शरद पवार का इमोशनल कार्ड या युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए लेंगे संन्यास? जानें इसके मायने
बारामती सीट को नए नेतृत्व की जरूरत बताते हुए उन्होंने अपने पोते युगेंद्र पवार को बारामती से चुनावी मैदान में उतारा है, जिनका मुकाबला अजित पवार से होगा. शरद पवार ने युगेंद्र को भविष्य का नेता माना है. अब इस घोषणा के बाद लोगों का मानना है कि उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला है.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बड़ा राजनीतिक संकेत देते हुए घोषणा की है कि वह भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि 14 चुनाव लड़ चुके हैं और अब नई पीढ़ी को अवसर देना चाहिए. पवार ने बताया कि उनका राज्यसभा का कार्यकाल अभी डेढ़ साल का है, जिसके बाद वे दोबारा राज्यसभा में जाएंगे या नहीं, इस पर विचार करेंगे.
बारामती सीट को नए नेतृत्व की जरूरत बताते हुए उन्होंने अपने पोते युगेंद्र पवार को बारामती से चुनावी मैदान में उतारा है, जिनका मुकाबला अजित पवार से होगा. शरद पवार ने युगेंद्र को भविष्य का नेता माना है. युगेंद्र पवार अजीत पवार के छोटे भाई श्रीनिवास के बेटे हैं. शरद पवार ने युगेंद्र को भविष्य का नेता बताया है.
अब इस घोषणा के बाद लोगों का मानना है कि उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला है. वहीं कुछ का मानना है कि वह सच में युवाओं को आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार भी शरद पवार को रिटायरमेंट लेने की बात कई बार कह चुके हैं. बारामती में दिया शरद पवार का बयान युवाओं को राजनीति की ताकत, सिद्धांतों की अहमियत और नेतृत्व के महत्व को समझने में मदद कर सकता है.
पवार के बयान से संदेश दिया कि राजनीति में सफलता केवल पद पाने से नहीं, बल्कि अपने सिद्धांतों पर कायम रहने से मिलती है. जब अजीत पवार जैसे करीबी रिश्तेदारों ने सत्ता का रास्ता चुना तब भी उन्होंने अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ा. शरद पवार को राजनीति में चार दशक से अधिक का अनुभव है. शरद पवार का रुख हमेशा ऐसा रहा है कि वे बदलती परिस्थिति में नई राहें तलाशने से नहीं हिचकते हैं. यही बात उन्हें सभी से अलग बनाता है.
युगेंद्र हो सकते हैं युवा चेहरा
शरद पवार अब चाह रहे हैं कि उनकी गद्दी संभालने वाला कोई युवा हो. उन्होंने अपने पोते में ये खूबी देखी है. शरद पवार के रिकॉर्ड को देखा जाए तो उन्होंने हमेश से अपने भतीजे और पोते को आगे बढ़ाया है. यही कारण है कि उन्होंने घोषणा की थी कि पार्टी में उनकी बेटी सुप्रिया सुले को कोई पद नहीं दिया गया है.
अब अजित पवार के बगावत के बाद युगेंद्र पवार को आगे लाया जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि युगेंद्र ही पार्टी का युवा चेहरा हो सकते हैं. इसके लिए युगेंद्र को फेमस होना पड़ेगा. यही वजह है कि शरद पवार ने फिर से चाचा भतीजा को मैदान में लड़ने के लिए छोड़ दिया है.