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'जिंदा नहीं बैग में लाशें भेजो...कश्मीर छोड़ने के डर से बोलीं पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां

कश्मीर घाटी में रह रहीं उन पाकिस्तानी महिलाओं के सामने अब अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है, जो 2010 में शुरू की गई पुनर्वास नीति के तहत भारत आई थीं. अब जब केंद्र सरकार ने वीजा प्रतिबंध लगाए हैं, इन महिलाओं ने साफ कह दिया है कि 'अगर वापस भेजना ही है तो जिंदा नहीं, लाशें भेजना.

जिंदा नहीं बैग में लाशें भेजो...कश्मीर छोड़ने के डर से बोलीं पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 29 April 2025 12:04 AM IST

कश्मीर घाटी में रह रहीं उन पाकिस्तानी महिलाओं के सामने अब अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है, जो 2010 में शुरू की गई पुनर्वास नीति के तहत भारत आई थीं. अब जब केंद्र सरकार ने वीजा प्रतिबंध लगाए हैं, इन महिलाओं ने साफ कह दिया है कि 'अगर वापस भेजना ही है तो जिंदा नहीं, लाशें भेजना.

इन महिलाओं ने अपने पतियों के साथ भारत आकर मुख्यधारा को अपनाया था. उस वक्त जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह नीति चलाई थी ताकि आतंकी रास्ता छोड़ चुके लोगों को दोबारा समाज में बसने का मौका दिया जा सके. अब ताजा वीजा पाबंदियों के चलते इन महिलाओं पर पाकिस्तान लौटने का दबाव है।

'तीन बच्चों को छोड़ कैसे जाऊं?

उत्तरी कश्मीर में रहने वाली अलीजा रफीक ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने उन्हें देश छोड़ने का नोटिस दिया है. वे रोते हुए कहती हैं, 'मेरी तीन छोटी-छोटी बच्चियां हैं. सबसे छोटी बेटी को यहां छोड़ने को कहा गया है. कैसे छोड़ दूं? हमने यहां घर बनाया, वोट डाले, आधार और अन्य दस्तावेज बनवाए. हमारा कसूर क्या है?' उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अपील करते हुए कहा, 'हमें जिंदा न भेजो, अगर भेजना है तो हमारी लाशें भेज देना. हमने कोई गुनाह नहीं किया है.

'भारत में है हमारी जिंदगी'

एक अन्य महिला जाहिदा बेगम ने भी अपना दुख साझा किया. उन्होंने दिखाया कि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे सभी जरूरी दस्तावेज हैं. जाहिदा बोलीं, 'मेरे तीन बच्चे हैं. मरियम, आमना और फैजान. बच्चे भी पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते. हमने यहां चैन की जिंदगी बनाई है। वापस जाकर सब कुछ तबाह हो जाएगा.'

आतंकी हमला
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