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Inside Story: तहव्वुर राणा के साथ ‘हेडली’ क्यों नहीं मिला? CBI और RAW के पूर्व अफसरों का खुलासा

अमेरिका ने तहव्वुर राणा को भारत के हवाले करके और दूसरी ओर वहीं भारत के दूसरे मोस्ट वांटेड आतंकवादी हेडली को भारत के हवाले न करके. एक तीर से कई निशाने साधे हैं. हेडली, मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों का गुनहगार भी है. हेडली अमेरिका का भी मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट है.

Inside Story: तहव्वुर राणा के साथ ‘हेडली’ क्यों नहीं मिला? CBI और RAW के पूर्व अफसरों का खुलासा
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 15 April 2025 1:04 PM IST

भारत की औद्योगिक राजधानी और बॉलीवुड मुंबई को 26/11 (साल 2008 में) में हिला देने वाले कत्ल-ए-आम में, 166 लोगों का खून बहाने के मुख्य षडयंत्रकारियों में तो, तहव्वुर राणा के साथ-साथ डेविड कॉलमेन हेडली (अमेरिकी जेल में बंद सजायाफ्ता आतंकवादी-मुजरिम) भी बराबर का ही भागीदार रहा है.

फिर अमेरिका ने 16 साल चली थका देने वाली कानूनी-लड़ाई के बाद भी, केवल तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को ही भारत के हवाले क्यों किया? अमेरिका (America) ने तहव्वुर के साथ दूसरा मुख्य षडयंत्रकारी और भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी डेविड कोलमेन हेडली, भारत के हवाले क्यों नहीं किया? जबकि मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमलों में तहव्वुर राणा और हेडली (David Coleman Headley alias Dawood Sayed Gilani Terrorist) बराबर के गुनहगार हैं?

इस बेहद अहम मगर पेचीदा सवाल का सटीक जवाब जानने को ‘स्टेट मिरर’ के एडिटर क्राइम संजीव चौहान ने शनिवार (12 अप्रैल 2025) को, नई दिल्ली में मौजूद भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI केंद्रीय जांच ब्यूरो) और, खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ (RAW) के पूर्व अफसर से बात की. यह अफसरान हैं सीबीआई के रिटायर्ड संयुक्त निदेशक और 1993 मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के लिए बनी सीबीआई की एसआईटी के चीफ रहे शांतनु सेन तथा, अमेरिका, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान, कई मुसलिम देशों सहित (अरब कंट्रीज) ब्रिटेन (लंदन) में भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ में, कई साल काम कर चुके एन के सूद. दोनों ही पूर्व अफसरों का बेहद चौंकाने वाला जवाब तकरीबन एक सा ही निकल कर सामने आया.

बकौल ‘रॉ’ (Ex RAW Officer) के पूर्व अधिकारी एन के सूद (Ex Raw NK Sood), ‘यह बात सही है कि साल 2008 में 26/11 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के लिए हेडली और तहव्वुर राणा, भारतीय और अमेरिका एजेंसियों की नजर में बराबर के गुनहगार और बराबर की ही सजा के ह़कदार हैं.

अमेरिका ने दरअसल यहां बड़े दिमाग यानी चतुराई से काम लिया है. अमेरिका ने तहव्वुर राणा को भारत के हवाले करके और दूसरी ओर वहीं भारत के दूसरे मोस्ट वांटेड आतंकवादी हेडली को भारत के हवाले न करके. एक तीर से कई निशाने साधे हैं. अमेरिका यहां सामरिक, राजनीतिक, विदेश नीति, प्रत्यर्पण संधि (भारत अमेरिका के बीच), कूटनीतिक यानी हर पायदान पर अपना 'काम' साध गया है.’

अमेरिका के लिए तहव्वुर राणा ‘फालतू’

एन के सूद आगे कहते हैं, ‘अमेरिका ने दरअसल तहव्वुर राणा को 16 साल की जद्दोजहद के बाद ही सही, इसलिए भारत को दिया है क्योंकि तहव्वुर राणा अमेरिका के किसी काम का नहीं था. उल्टे, तहव्वुर राणा अमेरिका के लिए बीते सोलह साल से (26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद से ही) एक फालतू की या कहिए कि, अनचाही जिम्मेदारी और सिरदर्द बना हुआ था. टेररिस्ट तहव्वुर राणा तो भारत का अपराधी था, है और आइंदा भी कानूनन रहेगा ही. अमेरिका तो 16 साल से तहव्वुर राणा को सुरक्षित रखकर, उसे पालने-पोसने पर फालतू में ही अपनी मोटी रकम सालाना पानी में बहा रहा था.’

सीबीआई के रिटायर्ड संयुक्त निदेशक शांतनु सेन (Shantanu Sen) बोले, ‘तहव्वुर राणा को फोकट में अपने यहां पालना जब अमेरिका को फालतू का खर्चा लगा. अमेरिका को लगा कि इस वक्त अपने दुश्मन चीन, चीन के दोस्त और भारत के दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तान, बांग्लादेश की अकल ठिकाने पर लाने का सही मौका है. भारत को भी अपने और करीब लाने का यही सही अवसर है. तो अमेरिका ने अपनी जेल में कई साल से बंद पड़े और अमेरिका के लिए एकदम फालतू, मगर भारत का मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट तहव्वुर राणा, प्रत्यर्पण संधि का सहारा लेकर भारत को थमा दिया. चूंकि आतंकवादी तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का है. इसलिए भारत को भी पाकिस्तान को नीचा दिखाने का अवसर, अमेरिका ने घर बैठे दे दिया.’

तहव्वुर के बहाने कनाडा से हिसाब बराबर

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की मुंबई सीरियल ब्लास्ट(Mumbai Serial Blast1993) की जांच के लिए गठित स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के सर्वेसर्वा रह चुके और, सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक शांतनु सेन और रॉ के पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी एन के सूद आगे कहते हैं, ‘बीते करीब एक साल से भारत और अमेरिका दोनो के ही रिश्ते कनाडा (Canada) से बेहद खराब चल रहे हैं. ऐसे में अमेरिका ने कनाडा की नागरिता प्राप्त पाकिस्तानी (Pakistan) मूल के नागरिक और, भारत के मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट तहव्वुर राणा को भारत के हवाले करके, कनाडा से अपना हिसाब बराबर कर लिया है. ऐसे में कनाडाई नागरिकता हासिल अपने मोस्ट वॉन्टेड तहव्वुर राणा को पकड़ कर, भला भारत क्यों नहीं खुश होगा!’

पूर्व रॉ और सीबीआई अफसरों से तहव्वुर राणा के साथ ही डेविड कॉलमेन हेडली, अमेरिका द्वारा भारत को न सौंपे जाने के सवाल का संयुक्त रूप से जवाब और भी ज्यादा चौंकाने वाला मिला. जिसके मुताबिक, ‘तहव्वुर राणा भारत का मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट है. अमेरिका का नहीं. इसलिए अमेरिका ने तहव्वुर राणा भारत के हवाले कर दिया. डेविड कॉलमेन हेडली (David Coleman Headley alias Dawood Sayed Gilani) उर्फ दाउद सैय्यद गिलानी जबकि, अमेरिका का नागरिक और पाकिस्तान के आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा का खतरनाक आतंकवादी है.

हेडली, मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों का गुनहगार भी है. हेडली अमेरिका का भी मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट है. लंबे समय से अमेरिका की जेल में कैद हेडली अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर लगातार हुए दो हवाई हमलों का भी गुनहगार है. इसलिए संभव है कि अमेरिका ने तहव्वुर राणा को भारत भेजकर, और हेडली को अपने शिकंजे में रखकर, हेडली से उसके गुनाहों का आइंदा हिसाब बराबर करने के लिए, उसे (हेडली) भारत के हवाले एक सोची-समझी रणनीति के तहत न किया हो. संभव है कि खास रणनीति के तहत ही भारत ने भी, अमेरिका पर यह दबाव न दिया हो कि वह (अमेरिका) हेडली को तहव्वुर राणा के साथ ही भारत को सौंपे.’

बहुत काम का है ‘डेविड कॉलमेन हेडली’

हालांकि, यहां जिक्र किया जाना जरूरी है कि हेडली अमेरिका में रहते हुए भी भारत के कई काम साध रहा है. भले ही उसे क्यों न अमेरिका में 24 जनवरी 2013 को 35 साल की सजा सुनाई जा चुकी हो. मगर अमेरिकी खुफिया और जांच एजेंसियां इस बात का दावा पहले ही कर चुकी हैं कि हेडली ने ही, मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमलों का डिटेल ब्योरा अमेरिकन एजेंसीज को दिया था. वो भी अमेरिका में सरकारी गवाह बनकर. तो ऐसे ‘काम’ के आदमी हेडली को भला अमेरिका, भारत के हवाले करने में जल्दबाजी क्यों करेगा?

तहव्वुर राणा
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