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बेटी होने पर फीस नहीं लेने वाले डॉक्‍टर गणेश राख की कहानी, आनंद महिंद्रा भी हुए मुरीद

Pune News: मशूहर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने पुणे के डॉ. गणेश राख की जमकर तारीफ की. डॉ. अगर किसी महिला को बेटी होती है तो फीस नहीं लेते. आनंद महिंद्रा ने कहा, ये डॉक्टर (गणेश राख) भी किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. उन्होंन डॉ. प्रशांत नायर की पोस्ट को रीपोस्ट किया.

बेटी होने पर फीस नहीं लेने वाले डॉक्‍टर गणेश राख की कहानी, आनंद महिंद्रा भी हुए मुरीद
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( Image Source:  @DrGaneshRakh )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 27 Aug 2025 12:31 PM IST

Dr. Ganesh Rakh: देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां बेटी होने पर आज भी लोग दुखी होते हैं. दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं लोग लड़कियों को देवी के रूप में पूजते हैं. उनमें से ही एक हैं डॉक्‍टर गणेश राख, जो किसी की बेटी पैदा होती है तो उससे कोई फीस नहीं लेते हैं. हर ओर उनकी चर्चा हो रही है. डॉ. ने अपने करियर में अब तक 2 हजार से ज्यादा मुफ्त डिलीवरी की है.

डॉ. गणेश महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले हैं. उनके काम की तारीफ हर कोई कर रहा है. यहां तक की मशूहर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा भी डॉ. के काम से प्रसन्न हैं. एक पोस्ट में महिंद्रा ने गणेश की जमकर तारीफ की, जो कि सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

कौन हैं डॉ. गणेश राख?

डॉ. गणेश राख महाराष्ट्र के पुणे के एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने सालों पहले 'बेटी बचाओ जनआंदोलन' (BBJA) की नींव रखी. उन्होंने अपने अस्पताल Medicare Hospital में हर उस महिला की डिलीवरी फीस माफ कर दी, जिसके घर बेटी का जन्म हुआ और इस तरह बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत की.

2011 की जनगणना में बच्चे के लिंग के आधार पर असंतुलन देखकर उन्होंने लड़की के जन्म पर खुशी से मनाने का फैसला लिया. 3 जनवरी 2012 को समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्होंने एक ऐलान किया कि अगर किसी महिला की बेटी होती है तो कोई शुल्क नहीं लगेगा. साथ ही केक और मिठाइयों से खुशी मनाई जाएगी.

आनंद महिंद्रा का पोस्ट

आनंद महिंद्रा ने लिखा, दो बेटियों का पिता होने के नाते, मैं दो बार जानता हूं कि जब आपके घर में एक फरिश्ता पैदा होता है तो कैसा लगता है. लेकिन ये डॉक्टर (गणेश राख) भी किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. दरअसल उन्होंने डॉ. प्रशांत नायर की पोस्ट को रीपोस्ट किया. जिसमें बताया गया कि कैसे पुणे के डॉ. गणेश बेटियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. इस पहल ने आसपास के डॉक्टरों, संगठनों तथा स्वयंसेवकों में जागरूकता पैदा की. डॉ. गणेश का कहना है कि उनका मकसद देश में बेटी और बेटों के बीच के जन्म के ग्राफ के गैप को कम करना है.

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