Begin typing your search...

SSC Stenographer-2024: ICS वाली बबिता मैम ने सुनाई SSC स्टेनोग्राफर-2024 रिजल्ट पर मचे ‘बवाल’ की INSIDE STORY

SSC स्टेनोग्राफर-2024 के रिजल्ट ने अभ्यर्थियों में नाराजगी बढ़ा दी है. ICS कोचिंग की निदेशक बबिता त्यागी ने बताया कि गैर-स्किल (नॉन-स्किल) उम्मीदवारों के स्किल कैटेगरी परीक्षा में शामिल होने से लिखित परीक्षा की मेरिट असामान्य रूप से बढ़ गई. इसका खामियाजा स्किल वाले स्टेनोग्राफी अभ्यर्थियों को उठाना पड़ा. उन्होंने सुझाव दिया कि SSC पहले स्किल टेस्ट कराए और केवल पास उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में शामिल करे, ताकि मेरिट निष्पक्ष रहे और असली पात्र उम्मीदवारों को न्याय मिले.

SSC Stenographer-2024: ICS वाली बबिता मैम ने सुनाई SSC स्टेनोग्राफर-2024 रिजल्ट पर मचे ‘बवाल’ की INSIDE STORY
X
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 17 July 2025 7:18 PM IST

साल 2024 बैच स्टेनोग्राफर (SSC-2024 Stenographer Exam Result) की कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी (Staff Selection Commission SSC) का अंतिम-परीक्षा परिणाम हाल ही में घोषित हुआ है. रिजल्ट आने के बाद से ही कोहराम मचा हुआ है. जो आवेदक उत्तीर्ण हो गए वे इस सवाल को लेकर परेशान हैं कि, जब उन्हें अपने शत-प्रतिशत ‘स्टेनो सी-ग्रेड’ में उत्तीर्ण होने की उम्मीद थी, तब फिर वे कैसे ‘डी-ग्रेड’ में आ फंसे. जिन्हें खुद के ‘डी-ग्रेड’ स्टेनोग्राफर बन जाने की उम्मीद थी. एसएससी द्वारा जारी रिजल्ट में आखिर वे सब असफल कैसे हो गए? मतलब, सवालों से जूझ दोनो ही श्रेणियों के आवेदक (सफल-असफल) रहे हैं.

‘डी-ग्रेड’ में आने वाले को खल रहा है या अफसोस इस बात का है कि उसने लिखित परीक्षा सी-ग्रेड में उत्तीर्ण होने वाले दर्जे की दी थी. फिर उसके साथ ‘डी-ग्रेड’ में सलेक्शन का इतना बड़ा ‘खेल’ या यह ‘गजब’ कैसे हो गया? जबकि जो ‘डी-ग्रेड’ भी नहीं पा सके उनके सामने यक्ष प्रश्न यह है कि इस बार एसएससी में (2024 बैच की परीक्षा) स्टेनोग्राफर की ओवर-ऑल मेरिट (SSC Stenographer Result-2024) ही इतनी ऊंची पहुंच गई, जोकि बीते कई दशक से नहीं पहुंच सकी थी. इतनी ऊंची मेरिट पहुंचने की उम्मीद तो स्टेनोग्राफी जैसी बेहद कठिन स्किल में कतई नहीं की जा सकती है.

बबिता मैम-परिमल सर का 'काम' बोलता है

आखिर ऐसा कैसे संभव है? सवाल के जवाब के लिए ‘स्टेट मिरर हिंदी’ के एडिटर इनवेस्टीगेशन ने जब इस खेल के भीतर झांकने की कोशिश की तो, कई मजबूत और सकारात्मक कारण-वजह निकल कर सामने आए. इस इनसाइड स्टोरी को समझने के लिए सबसे पहले बात की गई भारत में लिखित-प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मशहूर, आईसीएस कोचिंग सेंटर की निदेशक बबिता त्यागी (ICS Coaching Babita Mam) से. बबिता त्यागी भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले आवेदकों-स्टूडेंट्स में ‘बबिता मैम’ के नाम से चर्चित हैं.

