Begin typing your search...

पलक झपकते सब कुछ तबाह! Drones कैसे बदल रहे दुनियाभर में युद्ध की तस्वीर?

युद्ध में जितना खर्च आता है वह किसी भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर बहुत बुरा असर होता है. साथ ही बड़ी संख्‍या में सैनिकों की जान का भी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन आत्‍मघाती ड्रोन के आने से सबकुछ बदल सा गया है. इनकी मदद से न केवल सटीक हमले किए जा रहे हैं, बल्कि पैसे भी बच रहे हैं.

पलक झपकते सब कुछ तबाह! Drones कैसे बदल रहे दुनियाभर में युद्ध की तस्वीर?
X
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 8 March 2025 2:26 PM IST

ड्रोन टेक्नोलॉजी ने हाल के वर्षों में युद्ध की रणनीतियों को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. आधुनिक युद्ध अब सिर्फ भारी हथियारों और सैनिकों पर निर्भर नहीं है, बल्कि मानवरहित हवाई वाहनों यानी Unmanned Aerial Vehicle (UAVs) या ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. कम लागत, ज्‍यादा सटीक हमले जैसी खूबियों ने ड्रोन को युद्ध के मैदान में एक जबरदस्‍त हथियार बना दिया है. इसकी बानगी हमें पिछले तीन साल से भी ज्‍यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में भी कई बार देखने को मिली.

अमेरिका जैसे देश तो निगरानी और हमलों तक के लिए रीपर जैसे शानदार ड्रोन का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. वहीं बोईंग जैसी कंपनियां मानव रहित लड़ाकू विमान तक बनाने में जुटी हुई हैं. उधर एलन मस्‍क भी पहले कह चुके हैं जब ड्रोन से काम सीटकता से हो सकता है तो एफ-35 जैसे महंगे फाइटर जेट की क्‍या जरूरत है. आइए इस लेख के माध्‍यम से यह समझने का प्रयास करते हैं कि कैसे ड्रोन ने मौजूदा दौर में युद्ध की परिभाषा को पूरी तरह बदल कर रख दिया है.

लागत कम लेकिन निशाना पक्‍का

मौजूद दौर में ड्रोन युद्ध के तरीकों को बदल रहे हैं. टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार हो रही तरक्‍की और घटती लागत ने ड्रोन को जबरदस्‍त हथियार बना दिया है. पारंपरिक हथियारों की तुलना में, ड्रोन कम लागत पर अधिक दूरी से सटीक हमले कर सकते हैं और निगरानी भी रख सकते हैं. और इनकी वजह से इंसानी जान जाने का जोखिम भी नहीं रहता. एक मिलियन डॉलर से कम लागत वाले ड्रोन अब टैंकों और युद्धपोतों जैसे टारगेट को नष्ट करने में सक्षम हो गए हैं.

कम पैसे वाले देशों के लिए ड्रोन बन रहे ताकतवर विकल्‍प

युद्ध में जितना खर्च आता है वह किसी भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर बहुत बुरा असर होता है. साथ ही बड़ी संख्‍या में सैनिकों की जान का भी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन आत्‍मघाती ड्रोन के आने से सबकुछ बदल सा गया है. इनकी मदद से न केवल सटीक हमले किए जा रहे हैं, बल्कि पैसे भी बच रहे हैं और सैनिकों की जान भी. परंपरागत रूप से, सैन्य खर्च हाई टेक हथियारों और गोला-बारूद पर केंद्रित था, जिससे पैसे वाले देशों को बढ़त मिलती थी. लेकिन हाल ही में ड्रोन तकनीक अधिक सस्ती और उन्नत हो गई है, जिससे कम संसाधन वाले देश भी बड़े रक्षा उपकरणों को चुनौती देने में सक्षम हो रहे हैं.

आज, केवल 500 डॉलर में उपलब्ध ड्रोन लाखों डॉलर की कीमत वाले टैंकों और तोपखाने को नष्ट करने में सक्षम हैं, जिससे सैनिकों की जान बचाई जा सकती है. यूक्रेन और रूस दोनों सेनाओं द्वारा ड्रोन का व्यापक उपयोग इस तकनीक की तेज़ी से हो रही प्रगति को दर्शाता है.

वैश्विक स्तर पर ड्रोन उद्योग

AeroVironment नाम की अमेरिकी कंपनी डिफेंस सेक्‍टर के लिए ड्रोन बनाने वाली अग्रणी कंपनी के रूप में उभर रही है. यह कंपनी ड्रोन (UAS), ग्राउंड व्हीकल्स (UGVs) और लॉइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम (LMSs) का डिजाइन और निर्माण करती है. यह अमेरिका की सबसे बड़ी सैन्य ड्रोन आपूर्तिकर्ताओं में से एक है और 2025 में इसकी अनुमानित वार्षिक आय 805 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. हाल ही में, कंपनी ने अमेरिकी सेना के साथ एक अरब डॉलर का समझौता किया है, जिसके तहत स्विचब्लेड (Switchblade) ड्रोन की आपूर्ति की जाएगी. ये ड्रोन न केवल निगरानी कर सकते हैं, बल्कि गाइडेड मिसाइलों की तरह दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और सैनिकों को नष्ट कर सकते हैं. यूक्रेनी सेना द्वारा इन ड्रोन का सफल उपयोग उनकी रणनीतिक उपयोगिता और लागत-प्रभावशीलता को दर्शाता है.

लॉकहीड मार्टिन जैसी कंपनियां भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं. कंपनी ने हाल ही में ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टरों को ड्रोन जैसी क्षमताओं से लैस करने के लिए एक समझौता किया है, जिससे वे बिना पायलट के संचालित किए जा सकें. इसी तरह, Anduril Industries ने बोल्ट (Bolt) ड्रोन पेश किया, जो 3 पाउंड तक का विस्फोटक ले जाने में सक्षम है.

वर्तमान में अधिकांश ड्रोन मैन्युअली संचालित किए जाते हैं, लेकिन AI इसमें नई क्रांति ला सकता है. AI की मदद से ये ड्रोन न केवल पूरी तरह से ऑटोमेटेड बन पाएंगे बल्कि खुद ही टारगेट तय का उसपर निशाना भी लगाने में सक्षम होंगे.

बड़े पैमाने पर युद्ध में कब-कब हुआ इस्‍तेमाल

  • रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों देशों ने FPV ड्रोन, कामिकाजे ड्रोन और लॉन्ग-रेंज ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया. यूक्रेन ने ड्रोन का उपयोग करके कई रूसी टैंकों और सैन्य ठिकानों को नष्ट किया.
  • अज़रबैजान-अर्मेनिया युद्ध में अज़रबैजान ने तुर्की के Bayraktar TB2 ड्रोन का इस्तेमाल कर आर्मेनिया की सैन्य ताकत को कुचल दिया.
  • इजरायल-गाजा संघर्ष में इजरायल ने हाई-टेक ड्रोन का उपयोग करके आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए, जिससे उसके जमीनी सैनिकों की जरूरत कम हो गई.
अगला लेख