‘ऑपरेशन सिंदूर’ लिखने पर बवाल! केरल में मंदिर के बाहर पूक्कलम पर बना था RSS का झंडा, FIR के बाद शुरू हुआ विवाद | Video
केरल के कोल्लम जिले में पूक्कलम सजावट पर आरएसएस का झंडा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लिखे जाने से विवाद भड़क गया. पुलिस ने आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज की, जबकि बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने इसे शर्मनाक और देशद्रोह बताया. मामला राजनीतिक टकराव का रूप ले चुका है और अब यह विवाद केरल की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है.

केरल के कोल्लम जिले के पार्थसारथी मंदिर के बाहर बने पूक्कलम (फूलों की सजावट) ने इस बार राजनीतिक और सामाजिक विवाद खड़ा कर दिया. सजावट में आरएसएस का झंडा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लिखे जाने पर पुलिस ने आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस का कहना है कि यह कदम पहले से दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है.
एफआईआर दर्ज होते ही बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं में नाराज़गी फैल गई. केरल बीजेपी प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने इसे “शर्मनाक” और “देशद्रोह” करार दिया. उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा कि “यह एफआईआर उन सैनिकों का अपमान है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए.”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राजनीतिक बहस
चंद्रशेखर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना की शान है, क्योंकि इसी अभियान में उन आतंकियों को जवाब दिया गया था जिन्होंने 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या की थी. उनका कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल विवाद का कारण नहीं होना चाहिए था. असली मसला आरएसएस का झंडा लगाने से जुड़ा है, जिस पर पुलिस ने कार्रवाई की.
पुलिस ने दी सफाई
पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि एफआईआर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द को लेकर नहीं, बल्कि झंडा लगाने की वजह से दर्ज की गई है. स्थानीय प्रशासन ने पहले ही बीजेपी और सीपीआई (एम) दोनों दलों को हिदायत दी थी कि पूक्कलम में किसी भी तरह के राजनीतिक प्रतीक या झंडे का प्रयोग नहीं होगा. दोनों दलों ने सहमति भी जताई थी, लेकिन त्योहार के दौरान इसका उल्लंघन किया गया.
तनाव रोकने के लिए केस दर्ज
पुलिस का कहना है कि क्षेत्र में पहले से तनाव की स्थिति थी, और राजनीतिक झंडा लगाने से माहौल बिगड़ सकता था. इस कारण सस्तमकोट्टा पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर लिया. प्रशासन का मानना है कि धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजनों में राजनीतिक प्रतीकों का प्रयोग सामुदायिक सौहार्द को नुकसान पहुँचा सकता है.
राजनीतिक टकराव और आगे की राह
यह विवाद अब सीधे राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. एक ओर बीजेपी इस केस को वापस लेने की मांग कर रही है, वहीं राज्य सरकार और पुलिस का रुख सख्त है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या फैसला लेता है. फिलहाल यह विवाद केरल की राजनीति में नया तनाव लेकर आया है और आने वाले दिनों में इसके असर और भी गहराई से देखने को मिल सकते हैं.