कलियुग में प्रतियोगी परीक्षार्थियों की ‘लेडी द्रोणाचार्य’

हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, बिहार राज्यों के प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए अगर बबिता मैम ‘दूसरी मां’ हैं, तो वहीं दूसरी ओर इनके पति ‘परिमल सर’ इन बच्चों को लिए ‘दूसरे पिता’ हैं. इनके आईसीएस कोचिंग सेंटर (Babita Mam ICS Coaching Centre) की जन्म-स्थली चूंकि हरियाणा है. लिहाजा हरियाणा के शहर-गांव-कस्बों में रहने वाले हर तबके के प्रतियोगी-परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों के लिए तो यह कोचिंग और, त्यागी दंपत्ति महाभारत के ‘गुरु-द्रोणाचार्य’ से कम नहीं हैं. इनमें भी बबिता मैम को तो उनके चाहने वालो लाखों बच्चों में कई हजारों तो अपने लिए कलियुग की ‘लेडी गुरु द्रोणाचार्य’ कहने में भी पीछे नहीं रहते हैं.

‘स्किल’ और ‘नॉन-स्किल’ का तमाशा

आखिर साल 2024 एसएससी स्टेनोग्राफर पास-आउट बैच के आवेदकों में इस कदर ‘ऊंची’ मेरिट को लेकर गुस्सा क्यों है? पूछने पर बबिता त्यागी बोलीं, “दरअसल हम और हमारा कोचिंग सेंटर हर तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं. हमारे लिए सभी आवेदक-परीक्षार्थी एक स्टूडेंट है. मामला दरअसल फंसता तब है इन बच्चों का जब तमाम स्किल वर्ग के रिक्त पद की लिखित परीक्षाओं में (एसएससी द्वारा आयोजित) भी नॉन-स्किल के अभ्यर्थी-आवेदक शामिल हो जाते हैं. जबकि नॉन-स्किल के बच्चे तो लिखित परीक्षा पास करके भी स्टेनोग्राफर या कोई भी स्किल वाली वैकेंसी को ज्वाइन ही नहीं कर सकते हैं. जो आवेदक नॉन-स्किल वैकेंसी वाले हैं फिर वे वह अपनी तैयारी का ट्रायल (आंकलन) करने के लिए स्किल (स्टेनोग्राफी, पुलिस, अर्धसैनिक बल) वाली कैटेगरी की लिखित-परीक्षा में शामिल हो जाते हैं. इससे नुकसान सबसे ज्यादा स्किल श्रेणी वाले आवेदकों (स्टेनोग्राफी, पुलिस, अर्धसैनिक बल) को उठाना पड़ता है.”

‘स्किल’ वालों के जी का जंजाल हैं ‘नॉन-स्किल’ वाले

स्किल वाले जो आवेदक पुलिस-अर्धसैनिक बलों के लिए आवेदन करते हैं. वे फिजिकली तो फिट होते हैं. मगर अक्सर वे जब लिखित परीक्षा का परिणाम आता है तो उसकी मेरिट से बाहर हो जाते हैं. मेरिट से बाहर होने की वजह यह है कि, स्किल वाली रिक्त वैकेंसी के अगेन्स्ट जब नॉन-स्किल वाले बच्चे लिखित-परीक्षा में बैठते हैं तो वह लिखित परीक्षा की मेरिट हाई कर जाते हैं. मगर इसमें इन नॉन-स्किल (सीजीएल, एमटीएस आदि...) वाले आवेदकों का कोई नुकसान नहीं होता है न ही उनका कोई फायदा ही होता है. क्योंकि वे तो सिर्फ यह परखने के लिए लिखित परीक्षा में स्किल वालों के साथ शामिल होते हैं, ताकि उन्हें अपनी खुद की नॉन-स्किल की लिखित-परीक्षा की तैयारी का अंदाजा पहले से मिल सके. जबकि नॉन-स्किल वालों की इस बेजा हरकत के चलते स्टेनोग्राफी, अर्धसैनिक बल, पुलिस जैसी स्किल वैकेंसी के आवेदकों (शॉर्टहैंड स्टेनो, पुलिस अर्ध-सैनिक बल) की मुसीबत हो जाती है. क्योंकि नॉन-स्किल वाले बच्चे स्किल वाले आवेदकों के साथ लिखित परीक्षा में बैठकर, उसकी मेरिट को बहुत ऊंचा करके गायब हो जाते हैं. नॉन-स्किल वालों की इस बेजा-बेहूदा हरकत से मगर मुसीबत स्किल वाले बच्चों-आवेदकों की हो जाती है.

