पाकिस्तान जरा बच के, चीन संभल के! देशी Apache की रहेगी सीमा पर नजर, पलक झपकते ही Prachand कर देगा काम तमाम
भारत सरकार ने 156 प्रचंड की खरीद को मंजूरी दे दी है जिनमें से 90 थल सेना को और बाकी बचे 66 वायुसेना को मिलेंगे. इनकी तैनाती भारत और चीन से लगती सीमा पर की जाएगी जो निश्चित रूप भारत के दोनों पड़ोसियों की चिंता बढ़ाने वाला होगा.
जब भी किसी देश की सेना की ताकत की बात होती है तो उसके लड़ाकू विमानों, समुद्री बेड़ों और टैंकों की चर्चा खूब होती है. लेकिन हेलीकॉप्टरों की चर्चा कम होती है, विशेष रूप से कॉम्बैट रोल यानी युद्धक भूमिकाओं को लेकर. क्योंकि ऐसे हेलिकॉप्टर चुनिंदा देशों के पास ही रहे हैं. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और भारत भी इस रेस में काफी आगे निकल चुका है.
भारतीय वायुसेना अमेरिकी अपाचे और रूस में बने एमआई-24 अटैक हेलीकॉप्टरों के अलावा देश में ही बने प्रचंड और रुद्र जैसे युद्धक हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल कर रही है. बड़ी बात यह है कि इसमें भी मेक इन इंडिया पर ही भारत सरकार का जोर है. तभी अमेरिकी अपाचे की खरीद के बाद भारत ने कोई भी विदेशी अटैक हेलीकॉप्टर नहीं खरीदा और खुद ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक बना डाला.
जी हां, बात हो रही है लाइट कॉम्बैट हलीकॉप्टर प्रचंड की. भारत सरकार ने 156 प्रचंड की खरीद को मंजूरी दे दी है जिनमें से 90 थल सेना को और बाकी बचे 66 वायुसेना को मिलेंगे. इनकी तैनाती भारत और चीन से लगती सीमा पर की जाएगी जो निश्चित रूप भारत के दोनों पड़ोसियों की चिंता बढ़ाने वाला होगा.
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) "प्रचंड" भारत में निर्मित एक उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है. यह हेलीकॉप्टर भारतीय सेना और वायु सेना दोनों के लिए बनाया गया है और यह ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में और -50 डिग्री से लेकर 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकता है. प्रचंड का मतलब है भयंकर या प्रबल. जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह उतना ही ताकतवर भी है.
प्रचंड के सामने कहां टिकते हैं पाकिस्तान और चीन?
भारत कोई हथियार खरीदे और चीन और पाकिस्तान के कान खड़े न हों, ऐसा कैसे हो सकता है. प्रचंड को लेकर भी निश्चित रूप से भारत के दोनों पड़ोसी चिंतित होंगे. तो आइए जान लेते हैं कि लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के मामले में भारत के आगे पाकिस्तान और चीन कहां टिकते हैं और कैसे प्रचंड भारत को बढ़त दिलाता है.
पाकिस्तान लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के मामले में भी अपनी अर्थव्यवस्था की तरह ही गरीब दिखाई देता है. उसके पास वर्तमान में कुल मिलाकर 57 ऐसे हेलीकॉप्टर हैं. उनमें भी 50 तो अमेरिका से मिले Bell AH-1 Cobra हेलीकॉप्टर हैं जो अब काफी पुराने हो चुके हैं. इनके अलावा 3 चीनी Z-10 और 4 रूसी एमाई-24 हेलीकॉप्टर भी पाकिस्तान इस्तेमाल करता है जबकि 17 Z-10 के ऑर्डर उसने दे रखे हैं. वहीं अगर चीन की बात करें तो उसके पास भारत की तुलना में संख्या बल कहीं ज्यादा है. उसकी सेना मुख्य रूप से 2 तरह के अटैक हेलीकॉप्टर इस्तेमाल करती है जिनमें Harbin Z-19 और Changhe Z-10 प्रमुख है.
प्रचंड और Z-10 में कौन है ज्यादा ताकतवर?
- प्रचंड ने बिना रुके 21,300 फीट (6,500 मीटर) की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है और सियाचिन ग्लेशियर में अपनी क्षमता दिखा चुका है, वहीं ज़ेड-10 को वहां पूरी क्षमता से ऑपरेट करने में दिक्कत होती है.
- प्रचंड के पास शक्ति 1H1 इंजन है, जिसे HAL और फ्रांस की Safran कंपनी ने मिलकर बनाया. यह इंजन ऊंचाई पर भी पूरा दम दिखा सकता है. वहीं ज़ेड-10 में चीन का बनाया हुआ इंजन है जिसमें ताकत कम है.
