रोहिंग्या नेटवर्क से भारत में कश्मीर नैरेटिव फैलाने की कोशिश, बांग्लादेश संकट की आड़ में हो रही साजिश
बांग्लादेश संकट की आड़ में साजिश: रोहिंग्या नेटवर्क से भारत में कश्मीर नैरेटिव फैलाने की कोशिश बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीर चेतावनी जारी की है. एजेंसियों के मुताबिक, रोहिंग्या शरणार्थियों के नेटवर्क का इस्तेमाल भारत में अवैध घुसपैठ और कश्मीर-केंद्रित प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया जा रहा है. पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के छिद्रयुक्त सीमावर्ती रास्तों से संगठित नेटवर्क नए रोहिंग्याओं की एंट्री कराने की कोशिश में हैं. फर्जी दस्तावेज़, हवाला फंडिंग और नैरेटिव वॉर के जरिए यह रणनीति ‘लो-कॉस्ट, हाई-डिनायबिलिटी’ मॉडल पर काम कर रही है, जिसे आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है.
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता का असर अब भारत की आंतरिक सुरक्षा पर भी दिखने लगा है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि मौजूदा हालात का फायदा उठाकर रोहिंग्या नेटवर्क को दोबारा सक्रिय किया जा रहा है. यह सिर्फ अवैध घुसपैठ का मामला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नैरेटिव वॉर का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसका केंद्र बिंदु कश्मीर को वैश्विक स्तर पर “मुस्लिम उत्पीड़न” के प्रतीक के रूप में पेश करना है.
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर कानून-व्यवस्था और निगरानी में आई ढील के बीच यह पूरा नेटवर्क मानवीय संकट की आड़ में भारत के भीतर पैर जमाने की कोशिश कर रहा है. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह रणनीति सीधे टकराव के बजाय धीरे-धीरे प्रभाव बढ़ाने वाली है, ताकि दबाव बना रहे लेकिन बड़े सुरक्षा अलार्म न बजें.
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बांग्लादेश की अशांति और नई चेतावनी
भारतीय एजेंसियों के अनुसार, बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते शरणार्थी शिविरों और सीमावर्ती इलाकों में निगरानी कमजोर पड़ी है. इसी हालात का फायदा उठाकर भारत में नए रोहिंग्या समूहों की घुसपैठ की कोशिशें बढ़ी हैं. आकलन है कि भारत में पहले से ही 30,000–40,000 रोहिंग्या मौजूद हैं और हाल के महीनों में नई आमद के प्रयास तेज हुए हैं.
अवैध घुसपैठ से आगे की साजिश
एजेंसियों का कहना है कि मौजूदा कोशिशें सिर्फ शरण या रोजगार तक सीमित नहीं हैं. इसका उद्देश्य कश्मीर को एक भावनात्मक मुद्दे के रूप में पेश करना है, ताकि रोहिंग्या विस्थापन को उससे जोड़कर समर्थन जुटाया जा सके. यह नैरेटिव घाटी से बाहर और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने की कोशिश मानी जा रही है.
पूर्वोत्तर के रास्ते हो रही घुसपैठ
सुरक्षा इनपुट्स के मुताबिक, रोहिंग्या घुसपैठ पूर्वोत्तर भारत और पूर्वी राज्यों के सीमा मार्गों से कराई जा रही है. दुर्गम भू-भाग और सीमित संसाधनों के कारण सीमा प्रबंधन पर अतिरिक्त दबाव है. इस पूरी प्रक्रिया में संगठित नेटवर्क सक्रिय हैं, जो स्थानीय दलालों और अस्थायी ठिकानों का इस्तेमाल करते हैं.
फर्जी दस्तावेज़ और स्थानीय पहचान
भारत में पहुंचने के बाद नेटवर्क फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनवाने में मदद करता है. इन दस्तावेज़ों के जरिए स्थानीय पहचान स्थापित होती है, जिससे अनौपचारिक रोजगार तक पहुंच मिल जाती है. जैसे कचरा बीनना, निर्माण कार्य, घरेलू काम, डिलीवरी सेवाएं और छोटी फैक्ट्रियां.
ISI की ‘लो-कॉस्ट, हाई-डिनायबिलिटी’ रणनीति
भारतीय एजेंसियों का आकलन है कि Inter-Services Intelligence (ISI) रोहिंग्या नेटवर्क को कम लागत और अधिक इनकारयोग्यता वाले साधन के रूप में देखता है. इनका इस्तेमाल बड़े आतंकी हमलों की बजाय लॉजिस्टिक सपोर्ट और प्रचार युद्ध के लिए किया जाता है, ताकि दबाव बना रहे लेकिन सीधी सैन्य प्रतिक्रिया न हो.
हवाला और अनौपचारिक फंडिंग
जांच में सामने आया है कि फंडिंग का बड़ा हिस्सा हवाला नेटवर्क के जरिए आता है, जो बांग्लादेश और पश्चिम एशिया से जुड़ा है. छोटी-छोटी नकद रकम ट्रैवल, दस्तावेज़ और शुरुआती बसावट में खर्च होती हैं. कुछ रकम अनियमित चैरिटीज़ और निजी दानदाताओं से भी आती है, जिसे मानवीय सहायता के नाम पर भेजा जाता है.
भारत के भीतर आर्थिक सहारा
इसके अलावा, भारत में मौजूद कुछ आपराधिक श्रम ठेकेदार अग्रिम रकम देते हैं. रकम भले छोटी हो, लेकिन नियमित प्रवाह नेटवर्क को सक्रिय रखता है और ट्रैक करना मुश्किल बनाता है. एजेंसियों के मुताबिक, यही निरंतरता इस सिस्टम की सबसे बड़ी ताकत है.
बढ़ी चौकसी और आगे की चुनौती
सुरक्षा एजेंसियां अब राज्यों और सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर समन्वय, दस्तावेज़ धोखाधड़ी की पहचान और फंडिंग ट्रेल्स पर फोकस बढ़ा रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि चुनौती सिर्फ घुसपैठ रोकने की नहीं, बल्कि उससे जुड़े नैरेटिव वॉर को निष्प्रभावी करने की भी है. क्षेत्रीय अस्थिरता के चलते यह मुद्दा आने वाले समय में भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बना रह सकता है.





