीख नहीं ह़क मांग रहे हैं

अपनी बेबाक बात जारी रखते हुए नीतू सिंह बोलीं, “दरअसल अपनी कमियां-खामियां छिपाने के लिए सरकार, डीओपीटी विभाग और संबंधित मंत्रालय आंखें बंद करके बैठे हैं. क्योंकि जैसे ही वह पीड़ितों की समस्याएं सुनेंगे तो हमाम में पूरा सिस्टम ही नंगा हो जाएगा. सड़कों पर धक्के खा रहे उच्च शिक्षित युवा कोई बेरोजगारी भत्ता तो मांग नहीं रहे हैं. देश के लाखों शिक्षित बेरोजगार युवाओं की मांग है कि उनके लिए लिखित परीक्षा का बेहतर इंतजाम हो जाए. बाकी तो युवा मेहनत खुद ही कर रहे हैं. कौन से वे सरकार और एसएससी के सामने किसी सिफारिश या बैकडोर से भर्ती करवाने का कटोरा हाथ में लेकर पहुंचे हैं सरकार के दरवाजे पर.”

‘SSC’ का मकड़जाल भेदना जरूरी

विशेष बातचीत के दौरान नीतू सिंह स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में नीतू सिंह कहती हैं, “अभ्यर्थियों ने मांग की कि अगर परीक्षा केंद्रों पर सही व्यवस्था अभी कर पाना संभव नहीं था, तो फिर एसएसी ने आंख पर पट्टी बांधकर लिखित-परीक्षा आयोजित ही क्यों करवाई? बच्चों को बता दिया जाता और परीक्षा की तारीख आगे बढ़ा दी जाती. इतना ही नहीं अब जब बर्बाद परीक्षा केंद्र पर परीक्षा में शामिल होने से हताश अभ्यर्थी दुबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं, तब एसएससी और सरकार को यह भी नागवार गुजर रहा है. क्यों भाई पहले तो गलती और फिर उस गलती का सुधार भी नहीं. मतलब, चित भी मेरी और पट भी मेरी. बेरोजगार लाखों अभ्यर्थी जाएं भांड़ में. ऐसे नहीं चलने देंगे. अभी तो हम शिक्षक ही हाथ जोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से वक्त रहते समाधान खोज लेने की गुजारिश हुकूमत और एसएससी से कर रहे हैं. सोचिए कि अगर आक्रोषित बेरोजगार युवा देश की सड़कों पर उतर आया तब हुकूमत और एसएससी कहां मुंह छिपाने को भागेगा? दरअसल एसएससी एक ऐसा सरकारी मकड़जाल और देश के बेरोजगार शिक्षित युवाओं के भविष्य से खेलने का अड्डा बन गया है, जिसे भेदकर तबाह करना जरूरी है. वरना कुछ ही वक्त में एसएससी भारत के बेरोजगारों को रोजगार दिलवाने की संस्था न रहकर कोई परचून की दुकान सी बनकर रह जाएगी. और देश के युवा ऐसा किसी भी कीमत पर होने नहीं देंगे. भले ही एसएससी या भारत की हुकूमत कितना भी जोर लगा ले.”

DELHI NEWSस्टेट मिरर स्पेशल
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