काशी यात्रा के बाद छोड़ा नॉनवेज, डूबने से बचे, बम ब्लास्ट से निकले... PM मोदी ने सुनाए उपराष्ट्रपति C.P. राधाकृष्णन के अनसुने किस्से
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए उनके संघर्ष और आध्यात्मिक सफर की प्रेरक कहानी सदन में साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे राधाकृष्णन बचपन में डूबने और बाद में कोयंबटूर बम ब्लास्ट से बाल-बाल बचे, काशी यात्रा के बाद नॉन-वेज छोड़ दिया और हमेशा सामाजिक सेवा को प्राथमिकता दी. मोदी ने उन्हें जमीन से जुड़े, मूल्य-सम्मत और सेवा-भाव से नेतृत्व करने वाला जननेता बताया.
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को एक ऐतिहासिक माहौल के साथ हुई, जब नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने राज्यसभा के स्पीकर और चेयरपर्सन के रूप में पहली बार सदन की अध्यक्षता संभाली. पूरे सदन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत करते हुए न केवल उन्हें बधाई दी, बल्कि उनके जीवन के कई अनसुने, प्रेरणादायक और संघर्षपूर्ण प्रसंग भी साझा किए.
मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन की जीवन यात्रा केवल राजनीति की नहीं, बल्कि त्याग, आध्यात्मिकता, सामाजिक सेवा और जिंदादिली की कहानी है. उन्होंने बताया कि कैसे बचपन में राधाकृष्णन अविनाशी मंदिर के तालाब में डूबने से बाल-बाल बचे, और बड़े होने पर एक कोयंबटूर बम ब्लास्ट से चमत्कारिक रूप से सुरक्षित निकल आए. प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे हादसों के बावजूद राधाकृष्णन का हौसला कभी नहीं टूटा और हर चुनौती ने उन्हें और मजबूत बनाया.
काशी यात्रा के बाद छोड़ दिया नॉन-वेज
प्रधानमंत्री मोदी ने राधाकृष्णन के जीवन के एक और महत्वपूर्ण अध्याय का जिक्र करते हुए बताया कि काशी यात्रा के दौरान उन्हें ऐसा अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव मिला जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी. उसी यात्रा के बाद उन्होंने हमेशा के लिए नॉन-वेज छोड़ने का निर्णय लिया और इसे जीवन भर निभाया. मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन की जीवन शैली बताती है कि राजनीति में रहते हुए भी वे व्यक्तिगत मूल्यों, आस्था और आत्मानुशासन को सबसे ऊपर रखते हैं.
संघर्षों और सामाजिक सेवा से गढ़ी पहचान
राज्यसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे चेयरमैन बहुत साधारण परिवार, किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा को समर्पित किया है. राजनीति उनका एक पहलू है, लेकिन मूल धारा हमेशा सामाजिक सेवा रही.” मोदी ने आश्वासन दिया कि सदन के सभी सदस्य राधाकृष्णन के पद की गरिमा बनाए रखेंगे और सहयोग की भावना के साथ सदन की कार्यवाही में भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि उच्च सदन की गरिमा राधाकृष्णन के नेतृत्व में और मजबूत होगी.
बिना हेलीकॉप्टर, बिना प्रोटोकॉल की यात्राएं
प्रधानमंत्री ने याद किया कि झारखंड में राधाकृष्णन ने जनजातीय समुदायों के बीच जमीन से जुड़े तरीके से काम किया. मोदी ने कहा, “आपके पास हेलीकॉप्टर हो या न हो, आपने कभी सुविधा का इंतज़ार नहीं किया. जहां जो गाड़ी मिली, उससे गांव-गांव पहुंचे. रातें छोटे-छोटे कस्बों में गुज़ारीं. झारखंड के मुख्यमंत्री भी गर्व से कहते थे कि आप बिना प्रोटोकॉल, बिना औपचारिकता के लोगों के बीच जाते हैं.” मोदी ने कहा कि कई नेता अपने पद की गरिमा को “भार या शानो-शौकत” की तरह ढोते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन अधिकार से नहीं, सेवा भाव से नेतृत्व करते हैं.
सदन की उम्मीद: नेतृत्व, संवेदनशीलता और अनुशासन
राधाकृष्णन द्वारा पहली बार अध्यक्षता संभालने के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह सदन भाग्यशाली है कि एक ऐसे व्यक्ति इसके अध्यक्ष बने हैं जिनकी जड़ें जमीन से जुड़ी हैं, जिनके भीतर सेवा का जुनून है और जिनका जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक है.” प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से अपील की कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों और उच्च सदन की परंपरा का सम्मान करते हुए मिलकर राधाकृष्णन के नेतृत्व को मजबूत बनाएं.
C.P. राधाकृष्णन की कहानी सत्ता की नहीं, सेवा की कहानी है. डूबने से बचने, आतंक की आग से निकलने और आध्यात्मिकता की राह पकड़ने वाला यह सफर आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक पर पहुंचा है. शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ, राज्यसभा अब ऐसे नेता की अध्यक्षता में है जो व्यक्तित्व की सादगी, मूल्यों की दृढ़ता और समाज के प्रति समर्पण के लिए पहचाने जाते हैं और यही उम्मीद है कि उनका कार्यकाल सदन की गरिमा और लोकतांत्रिक संवाद को और ऊंचाइयों तक ले जाएगा.





