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EXCLUSIVE: तहव्वुर राणा की दुर्गति देख लंदन में इस भारतीय भगोड़े की नींद उड़ी

भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के एक पूर्व उच्च पदस्थ अधिकारी कहते हैं, “विजय माल्या को जब तक ब्रिटिश हुकूमत भारत प्रत्यार्पित नहीं करेगी, तब तक वह आराम से लंदन में रहेगा. भले ही लंदन की बड़ी से बड़ी कोर्ट भी उसके प्रत्यर्पण के लिए क्यों न लिख दे. ब्रिटिश हुकूमत तब तक विजय माल्या को भला सोचिए भारत के हवाले क्यों करेगी? जब तक विजय माल्या लंदन में खुद को सुरक्षित छिपाए रखने की एवज में मोटी रकम झोंकता रहेगा.”

EXCLUSIVE: तहव्वुर राणा की दुर्गति देख लंदन में इस भारतीय भगोड़े की नींद उड़ी
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 15 April 2025 1:04 PM IST

अपराध जगत की दुनिया में इन दिनों मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) के प्रत्यर्पण से, हिंदुस्तान को छोड़कर बांग्लादेश से लेकर पाकिस्तान, ब्रिटेन तक में कोहराम मचा है. 16 साल बाद अमेरिका से घसीट कर ले आया गया तहव्वुर राणा भी नहीं समझ पा रहा है कि भारत में अब, उसका अंत कब और कैसा होगा? तहव्वुर राणा के मुद्दे पर पाकिस्तान पहले ही बिलख रहा है. तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के कोहराम के बीच अब भारतीय जांच और खुफिया एजेंसियों की नजरें अब ‘लंदन’ में छिपे अपने दूसरे मोस्ट वॉन्टेड भगोड़े पर जा टिकी हैं.

दरअसल, यह अंदरूनी लेकिन भारत के लिए बेहद अहम खबर, रविवार (13 अप्रैल 2025) को ‘स्टेट मिरर’ के हाथ तब लगी, जब 'स्टेट मिरर' के एडिटर क्राइम संजीव चौहान ने, भारतीय खुफिया एजेंसी (इंटेलीजेंस ब्यूरो), जांच एजेंसी एनआईए और भारत की इंटरनेशनल खुफिया एजेंसी ‘रॉ’, केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई के कुछ उच्च पदस्थ सूत्रों को खंगाला. सबने मिलकर ‘स्टेट मिरर हिंदी’ के पास मौजूद खबर की पुष्टि तो की मगर, अपनी पहचान उजागर न किए जाने की शर्त पर.

'पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं'

इस मामले में बात करने पर सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के पूर्व विशेष निदेशक स्तर के एक अधिकारी बोले- ‘देखिए गोरों (अंग्रेजों) के लिए सबसे बड़ी चीज पैसा है. वे पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं. विजय माल्या भी आर्थिक धोखाधड़ी का ही भारत से भगोड़ा घोषित आरोपी है. ऐसे में बेशक विजय माल्या को भारत लाने को लेकर हमेशा हमारी एजेंसियां (जांच और खुफिया) सतर्क रहती ही हैं. मुश्किल यह है कि हजारों करोड़ के आर्थिक घोटालों का आरोपी विजय माल्या, लंदन में वहां के लोगों को रिश्वत देकर उन्हें अपने मुताबिक सेट नहीं कर लेगा? इसकी क्या गारंटी है?

''आराम से लंदन में रहेगा विजय माल्या''

भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के एक पूर्व उच्च पदस्थ अधिकारी कहते हैं, “विजय माल्या को जब तक ब्रिटिश हुकूमत भारत प्रत्यार्पित नहीं करेगी, तब तक वह आराम से लंदन में रहेगा. भले ही लंदन की बड़ी से बड़ी कोर्ट भी उसके प्रत्यर्पण के लिए क्यों न लिख दे. ब्रिटिश हुकूमत तब तक विजय माल्या को भला सोचिए भारत के हवाले क्यों करेगी? जब तक विजय माल्या लंदन में खुद को सुरक्षित छिपाए रखने की एवज में मोटी रकम झोंकता रहेगा.”

'विजय माल्या को कई साल से तलाश रहीं भारतीय एजेंसियां'

दो साल पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में तैनात रहे एक अधिकारी के मुताबिक, “बेशक तहव्वुर राणा की तुलना में भारत का भगोड़ा घोषित विजय माल्या कुछ भी न हो, लेकिन हजारों करोड़ का आर्थिक अपराध तो विजय माल्या के स्तर से कम छोटा तो नहीं है न. उसे भी भारतीय एजेंसियां कई साल से तलाश रही हैं.”

'ब्रिटेन भी कैसे चैन से रह सकता है'

इस सबके एकदम उलट सीबीआई के एक रिटायर्ड विशेष निदेशक कहते हैं, ‘दरअसल अमेरिका जैसे देश के जबड़े से 16 साल बाद ही क्यों न सही. जब हमारी एजेंसियां 26/11 मुंबई (Mumbai Attack) हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Terrorist Tahawwur Rana) को घेरकर भारत ला सकती हैं. तो फिर ऐसे में अब विजय माल्या को अपनी मांद में शरण देकर, भला ब्रिटेन (लंदन) भी कैसे चैन से रह सकता है? हीनियस क्राइम या कत्ल-ए-आम की नजर से तो फरार विजय माल्या, आतंकवादी तहव्वुर राणा की तुलना में ‘शून्य’ है. मगर उसने आर्थिक घोटाला तो हजारों करोड़ का किया है.”

'बैंकों की तरफ से पारदर्शिता का रहा अभाव'

हालांकि, वहीं दो दिन पहले ही विजय माल्या (Vijay Mallya) मामले में लंदन में एक बड़ा डेवलपमेंट सामने आया है. लंदन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर एंथनी मन (मान) को माल्या के वकील ने बताया है कि, भारत में की गई वसूली के बाबत बैंकों की तरफ से पारदर्शिता का अभाव रहा है. भारत के पूर्व राज्यसभा सांसद और अब भगोड़ा घोषित बदनाम कारोबारी विजय माल्या ने, जुलाई साल 2021 के दिवालियापन आदेश के खिलाफ लंदन उच्च न्यायालय में, बीते बुधवार को अपील लगाई थी. यह अपील 1.28 बिलियन पाउंड के ऋण से संबंधित है जो, उसे (विजय माल्या को) भारतीय स्टेट बैंक सहित उधारदाताओं को देना बाकी है.

यहां जिक्र करना जरूरी है कि साल 2018 में भारत की बैंकों द्वारा दायर की गई एक याचिका के बाद, लंदन में मुख्य दिवालिया और कंपनी मामलों की अदालत के जज ब्रिग्स ने, विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया था. वो याचिका अब बंद हो चुकी विजय माल्या की हवाई जहाज कंपनी किंगफिशर एअरलाइंस को, लोन देने के लिए कर्जदाताओं को दी गई निजी गारंटी के आधार पर दायर की गई थी.

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