अगर SSC चाहे तो समस्या तुरंत दूर हो जाए

इस समस्या का समाधान क्या है ताकि नॉन-स्किल वाले स्किल वाली वैकेंसी वाले परीक्षार्थियों-अभ्यर्थियों के साथ लिखित-परीक्षा में शामिल होने से रोके जा सकें. ताकि स्किल (स्टेनोग्राफी इत्यादि) के आवेदकों के साथ न्याय हो सके. स्किल वालों की लिखित परीक्षा की मेरिट को बे-वजह ही नॉन-स्किल वालों द्वारा ऊंचा पहुंचाने से रोका जा सके? 'स्टेट मिरर हिंदी' के सवाल के जवाब में बबीता त्यागी कहती हैं, “दरअसल यह व्यवस्था-प्रधान बेहद अहम सवाल और समस्या है. जिसका इलाज सिर्फ और सिर्फ भारत सरकार के डीओपीटी डिपार्टमेंट (Department of Personnel & Training. It is a department within the Government of India's Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions. Do PT) और एसएससी (Service Selection Commission SSC) यानी भारत के कर्मचारी चयन आयोग मतलब एसएससी के पास ही है. एसएससी अगर ईमानदारी से चाह ले तो यह विकट समस्या शीघ्र दूर हो सकती है. इससे सिर्फ स्किल वाले आवेदकों का ही भला नहीं होगा अपितु, भारत सरकार के केंद्रीय विभागों और मंत्रालयों को सही समय पर अच्छे स्टेनोग्राफर, पुलिस जवान, अर्धसैनिक बल को जवान भी मिल सकते हैं.”

स्किल वाले आवेदकों के साथ न्याय ऐसे संभव है

बबिता त्यागी अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहती हैं, “होना यह चाहिए कि जो स्किल वाली रिक्तियों की लिखित परीक्षा होती है. उसमें किसी भी तरह से नॉन-स्किल वाले आवेदकों को परीक्षा देने से रोका जाए. या फिर इस समस्या का दूसरा समाधान है कि स्किल परीक्षा (स्टेनोग्राफी-टाइपिंग, पुलिस-अर्धसैनिक बलों के लिए फिजिकल टेस्ट) पहले ले ली जाए. स्किल परीक्षा में जो आवेदक उत्तीर्ण हों उन्हीं को स्किल के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की जाए. मतलब, जो पहले ही स्किल टेस्ट पास कर चुके हों वे ही जब लिखित परीक्षा में शामिल होंगे, तब नॉन-स्किल वाले उन आवेदकों का लिखित परीक्षा में बे-वजह घुसना, अपने आप ही रुक जाएगा जिनका स्टेनो-पुलिस, अर्धसैनिक बल यानी स्किल रिक्तियों से (फिजिकला परीक्षा-शॉर्टहैंड आदि) दूर-दूर तक का कोई लेना-देना ही नहीं होता है.

