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जिसने देखी हो डूबती हुई कश्ती, उसे उम्मीद होती है किनारों से... राघव चड्ढा ने कुछ यूं किया राज्यसभा सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत

राज्यसभा में AAP सांसद राघव चड्ढा ने नवनिर्वाचित सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का शायरी के जरिए स्वागत करते हुए कहा कि तिरुप्पुर की मिट्टी गर्व से महक रही है, क्योंकि उन्होंने मेहनत और संघर्ष से लोकतंत्र में यह ऊंचा पद हासिल किया. चड्ढा ने उम्मीद जताई कि राधाकृष्णन संसद को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की उस परंपरा के अनुरूप आगे बढ़ाएंगे, जिसमें संसद विचार-विमर्श का मंच है, न कि सिर्फ विधायी संस्था.

जिसने देखी हो डूबती हुई कश्ती, उसे उम्मीद होती है किनारों से... राघव चड्ढा ने कुछ यूं किया राज्यसभा सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत
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( Image Source:  ANI )

Raghav Chadha Shayri to CP Radhakrishnan: जिसने देखी हो डूबती हुई कश्ती, उसे उम्मीद होती है किनारों से... और जिसने देखा हो पतझड़, उसे उम्मीद होती है बहारों से... यह शब्द हैं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के, जो उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति और सभापति सीपी राधाकृष्णन के लिए कही... राघव ने अपने संबोधन में कहा कि राधाकृष्णन के पदभार ग्रहण करने के बाद सदन में नई ऊर्जा और उम्मीद का संचार हुआ है.

राज्यसभा में बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा, “आज आपको स्वागत करते हुए ऐसा महसूस हो रहा है कि लंबे अंधियारे के बाद आज चमकता हुआ सूरज निकला हो... ऐसा महसूस हो रहा है कि मझधार में फंसी किसी कश्ती को आज किनारा नजर आया हो... और चिलचिलाती गर्मी के बाद आजम जमकर सावन बरसो.”

“आज तिरुप्पुर की मिट्टी गर्व से महक रही होगी”

AAP सांसद ने राधाकृष्णन के गृह जिले की भावना को भी विशेष रूप से रेखांकित किया और कहा, “आज तिरुप्पुर की मिट्टी गर्व से महक रही होगी. जिस भूमि में आप जन्मे, पले-बढ़े और जिसने आपको कड़ी मेहनत, संघर्ष और लोकसेवा के बल पर इस सर्वोच्च पद तक पहुंचते देखा-वह धरती आज गौरवान्वित है.”

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राघव चड्ढा ने आशा व्यक्त की कि राधाकृष्णन सदन की उसी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे, जिसे भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पूर्व राज्यसभा सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने स्थापित किया था. उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन संसद को एक 'विचार-विमर्श का मंच' मानते थे और हमेशा कहते थे कि वे किसी एक पार्टी से नहीं, बल्कि सभी पार्टियों से हैं.

“वही शब्द बोलें जो समाज के हित में हों”

इस दौरान राज्यसभा सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने भी सदन को संबोधित किया और लोकतंत्र की शक्ति को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सबसे साधारण पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति भी मेहनत और सेवा के बल पर सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है. राधाकृष्णन ने कहा, “देश के नागरिक संसद की ओर देखते हैं कि यह राष्ट्र का मार्गदर्शन करे. संत कवि तिरुवल्लुवर हमें सिखाते हैं कि वही शब्द बोलें जो समाज के हित में हों, जो सार्थक और उपयोगी हों.”

अपने पहली बार सदन की कार्यवाही संचालित करने पर सदस्यों का धन्यवाद देते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि तिरुप्पुर से दिल्ली तक की उनकी यह यात्रा लोकतंत्र की शक्ति का असाधारण उदाहरण है. उन्होंने कहा, “भारत वास्तव में ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ है और हमें अपनी इस शक्ति का उत्सव मनाना चाहिए.”

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