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सीनियर को नहीं कर सकते इग्नोर... CAT ने ब्रह्मोस CEO को हटाया, सेलेक्शन प्रोसेस पर रक्षा मंत्रालय से कहा- फिर से विचार कीजिए

भारत के सबसे अहम रक्षा प्रोजेक्ट BrahMos Aerospace में नेतृत्व संकट खड़ा हो गया है. Central Administrative Tribunal (CAT) ने मौजूदा CEO Jaiteerth R Joshi को हटाते हुए रक्षा मंत्रालय को वरिष्ठ वैज्ञानिक Sivasubramaniam Nambi Naidu के दावे पर दोबारा विचार करने का आदेश दिया है. यह फैसला ऐसे समय आया है जब ब्रह्मोस अंतरराष्ट्रीय निर्यात और भारतीय सेना की बड़ी खरीद प्रक्रियाओं में शामिल है. CAT की टिप्पणियों ने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और नियमों में बदलाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सीनियर को नहीं कर सकते इग्नोर... CAT ने ब्रह्मोस CEO को हटाया, सेलेक्शन प्रोसेस पर रक्षा मंत्रालय से कहा- फिर से विचार कीजिए
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( Image Source:  X/CeoMdbrahmos )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 30 Dec 2025 9:02 AM

हैदराबाद बेंच की Central Administrative Tribunal ने एक दुर्लभ फैसले में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO Jaiteerth R Joshi को पद से हटाने का आदेश दिया है. ट्रिब्यूनल ने रक्षा मंत्रालय को वरिष्ठ वैज्ञानिक Sivasubramaniam Nambi Naidu के दावे पर पुनर्विचार करने को कहा है. यह आदेश ऐसे समय आया है जब BrahMos Aerospace अंतरराष्ट्रीय रक्षा सौदों को अंजाम दे रहा है. CAT ने चयन प्रक्रिया, SOP बदलाव और वरिष्ठता की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

हैदराबाद बेंच की Central Administrative Tribunal (CAT) का फैसला केवल ब्रह्मोस के CEO की कुर्सी तक सीमित नहीं है. यह आदेश उस सवाल को सामने लाता है, जो अक्सर बंद दरवाज़ों के भीतर दब जाता है. क्या देश की सबसे संवेदनशील रक्षा संस्थाओं में शीर्ष नियुक्तियां पारदर्शिता और वरिष्ठता के सिद्धांतों पर हो रही हैं?

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गंभीर प्रशासनिक चूक

CAT ने साफ कहा कि जब तक नई नियुक्ति पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक ब्रह्मोस में “इन-चार्ज” व्यवस्था लागू की जाए और इसमें जोशी शामिल न हों. यह निर्देश दिखाता है कि ट्रिब्यूनल इस मामले को सिर्फ़ प्रक्रियागत नहीं, बल्कि गंभीर प्रशासनिक चूक के रूप में देख रहा है.

कब हुई विवाद की शुरुआत?

विवाद की शुरुआत नवंबर 2024 में हुई, जब नायडू ने CAT का दरवाज़ा खटखटाया. उनका तर्क था कि वे जोशी से सात साल वरिष्ठ हैं, 2017 से ‘Outstanding Scientist’ हैं और उनका सेवा रिकॉर्ड बेदाग है. इसके बावजूद उन्हें नजरअंदाज़ कर दिया गया जबकि ऐसे पदों पर परंपरागत रूप से वरिष्ठता और अनुभव को प्राथमिकता दी जाती रही है.

संवेदनशील समय पर नेतृत्व संकट

यह विवाद ऐसे वक्त सामने आया है, जब ब्रह्मोस भारत की सामरिक ताकत का अहम चेहरा बना हुआ है. फिलीपींस को मिसाइल आपूर्ति जैसे अंतरराष्ट्रीय सौदे, और इंडोनेशिया, वियतनाम व यूएई के साथ संभावित करार. इन सबके बीच शीर्ष नेतृत्व पर अनिश्चितता रणनीतिक चिंताओं को जन्म देती है.

SOP में बदलाव और CAT की आपत्ति

ट्रिब्यूनल ने ब्रह्मोस DG चयन की Standard Operating Procedure (SOP) पर भी सवाल उठाए. 2022 के बाद शेष सेवा अवधि की शर्त 18 महीने से घटाकर 12 महीने कर दी गई थी. CAT की टिप्पणी तीखी थी. ऐसा “संवेदनशील पद” जानते-बूझते नियम बदलकर भरा गया, यह आश्चर्यजनक है.

'अल्फाबेटिकल' चयन पर सवाल

CAT ने यह भी नोट किया कि चयन समिति ने उम्मीदवारों के नाम वर्णानुक्रम (alphabetical order) में रखे जबकि इसके समर्थन में कोई नियम पेश नहीं किया गया. आठ आवेदकों में दो ‘Distinguished Scientist’ और छह ‘Scientist H’ थे, फिर भी वरिष्ठ और अधिक अनुभवी नामों को प्राथमिकता नहीं दी गई.

फैसले के क्या है मायने?

ट्रिब्यूनल की सबसे कड़ी टिप्पणी यही रही कि जब ‘Distinguished Scientists’ उपलब्ध हों, तो ऐसे शीर्ष पद पर ‘Scientist H’ की नियुक्ति पर सवाल उठना स्वाभाविक है. यह फैसला सिर्फ़ ब्रह्मोस तक सीमित नहीं रहेगा. यह आने वाले समय में Defence Research and Development Organisation (DRDO) और रक्षा मंत्रालय की चयन प्रक्रियाओं के लिए एक नज़ीर बन सकता है.

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