नॉन-स्किल वालों की घुसपैठ रोकना जरूरी

ऐसे में जब एसएससी नॉन-स्किल अभ्यर्थी (SSC CGL MTS Candidate) स्किल (SSC Skill Shorthand Physical Test) वाली परीक्षा में उत्तीर्ण ही नहीं होंगे. तब वे स्किल वाले अभ्यर्थियों के साथ लिखित परीक्षा में ही बैठने के काबिल भी नहीं बचेंगे. तब फिर ऐसे में स्किल वालों की मेरिट भी उनकी अपनी हैसियत के हिसाब से बनेगी. और एसएसी को भी समय से अच्छे स्टेनोग्राफर मिल सकेंगे. सबसे बड़ा इसका यह फायदा होगा कि स्किल वाले होनहार युवा आवेदक खुद को ‘हीन-भावना’ से ग्रसित महसूस नहीं करेंगे. क्योंकि स्किल वालों के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में तो नॉन-स्किल वाला कोई वो आवेदक घुसपैठ करके लिखित परीक्षा की मेरिट को यूं ही बैठे-बिठाए ऊंचा पहुंचाकर, उसका सत्यानाश ही नहीं कर पाएगा, जो स्किल वाले आवेदकों के लिए दुखदायी बन सके.”

SSC स्टेनोग्राफी 2024 बैच की नाराजगी जायज है

स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में आईसीएस वाली बेबाक बबिता मैम आगे कहती हैं, “अभी दो चार दिन पहले एसएससी 2024 बैच वालों (स्टेनोग्राफी) का रिजल्ट आया है. इस रिजल्ट से सैकड़ों-हजारों आवेदक बेहद निराश हैं. उनकी निराशा लाजिमी है. क्योंकि 2024 बैच (स्टेनोग्राफी) के जो आवेदक हर हाल में सी ग्रेड स्टेनोग्राफर शॉर्टहैंड के साथ-साथ, लिखित-परीक्षा भी क्वालीफाई कर जाने की पूरी उम्मीद में थे. नॉन-स्किल वाले आवेदक, जिनका स्किल श्रेणी की रिक्तियों से दूर दूर तक का कोई वास्ता ही नहीं था, वे सिर्फ अपने ‘मॉक-टेस्ट’ (SSC Mock Tests) के लिए स्किल श्रेणी के आवेदकों के साथ बैठकर, लिखित परीक्षा की मेरिट हाई करके आगे चलते बने.

SSC अगर स्किल श्रेणी के साथ ईमनदार है तो...

ऐसे में लिखित परीक्षा की मेरिट हाई होने का फायदा भले ही नॉन-स्किल वाले अभ्यर्थियों को रत्ती भर न हुआ हो. मगर सीधे-सीधे स्टेनोग्राफी-शॉर्टहैंड वाले अभ्यर्थियों का वे बैठे-बिठाए बहुत बड़ा नुकसान जरूर कर गए. यह एसएससी का कहां का और कैसा नियम है? इस पर तो भारत सरकार और कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी शीघ्र गंभीरता से विचार करना होगा. अगर एसएससी स्किल वाले बेरोजगार युवाओं को वास्तव में स्थाई-सरकारी रोजगार देने के लिए ईमानदार है.

इसलिए स्किल वाले आवेदक निराश हैं

लिखित परीक्षा की मेरिट तो हाई हुई नॉन स्किल वालों के शामिल होने से. जबकि उसका खामियाजा भोगना पड़ा स्किल वाले यानी स्टेनोग्राफर्स की परीक्षा वालों को. मेरिट हाई होने का ही नतीजा रहा कि जिन आवेदकों को सी ग्रेड स्टेनोग्राफर में हर हाल में पहुंचने की उम्मीद थी. वे डी ग्रेड में आकर फंस-लटक गए. और जिन्हें डी ग्रेड मिलने की उम्मीद थे वे सब चूंकि लिखित परीक्षा की हाई मेरिट में खुद को नहीं ला सके. तो वे स्किल पास करने के बाद भी डी के काबिल भी नहीं बचे.”

India Newsस्टेट मिरर स्पेशल
अगला लेख