सावधान! खांसी की दवा बनी कैसे बन गई 'किलर ड्रिंक'? MP से राजस्थान तक मचा बवाल- अब तक 7 बच्चों की मौत
Madhya Pradesh और Rajasthan में खांसी की दवा बच्चों के लिए ‘किलर ड्रिंक’ साबित हो रही है. छिंदवाड़ा में 6 और राजस्थान में 1 बच्चे की मौत के बाद हड़कंप मच गया है. जयपुर, सीकर और भरतपुर में कई बच्चे बीमार पाए गए. संदिग्ध बैचों की जांच के लिए NCDC और Drug Control Department ने सैंपल कलेक्ट किए हैं. अब तक 1.33 लाख से ज्यादा मरीजों को यह सिरप दिया जा चुका है. जांच रिपोर्ट आने तक दवा वितरण पर रोक लगा दी गई है.

राजस्थान और मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत और गंभीर बीमारियों के मामलों ने हड़कंप मचा दिया है. शक की सुई एक खांसी की सिरप पर अटक गई है, जिसे सरकारी योजना के तहत मुफ्त में बांटा गया था. राजस्थान के सीकर और भरतपुर से लेकर जयपुर तक कई बच्चे बीमार पड़े, वहीं मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में एक महीने में छह बच्चों की मौत हो गई.
इस पूरे मामले ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. राजस्थान में Kaysons Pharma कंपनी द्वारा बनाई गई सिरप की बैच पर सवाल खड़े हुए हैं तो छिंदवाड़ा में Coldrif और Nextro-DS सिरप को प्रतिबंधित कर दिया गया है. फिलहाल एनसीडीसी (NCDC) की केंद्रीय टीम ने सैंपल इकट्ठा किए हैं और लैब टेस्ट के नतीजों का इंतजार है.
राजस्थान में मौत और बीमारियों की कड़ी
सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में 5 साल के बच्चे की मौत और भरतपुर में 3 साल के बच्चे की गंभीर हालत ने हड़कंप मचा दिया. जयपुर के सांगानेर की 2 साल की बच्ची भी संदिग्ध खांसी की सिरप पीने के बाद आईसीयू में भर्ती हुई थी. अब उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया है.
सरकारी योजना के तहत मिलने वाली यह दवा देक्सट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड (Dextromethorphan Hydrobromide) सिरप बताई जा रही है. राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) ने संबंधित बैच नंबर KL-25/147 और KL-25/148 पर रोक लगा दी है और तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है.
छिंदवाड़ा में मौत का सिलसिला
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले एक महीने में छह बच्चों की मौत दर्ज हुई है. पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया और पहली मौत 7 सितंबर को हुई. सभी बच्चों में तेज बुखार और पेशाब करने में तकलीफ जैसे लक्षण पाए गए. प्रशासन ने Coldrif और Nextro-DS सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी है.
अधिकारियों की चिंता और चेतावनी
राजस्थान ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा कि 'हमने प्रभावित बैचों के सैंपल जब्त कर लैब में भेज दिए हैं. रिपोर्ट पांच से छह दिन में आएगी. तब तक इन दवाओं का वितरण पूरी तरह रोक दिया गया है. वहीं, जयपुर के एक पल्मोनोलॉजिस्ट ने चेतावनी दी. माता-पिता को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी बच्चे को सिरप या दवा नहीं देनी चाहिए, खासकर पांच साल से छोटे बच्चों को."
सरकार की सख्ती और आगे की राह
RMSCL के मुताबिक, जून से अब तक 1.33 लाख मरीजों को यह सिरप दिया गया है. पहले कोई शिकायत नहीं आई थी, लेकिन हाल के मामलों ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब सरकार ने सभी बैचों पर रोक लगाई है और गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया तेज कर दी है. एनसीडीसी की टीम भी सक्रिय हो चुकी है और जल्द ही रिपोर्ट राज्यों को सौंपी जाएगी. इसके बाद तय होगा कि दोषी कंपनी और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी.