SIR बना BLO के लिए जानलेवा! 16 की मौत, 60 पर FIR और बंगाल में बवाल, पढ़ें अबतक क्या-क्या हुआ?
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सिर्फ तीन हफ्ते में पूरे देश में 16 BLO अपनी जान गंवा चुके हैं. इतना भारी दबाव और तनाव डाला जा रहा है कि कर्मचारी मर रहे हैं. भारत दुनिया को सबसे अच्छा-अच्छा सॉफ्टवेयर बनाकर देता है, लेकिन हमारे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आज भी 22 साल पुरानी मतदाता सूची के स्कैन किए हुए पन्ने पलट-पलटकर अपना नाम ढूंढना पड़ता है.
भारत में हर नागरिक का एक वोट बहुत बड़ी ताकत होता है. अगर वोटिंग लिस्ट (मतदाता सूची) में गलत नाम, डुप्लीकेट नाम या मर चुके लोगों के नाम रह जाएं, तो लोकतंत्र कमजोर पड़ता है. इसी समस्या को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने पूरे देश में 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' यानी SIR नाम का एक बड़ा अभियान शुरू किया है. इसका मतलब है कि मतदाता सूची को पूरी तरह साफ-सुथरा और एकदम सही बनाना।इस अभियान में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जा रहे हैं. वे हर व्यक्ति से मिलकर यह पता कर रहे हैं कि कौन अभी जिंदा है, कौन उस पते पर रहता है, कौन नया वोटर बना है, कौन कहीं और चला गया है और कौन मर चुका है.
गलत या पुरानी एंट्री को हटाया जा रहा है और नई एंट्री जोड़ी जा रही है. सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि इससे हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा, धांधली की गुंजाइश कम होगी और हर सच्चे नागरिक का वोट सही जगह पहुंचेगा. लेकिन इस अभियान को लेकर बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूरा विपक्ष इसे गलत बता रहा है. राहुल गांधी का कहना है कि यह सुधार का काम नहीं, बल्कि आम जनता को परेशान करने और वोटिंग से दूर भगाने की सोची-समझी साजिश है.
डिजिटल सर्च का नामोनिशान नहीं
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सिर्फ तीन हफ्ते में पूरे देश में 16 BLO अपनी जान गंवा चुके हैं. इतना भारी दबाव और तनाव डाला जा रहा है कि कर्मचारी मर रहे हैं. भारत दुनिया को सबसे अच्छा-अच्छा सॉफ्टवेयर बनाकर देता है, लेकिन हमारे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आज भी 22 साल पुरानी मतदाता सूची के स्कैन किए हुए पन्ने पलट-पलटकर अपना नाम ढूंढना पड़ता है. डिजिटल सर्च का नामोनिशान नहीं है. इस पूरी प्रक्रिया को जानबूझकर इतना मुश्किल बनाया गया है कि आम आदमी थक-हारकर चुप हो जाए और वोट डालने न आए. इससे वोट चोरी करना आसान हो जाता है. उनका सीधा आरोप है कि नीयत साफ होती तो मतदाता सूची को एक क्लिक में नाम सर्च करने लायक बना दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा. इसका मतलब यह अभियान लोकतंत्र बचाने के लिए नहीं, सत्ता बचाने के लिए चलाया जा रहा है.
60 से ज्यादा BLO और 7 सुपरवाइजर के खिलाफ FIR
उधर उत्तर प्रदेश में तो हालात और भी सख्त हो गए हैं. नोएडा में 60 से ज्यादा BLO और 7 सुपरवाइजर के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है. वजह सिर्फ इतनी कि वे समय पर ड्यूटी पर नहीं पहुंचे या पूरा काम नहीं कर पाए. बहराइच में भी दो BLO को सस्पेंड कर दिया गया और एक के खिलाफ केस दर्ज हुआ. प्रशासन का कहना है कि मतदाता सूची को साफ करना राष्ट्रीय कर्तव्य है, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।BLO कर्मचारियों की हालत बहुत खराब हो गई है. उन्हें सुबह से रात तक बिना छुट्टी के घर-घर जाना पड़ रहा है. फॉर्म भरवाना, पुरानी लिस्ट से मिलान करना, आधार-पैन जैसे दस्तावेज चेक करना, फोटो खींचना, मृतकों और डुप्लीकेट नाम हटाना सारा काम इन्हीं पर है और समय बहुत कम दिया गया है. लखनऊ में एक BLO की ड्यूटी के दौरान ही मौत हो गई साथी कर्मचारियों का कहना है कि ओवरवर्क और तनाव की वजह से उनकी जान गई. कई जगह कर्मचारी रोते-बिलखते दिख रहे हैं, लेकिन ऊपर से लगातार दबाव बनाया जा रहा है.
इस बार का SIR का दूसरा चरण पहले वाले चरणों से कहीं ज्यादा सख्त है। अब BLO को ये सारे काम मौके पर ही करने पड़ रहे हैं:नया फॉर्म भरवाना
-पुरानी मतदाता सूची से मिलान करना
-फॉर्म-6, फॉर्म-7, फॉर्म-8 जैसे सारे कागजात तुरंत पूरा करवाना
-घर जाकर हर व्यक्ति का सत्यापन करना
-मृतक, डुप्लीकेट, बाहर चले गए लोगों के नाम तुरंत हटाना





