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Operation Sindoor : 'भारत से मत भिड़ना' मश्विरे की अनदेखी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के 'तंदूर' में झोंका पाकिस्तान-INSIDE STORY

भारतीय थलसेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी ने खुलासा किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी घातक सैन्य कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा. यह ऑपरेशन 6-7 मई 2025 की रात को पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों पर चलाया गया. जनरल चतुर्वेदी के अनुसार, पाकिस्तान इस तबाही से बच सकता था यदि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज शरीफ की सलाह मानी होती.

Operation Sindoor : भारत से मत भिड़ना मश्विरे की अनदेखी ने ऑपरेशन सिंदूर के तंदूर में झोंका पाकिस्तान-INSIDE STORY
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:31 AM IST

'पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद अगर पाकिस्तान समझदारी से दबे-पांव दुम दबाकर भारत के पांवों में लोट जाता. तो शायद भारत को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के से घातक मार वाले चक्रव्यूह की रचना ही करनी पड़ती है और पाकिस्तान ने जिस तरह ऑपरेशन सिंदूर का कहर झेल कर खुद के हाथ-पांव अपने आप ही कटवा डाले हैं. पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर की चपेट में आकर उस तरह तबाह भी नहीं होता.

ऑपरेशन तंदूर की आग ने मक्कार पाकिस्तान को ही नहीं दुनिया भर को अहसास करा दिया है कि, आज का भारत 21वीं सदी का S-400 से सुसज्जित भारत है. न कि साल 1971 के दशक वाला भारत. कम-अक्ल पाकिस्तानी हुकूमत (प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ) और उसकी बिकाऊ बिचारी भाड़े की जिद्दी फौज का जनरल असीम मुनीर अपने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का मश्विरा मान लेते. तो भी पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के तंदूर में अधजला भुनकर विकलांग होने से बच जाता.'

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी

नई दिल्ली में मौजूद भारतीय थलसेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी (VK Chaturvedi Retired Lieutenant General Indian Army) ने, यह तमाम खुलासे स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) से विशेष बातचीत में किए. वीके चतुर्वेदी, भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादी शिविरों पर “ऑपरेशन सिंदूर” (6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद तड़के एक से डेढ़ बजे के बीच) को अंजाम दिए जाने की अगली सुबह यानी 7 मई 2025 को बात कर रहे थे. यह वही भारतीय थलसेना के यह वही रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी हैं जो, भारतीय फौज में दाखिल होने के बाद महज 20-21 साल की उम्र में ही 1971 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में, पाकिस्तान की छाती पर तोप लेकर जा चढ़े थे. रि. ले. जनरल वीके चतुर्वेदी ने 40 साल की भारतीय थलसेना की पूरी सेवा तोपखाने (आर्टिलरी) में ही की. इसीलिए उन्हें तोप चलाने और चलवाने में महारत भी है.

'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान बच सकता था

स्टेट मिरर हिंदी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में पूर्व ले. जनरल वीके चतुर्वेदी बोले, “हां, ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान टालकर उसके तंदूर में खुद ही खुद को जलाने से रोक सकता था. अगर उसके कम-अक्ल और अपनी निकम्मी मिलिट्री चीफ जनरल असीम मुनीर के आगे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घुटने न टेके होते. उन्होंने (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) ने अपनी जान बचाने और अपनी फौज में विद्रोह न हो जाने को प्राथमिकता दी.”

न पहलगाम होता न ‘ऑपरेशन सिंदूर’

बात जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि, “डरपोक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की अवाम और, उसके थर्ड स्टैंडर्ड फौजी लाव-लश्कर को बचाने की तो सोची ही नहीं. अगर अपने मिलिट्री चीफ असीम मुनीर और अपनी पंगु खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर, पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टरी न नाचते तो न पहलगाम होता. न ही भारत को ऑपरेशन सिंदूर की व्यूह रचना करनी होती. जब पाकिस्तान ने ही नहीं कुछ सोचा तो फिर, भारत ने क्या उसकी सुरक्षा का ठेका ले रहा है?”

