पाकिस्तान को चुभ गई रक्षामंत्री की बात! राजनाथ सिंह के सिंध बयान पर PAK ने कहा- क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए ख़तरा
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सिंध को लेकर दिए गए बयान से पाकिस्तान में सियासी तूफ़ान उठ गया है. राजनाथ सिंह ने कहा था कि सीमाएं कभी भी बदल सकती हैं और कौन जानता है कि सिंध एक दिन फिर से भारत का हिस्सा बन जाए. इस बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे खतरनाक और भ्रमित सोच करार देते हुए कड़ी निंदा की है. साथ ही, पाकिस्तान ने हमेशा की तरह कश्मीर मुद्दा उठाते हुए भारत को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देने की नसीहत दी है.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिंध को लेकर ऐसा बयान दे दिया, जिसने पाकिस्तान की सियासत में आग लगा दी है. पिछले कुछ वर्षों में पहली बार नहीं, लेकिन इस बार ये बयान सीधे इतिहास, सभ्यता और राजनीतिक भूगोल को छू रहा था. राजनाथ सिंह ने मंच से साफ-साफ कहा, “सीमाएं बदलती हैं… कौन जानता है, कल सिंध फिर भारत का हिस्सा बन जाए.” यह एक राजनीतिक टिप्पणी से अधिक, भारत की ऐतिहासिक स्मृतियों को जगाने वाला संदेश था.
उनके इस बयान ने सिंधी समुदाय की भावनाओं को जोड़ते हुए 1947 के बंटवारे की टीस को फिर सामने ला खड़ा किया. लेकिन जैसे ही यह संदेश पाकिस्तान की सत्ता गलियारों तक पहुंचा. वहां प्रतिक्रिया ना सिर्फ तेज थी, बल्कि बेहद कड़ी और तल्ख़ थी.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे “भ्रमित और खतरनाक” बताते हुए कहा कि यह विस्तारवादी सोच और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन को दर्शाता है. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत की बयानबाज़ी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए ख़तरा है. पाकिस्तान ने भारत से उकसावे भरे बयानों से परहेज़ करने और अपने देश के अंदर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देने की सलाह भी दी. साथ ही कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के तहत हल करने की बात दोहराई. पाकिस्तान ने कहा कि वह क्षेत्र में सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है, लेकिन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.
पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तुरंत बयान जारी करते हुए भारतीय रक्षा मंत्री के वक्तव्य को “खतरनाक, भ्रामक और विस्तारवादी हिंदुत्व सोच” बताया. इसमें दावा किया गया कि भारत क्षेत्रीय शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है और स्थापित सीमाओं को चुनौती देना चाहता है. पाकिस्तान ने कहा कि ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और यह दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ा सकते हैं.
इस बयान में पाकिस्तान को क्या चुभ गया?
भारत में सिंध को हमेशा से सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखा जाता है. ‘सिंधु सभ्यता’, जिसे भारतीय इतिहास की नींव माना जाता है. राजनाथ सिंह ने इसी भावनात्मक तर्क को राजनीति के मंच पर सामने रखा. उनका कहना था कि सिंध भले ही वर्तमान में पाकिस्तान में है, लेकिन मान्यता, संस्कृति और सभ्यता के लिहाज से वह भारत का हिस्सा है. यही बात पाकिस्तान के लिए सबसे असहज करने वाली है.
अपने अल्पसंख्यकों पर ध्यान दे भारत: पाकिस्तान
जवाबी रणनीति के तहत पाकिस्तान ने मुद्दे को मोड़ने की कोशिश की. उसने भारत पर आरोप लगाया कि यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा खतरे में है, और सरकार को पहले अपने ही नागरिकों की चिंता करनी चाहिए. यह वही पुराना कूटनीतिक हथकंडा है, जिसका पाकिस्तान हर तनावपूर्ण स्थिति में इस्तेमाल करता आया है.
पाकिस्तान की घिसी-पिटी रणनीति
बयान में पाकिस्तान ने फिर पुराना मुद्दा दोहराया, जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की बात. जब भी सिंध, बलूचिस्तान या पाकिस्तान के भीतर किसी आवाज़ की बात हो, तत्काल भारत को उलझाने के लिए कश्मीर कार्ड खेल दिया जाता है. लेकिन इस बार भारत की तरफ से प्रतिक्रिया अधिक मजबूत और स्पष्ट रही- सभ्यता की बात कश्मीर विवाद से अलग है.
बंटवारे की पीड़ा अब भी जिंदा: राजनाथ सिंह
सिंध का जिक्र राजनाथ सिंह ने सिंधी हिंदुओं के फाउंडेशन के कार्यक्रम में किया, जहां उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की यादों का हवाला दिया. उन्होंने बताया कि सिंधी समुदाय बंटवारे के बाद भी सिंध से अपने भावनात्मक रिश्ते को नहीं तोड़ पाया है. इस संदेश में सिर्फ राजनीति नहीं, इंडस वैली की सांस्कृतिक वापसी का संकेत भी छिपा हुआ है.
भारत की पहचान का हिस्सा है सिंध
भारत के लिए सिंध का अर्थ महज़ एक सीमांत भूभाग नहीं, बल्कि उस नदी से है जिसने ‘इंडिया’ शब्द की उत्पत्ति की. हिंदू और मुस्लिम दोनों इसे पवित्र मानते आए हैं. इतिहास की यह कड़ी आज भी भावनाओं में मौजूद है. राजनाथ सिंह ने इसी पहचान को दोहराया और पाकिस्तान इसे राजनीतिक खतरे के रूप में देख रहा है.





