Begin typing your search...

या तो वो मरता या हम, दूसरा कोई... सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर गोल्डी बराड़ का सन्‍न कर देने वाला खुलासा

सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया था. गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने इस मर्डर की जिम्मेदारी ली और अब BBC को दिए इंटरव्यू में उसने दावा किया कि मूसेवाला ने 'अहंकार में गलतियां की थीं', जिन्हें माफ़ नहीं किया जा सकता था. विक्की मिड्‌ढूखेड़ा की हत्याकांड में भले ही मूसेवाला पर कोई कानूनी आरोप साबित नहीं हुआ, लेकिन बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई गैंग का मानना था कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल थे.

या तो वो मरता या हम, दूसरा कोई... सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर गोल्डी बराड़ का सन्‍न कर देने वाला खुलासा
X

सिद्धू मूसेवाला... यह एक ऐसा नाम है, जो आज भी लाखों दिलों में जिंदा है. पंजाबी हिप-हॉप स्टार मूसेवाला की 3 साल पहले गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के कुछ ही घंटों बाद गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर कहा कि उसने इस वारदात को अंजाम दिया है. मूसेवाला हत्याकांड के 3 साल बीतने के बावजूद अभी तक किसी पर मुकदमा नहीं चला है. बराड़ अभी भी फरार चल रहा है.

हालांकि, BBC Eye ने गोल्डी बराड़ से बातचीत की और इस बात का जवाब जानने की कोशिश की, कि आखिर मूसेवाला क्यों और कैसे उसकी हिट लिस्ट में शामिल हुए? इस पर बराड़ ने जो जवाब दिया, आइए जानते हैं...

बराड़ ने क्यों की मूसेवाला की हत्या?

बरार ने कहा- मूसेवाला से कुछ ऐसी ग़लतियां हुईं, जिन्हें माफ़ नहीं किया जा सकता था. उसे उसकी करनी की सज़ा देनी ही थी- या तो वो या हम. बात इतनी ही सी थी.

2022 में हुई मूसेवाला की हत्या

2022 की गर्मियों की एक शाम सिद्धू मूसे वाला अपनी काली महिंद्रा थार चला रहे थे. उसी समय दो कारें उनका पीछा करने लगीं. एक मोड़ पर उनकी SUV को घेर लिया गया और कुछ ही पलों में गोलियां चलने लगीं. कार के शीशे टूट गए, बोनट छेद दिया गया, और 28 वर्षीय मूसेवाला को 24 गोलियों से छलनी कर दिया गया.

सिद्धू के साथ मौजूद उनके चचेरे भाई और एक दोस्त घायल तो हुए, लेकिन बच गए. छह हमलावरों की पहचान हुई, जिनके पास AK-47 और पिस्तौलें थीं. करीब 30 लोगों की गिरफ्तारी हुई, और दो हमलावर 'एनकाउंटर' में मारे गए... फिर भी, हत्या की मंशा साफ नहीं हुई.

मूसेवाला की हत्या के वक्त कहां था गोल्डी बराड़?

बताया जाता है कि मूसेवाला की हत्या का मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़ उस वक्त भारत में नहीं था. माना जाता है कि वह कनाडा में था. BBC Eye ने 6 घंटे की बातचीत में उससे यह जानने की कोशिश की कि मूसेवाला को आखिर क्यों निशाना बनाया गया.

रैपर तुपाक शकूर से की जाती थी मूसेवाला की तुलना

सिद्धू मूसे वाला, जिनका असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था, पंजाब के एक जाट सिख परिवार से थे. 2016 में वो कनाडा पढ़ाई के लिए गए और वहीं उन्होंने रैपर 'Moose Wala' के नाम से अपनी पहचान बनाई. उनके गानों में गांव की यादें, राजनीतिक बेबाकी, और गैंगस्टर कल्चर की झलक मिलती थी. उनकी तुलना अक्सर रैपर तुपाक शकूर से की जाती थी.

"जब मैं मरूं, लोग मुझे याद करें कि मैं कोई था"

मूसेवाला ने एक इंटरव्यू में कहा भी था, "जब मैं मरूं, लोग मुझे याद करें कि मैं कोई था." हालांकि उनकी शोहरत बढ़ती गई, लेकिन साथ ही दुश्मनों की लिस्ट भी लंबी होती गई. गैंगस्टर गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई जैसे अपराधियों की नजर में वे चढ़ते गए. बराड़, जो अब इंटरपोल की रेड नोटिस सूची में है, बिश्नोई के गैंग का एक अहम सदस्य माना जाता है.

BBC Eye की बातचीत में खुलासा हुआ कि लॉरेंस बिश्नोई और मूसेवाला के बीच पहले बातचीत होती थी, लेकिन एक कबड्डी टूर्नामेंट में मूसेवाला ने बिश्नोई के प्रतिद्वंद्वियों का समर्थन किया था, जिससे विवाद गहरा गया. इसे बाद में Vicky Middukhera ने सुलझा दिया, लेकिन जब अगस्त 2021 में मिद्दुखेड़ा की हत्या हो गई, तब मामला फिर गरमा गया. मूसेवाला के दोस्त शगनप्रीत सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने हमलावरों को सहयोग दिया. शगनप्रीत भारत छोड़ कर ऑस्ट्रेलिया भाग गए. हालांकि पुलिस ने मूसेवाला के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाया. परंतु बरार को यकीन था कि मूसेवाला भी मिद्दुखेड़ा की हत्या में शामिल थे.

"हमने पुलिस से शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुना"

बराड़ ने BBC को बताया, "हमने पुलिस से शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुना. जब शराफत की कोई कदर नहीं होती, तो गोली की आवाज सुनी जाती है." जब BBC ने उससे पूछा कि भारत में कानून है, अदालतें हैं- तो आपने खुद ही कानून क्यों हाथ में लिया? इस पर बराड़ ने जवाब दिया: कानून और इंसाफ-ये सब सिर्फ ताक़तवरों के लिए हैं. हमारे जैसे आम लोगों के लिए नहीं."

'पैसे के लिए डर फैलाना पड़ता है'

मूसेवाला की हत्या ने न सिर्फ़ एक सांस्कृतिक सितारे की जान ली, बल्कि पंजाब के गैंगस्टर नेटवर्क को भी मज़बूत बना दिया. अब लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के नाम पूरे देश में मशहूर हो चुके हैं. पत्रकारों का कहना है कि अब पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री ही नहीं, स्थानीय व्यापारियों तक को गैंगस्टरों से धमकियां मिल रही हैं. बराड़ ने भले ही इंकार किया कि यह सब पैसे के लिए नहीं था, लेकिन उसने स्वीकार किया कि गैंग को चलाने के लिए डर और पैसा दोनों जरूरी हैं. उसका कहना है- हम हजारों लोगों का ख्याल रखते हैं. पैसे के लिए डर फैलाना पड़ता है. अगर डर नहीं होगा, तो पैसा नहीं आएगा."

India Newscrimeपंजाब न्‍यूज
अगला लेख