पद्म पुरस्कार से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र ने मिर्जापुर में ली अंतिम सांस, पीएम मोदी से था खास रिश्ता
पंडित छन्नूलाल मिश्र की बेटी नम्रता ने पिता के निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि 'बाबा घर पर ही थे और वहीं उन्होंने शांतिपूर्वक प्राण त्याग दिए.' पंडित छन्नूलाल मिश्र का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह लगभग 11 बजे वाराणसी लाया जाएगा. वहां दिनभर लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. शाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

भारत के महान शास्त्रीय गायक और पद्म पुरस्कार से सम्मानित कलाकार पंडित छन्नूलाल मिश्र का 91 साल की उम्र में निधन हो गया. यह दुखद घटना गुरुवार तड़के सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर मिर्जापुर स्थित उनके घर पर हुई. पिछले कई महीनों से उनकी तबीयत नासाज़ चल रही थी. कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उन्हें वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहां डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चला और धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार भी हुआ.
तबीयत बेहतर होने पर डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी थी, जिसके बाद परिवार उन्हें मिर्जापुर वापस ले आया. मिर्जापुर आने के बाद भी उनकी सेहत स्थिर नहीं रही और परिवार ने उन्हें रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय, ओझलापुल में भी भर्ती कराया, जहां उनकी कई जांचें हुईं. लेकिन उम्र और बीमारी ने उन्हें बेहद कमजोर बना दिया था। आखिरकार 2 अक्टूबर की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली.
बेटी ने की निधन की पुष्टि
उनकी बेटी नम्रता ने पिता के निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि 'बाबा घर पर ही थे और वहीं उन्होंने शांतिपूर्वक प्राण त्याग दिए.' पंडित छन्नूलाल मिश्र का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह लगभग 11 बजे वाराणसी लाया जाएगा. वहां दिनभर लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. उनके चाहने वाले, संगीत प्रेमी और शिष्य उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे. शाम 7 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. पंडित जी सिर्फ एक महान गायक ही नहीं थे, बल्कि भजन, ठुमरी और दादरा गायन में भी उनकी अलग पहचान थी. उनके सुर और आलाप ने शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया. उन्हें पद्मभूषण समेत कई बड़े सम्मान मिले.
प्रधानमंत्री मोदी से खास रिश्ता
पंडित छन्नूलाल मिश्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी खास संबंध रहा. साल 2014 में जब पीएम मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ा था, तब पंडित छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे. उनके निधन से भारतीय संगीत जगत में गहरा शोक है. काशी और पूरे पूर्वांचल में उन्हें एक बड़े सांस्कृतिक स्तंभ के रूप में देखा जाता था. आज उनकी आवाज़ खामोश हो गई है, लेकिन उनकी रचनाएं और संगीत हमेशा लोगों के दिलों में गूंजते रहेंगे.
कौन पंडित छन्नूलाल?
3 अगस्त 1936 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में जन्मे पंडित छन्नूलाल का जन्म एक एक संगीतमय परिवार में हुआ. उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, और पिता बद्री प्रसाद मिश्र भी संगीतज्ञ थे. छह साल की उम्र उन्होंने अपने पिता से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली. नौ साल की उम्र में उस्ताद गनी अली साहब से खयाल गायकी सीखी. बाद में मुजफ्फरपुर और बनारस में साधना की, जहाँ वे चतुर्भुज स्थान में एक छोटी कोठरी में रहकर अभ्यास करते थे.