कमजोर “प्रधानमंत्री” बेदम-बिकाऊ आर्मी-चीफ

सवाल-जवाब के दौर में वीके चतुर्वेदी पाकिस्तान से जुड़ी अंदर की एक बेहद अहम खबर बताते हैं. जिसके मुताबिक, “पाकिस्तान ने जब 22 अप्रैल 2022 को मंगलवार के दिन अमंगल करते हुए 26 निहत्थे निर्दोषों को, उनका धर्म पूछने के बाद जम्मू-कश्मीर घाटी के पहलगाम (बैसरन घाटी पर्यटन स्थल) में मार डाला. तब भारत, पाकिस्तानी शिविरों पर हमले की रणनीति में तो (ऑपरेशन सिंदूर की व्यूह रचना) जुट गया था. हां, भारतीय फौज और हुकूमत के टॉप लीडर्स के अलावा इसका अंदाजा किसी को नहीं था कि, ऑपरेशन सिंदूर का जवाब देने की हिमाकत अगर पाकिस्तान करेगा तब भारत, पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के तंदूर में झोंककर भून भी डालेगा. और पाकिस्तान तीन दिन में ही भारत के सामने घुटनों के बल गिरकर भीख में ‘सीजफायर’ का सा रहम मांगने के लिए गिड़गिड़ाने लगेगा.”

भारत के हाथों मार खाए बैठे बड़े भाई की सलाह

एक सवाल के जवाब में भारत की थलसेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी स्टेट मिरर हिंदी से अंदर की बात खोलते हुए बोले, “दरअसल पाकिस्तान ने जब भाड़े के आतंकवादियों से पहलगाम कांड को अंजाम दिलवा डाला. उसके बाद उन्हें अंदाजा हो गया था कि भारत इसका बदला जरूर लेगा. इसी डर से थरथराते-कांपते हुए शहबाज शरीफ अपने बड़े भाई और पाकिस्तान के पूर्व अनुभवी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पास पहुंचे थे. नवाज शरीफ भारत की ताकत और मार का अहसास 1999 में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित कारगिल वॉर के जवाब का भारत की ताकत का दंश झेले बैठे थे. लिहाजा दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. सो कारगिल युद्ध में भारत द्वारा तबाह कर डाले गए पाकिस्तान के उस वक्त के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और अब पाकिस्तन के प्रधानमंत्री व अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ को, अंधेरे में नहीं रखना चाहते थे.

दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है

लिहाजा कारगिल वॉर में भारत के हाथों बुरी तरह मार खाकर उसके जख्मों को पाकिस्तान के बदन पर अब भी अहसास करने वाले नवाज शरीफ ने, शहबाज शरीफ को मश्विरा दिया कि, वह मौजूदा हालातों में (पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद) भारत से आमने-सामने न भिड़े. सीधे टकराव में पाकिस्तान बहुत जल्दी ‘पस्त’ हो लेगा. नवाज शरीफ को इस बात की भी प्रबल आशंका थी कि, पाकिस्तान का मौजूदा मिलिट्री चीफ असीम मुनीर, देश और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को न घर का छोड़ेगा और घाट का. जैसा कि साल 1999 में तब के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अंधेरे में रखकर, पाकिस्तानी फौज के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत के साथ ‘कारगिल-वॉर’ शुरू करवा कर फंसवा डाला था.

बड़े भाई के मश्विरे की नजरंदाजी “भस्मासुर” बनी

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी के अनुसार, “बड़े भाई नवाज शरीफ ने नेक सलाह देते हुए छोटे भाई और इस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से कहा कि वह, पहलगाम में आतंकवादी हमला अंजाम दिलवाने के बाद फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाएं. जरा सी गलती वरना पाकिस्तान के गले की फांस बन जाएगी. साथ ही दूसरी सलाह यह दी थी कि किसी भी कीमत पर पाकिस्तान मौजूदा हालातों में भारत से भिड़े न. आमने सामने भिड़ने के बजाए वक्त को आगे टालने के लिए नवाज शरीफ ने, शहबाज शरीफ को भारत के साथ बातचीत के जरिए फिलहाल मुसीबत टालने की सलाह दी.

भारत 3 दिन में पाकिस्तान को घुटनों पर ले आया

चूंकि शहबाज शरीफ अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई और मिलिट्री चीफ मुनीर के चंगुल में जकड़े हुए हैं. इसलिए फौज के दवाब में शहबाज शरीफ खामोश रहे. नतीजा यह रहा कि भारत ने 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद 25 मिनट पाकिस्तान की सर-ज़मीं पर चलाए “ऑपेरशन सिंदूर” के तंदूर की लपटों में, पाकिस्तान को चौतरफा घेरकर बुरी तरह फूंक डाला. नतीजा दुनिया के सामने है. हिंदुस्तान का ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान को तीन दिन में भिखारी बनाकर घुटनों पर ले आया.

ऑपरेशन सिंदूरस्टेट मिरर स्पेशल
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