- प्रचंड में 20mm की तोप लगी है, जो हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले से जुड़ी है और पायलट को सिर्फ देखने भर से निशाना साधने की सुविधा देती है. वहीं ज़ेड-10 में 30mm की तोप लगी है जो जो बड़ी तो है साथ ही ज्यादा भारी भी.
- प्रचंड में 70mm रॉकेट और हेलिना एंटी-टैंक मिसाइल इस्तेमाल होती है, जो दुश्मन के टैंकों को खत्म कर सकती है. वहीं मिस्ट्रल-2 एयर-टू-एयर मिसाइल भी है, जिससे यह हवा में भी लड़ सकता है. वहीं जेड-10 में HJ-10 एंटी-टैंक मिसाइल, जो लंबी दूरी तक जा सकती है, लेकिन ऊंचाई पर इसका प्रदर्शन कमजोर हो जाता है. साथ ही इसमे TY-90 एयर-टू-एयर मिसाइल, जो हवा में हमले के लिए अच्छी थी.
- प्रचंड को भारत ने कारगिल युद्ध के अनुभव से बनाया था, और इसका कई कठिन हालातों में परीक्षण किया जा चुका था. ज़ेड-10 का युद्ध अनुभव कम है, और इसे ज्यादा ऊंचाई पर टेस्ट भी नहीं किया गया है.
चीन का ज़ेड-10 भी एक अच्छा हेलीकॉप्टर है, लेकिन यह ऊंचाई पर कमजोर पड़ जाता है. दूसरी ओर, प्रचंड को खासतौर पर हिमालय की ऊंचाई के लिए डिजाइन किया गया है.
डेवलपमेंट और डिजाइन
LCH प्रचंड को भारत के आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण अभियान के तहत विकसित किया गया है. इसका डिजाइन HAL के ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) पर आधारित है, लेकिन इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं ताकि इसे आधुनिक युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया जा सके. इसे पहली बार 29 मार्च 2010 को उड़ाया गया था और 3 अक्टूबर 2022 को भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया. यह स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है जिसकी वजह से दुश्मन इसे आसानी से पकड़ नहीं सकता.
तकनीकी विशेषताएं
- लंबाई: 15.8 मीटर
- ऊंचाई: 4.7 मीटर
- रोटर का डायमीटर: 13.3 मीटर
- मैक्सिमम स्पीड: 268 किमी/घंटा
- मैक्सिमम रेंज: 550 किमी
- Service Ceiling: 6,500 मीटर (21,300 फीट)
- भार क्षमता: 5.8 टन
मारक क्षमता और हथियार प्रणाली
- 20mm टर्रेट गन – हेलीकॉप्टर के आगे लगी इस तोप से निशाना साधकर दुश्मन के ठिकानों और वाहनों को निशाना बनाया जा सकता है.
- 70mm रॉकेट्स – यह हवा से सतह पर मार करने वाले रॉकेट होते हैं, जो दुश्मन के ठिकानों, बंकरों और वाहनों को नष्ट कर सकते हैं.
- एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) – LCH प्रचंड हेलिना और ध्रुवास्त्र जैसी स्वदेशी मिसाइलों से लैस हो सकता है, जो टैंक और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सक्षम हैं.
- एयर-टू-एयर मिसाइलें – हेलीकॉप्टर दुश्मन के हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को मार गिराने के लिए Mistral-2 जैसी एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस है.
- इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और नाइट विजन – LCH प्रचंड में अत्याधुनिक एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगे हैं, जिससे यह रात और खराब मौसम में भी लड़ाई करने में सक्षम है.
रणनीतिक महत्व
- यह दुनिया के कुछ ऐसे हेलीकॉप्टरों में से एक है जो अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, जैसे कि सियाचिन और लद्दाख, में प्रभावी ढंग से काम कर सकता है.
- यह हेलीकॉप्टर सीमावर्ती इलाकों में दुश्मन के टैंकों, बंकरों और सैनिकों को नष्ट करने के लिए एक अत्यंत प्रभावी हथियार है.
- LCH प्रचंड भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है और इससे भारतीय सेना को बिना किसी विदेशी निर्भरता के आधुनिक युद्ध उपकरण उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
- यह हेलीकॉप्टर जंगल और पहाड़ी इलाकों में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी उपयोगी साबित हो सकता है.
- LCH प्रचंड वायुसेना की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को भी बढ़ाता है और यह दुश्मन के ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को मार गिराने में सक्षम है.





