जवानों पर पेट्रोल बम से हमला, 400 लोगों का पलायन और इंटरनेट बंद; जानें कैसी है मुर्शिदाबाद की स्थिति
वक्फ अधिनियम में संशोधन के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा ने हालात बिगाड़ दिए हैं. तीन की मौत, दर्जनों घायल और कई दुकानें जलीं. बीजेपी का दावा है कि 400 लोग पलायन कर चुके हैं. केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाते हुए 15 कंपनियां भेजी हैं. अफवाहों पर काबू पाने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद है. राज्यपाल और हाईकोर्ट की एंट्री ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर उपजे विरोध ने अब राजनीतिक और प्रशासनिक तनाव का रूप ले लिया है. हिंसक झड़पों के बाद केंद्र सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए सीआरपीएफ और बीएसएफ की कुल 15 कंपनियों को इलाके में तैनात कर दिया है. मामला अब सिर्फ स्थानीय विरोध का नहीं रहा, बल्कि यह केंद्र और राज्य के बीच अधिकार, नियंत्रण और राजनीति की टकराहट में बदल चुका है.
मुर्शिदाबाद के समशेरगंज और सुती में शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद हालात इतने बिगड़े कि केंद्र को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर अर्धसैनिक बल भेजने पड़े. हिंसा में तीन लोगों की मौत और कई दर्जन के घायल होने के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी आग के हवाले कर दिया गया. स्थानीय जनता भयभीत है और पलायन की खबरें भी सामने आई हैं. बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि हिंसा के बाद धुलियान से 400 लोग पलायन कर चुके हैं.
TMC ने फर्जी तस्वीरें शेयर करने का लगाया आरोप
घटना के मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों को लेकर एक और विवाद खड़ा हो गया है. तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर फर्जी तस्वीरें शेयर कर माहौल भड़काने का आरोप लगाया है. कुणाल घोष ने दावा किया कि जो तस्वीरें दिखायी जा रही हैं, वे मुर्शिदाबाद की नहीं बल्कि लखनऊ, कर्नाटक और जालंधर की पुरानी घटनाओं की हैं. इससे विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं.
जवानों पर फेंके गए पेट्रोल बम
बीएसएफ और सीआरपीएफ की टुकड़ियों पर कथित रूप से पेट्रोल बम और पत्थरबाज़ी की घटनाओं के बाद सुरक्षा व्यवस्था और सख्त कर दी गई है. बीएसएफ के साउथ बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी ने पुष्टि की है कि बल पर जानलेवा हमले हुए, लेकिन कोई गंभीर घायल नहीं है. प्रशासन के अनुसार स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन संवेदनशील इलाकों में रूट मार्च जारी है.
कई जगहों पर इंटरनेट बंद
इस बार का संकट केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं रहा. अफवाहों और सोशल मीडिया की भूमिका ने हालात को और जटिल बना दिया है. इसलिए प्रशासन ने ना सिर्फ मुर्शिदाबाद, बल्कि मालदा और बीरभूम के कुछ हिस्सों में भी इंटरनेट सेवाएं 15 अप्रैल रात 10 बजे तक बंद रखने का निर्णय लिया है. यह संचार नियंत्रण, जनता और विपक्ष दोनों के बीच चिंता का विषय बन गया है.
राज्यपाल ने सीएम से की बात
इस घटना ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी सक्रिय कर दिया है. राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात कर स्थिति पर रिपोर्ट ली और जनता को संबोधित वीडियो जारी किया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि “उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा,” लेकिन उनके भाषण के अंत में दिए गए बंगाली नारों ने संकेत दिया कि वह केवल प्रशासक ही नहीं, एक राजनीतिक संदेशवाहक भी हैं.
बीजेपी कानून व्यवस्था पवार उठा रही सवाल
घटना के बहाने राजनीतिक पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र अपने-अपने आधारों को मज़बूत करने की कोशिश करती दिख रही है. भाजपा इसे कानून व्यवस्था और धर्म से जोड़ने की कोशिश कर रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस इसे बाहरी हस्तक्षेप और अफवाहों की साज़िश बता रही है. केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि क्या यह केवल शांति स्थापित करने के लिए है, या कोई राजनीतिक एजेंडा भी काम कर रहा है?
कैसी है स्थिति?
मुर्शिदाबाद में ताज़ा हालात फिलहाल काबू में बताये जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन, सुरक्षा बल और राजनीतिक दलों को यह समझना होगा कि संचार पर पाबंदी और सुरक्षाबलों की मौजूदगी सिर्फ अस्थायी समाधान हैं. असल समाधान तब होगा जब स्थानीय जनता के बीच भरोसे की बहाली हो, और संवाद के रास्ते खुले रहें. वरना वक्फ अधिनियम का यह विरोध बंगाल की सियासत में एक नई दरार पैदा कर सकता है.