Operation Sindoor के बाद BrahMos का नया 'धमाका', खरीदने के लिए ये देश हैं कतार में
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, “ब्रह्मोस की सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार, सटीकता और बहुपक्षीय लॉन्च क्षमता है. यह दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का मौका तक नहीं देती.” इसके जरिए भारत न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि डिफेंस डिप्लोमेसी का नया चेहरा भी बना रहा है.

भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने एक बार फिर अपनी ताकत का लोहा मनवाया है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर किए गए सटीक मिसाइल हमलों ने न सिर्फ दुश्मन को चेताया, बल्कि दुनिया भर के देशों का ध्यान भी इस देशी हथियार की ओर खींच लिया है. अब 17 से ज्यादा देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की होड़ में हैं, और भारत तेजी से एक वैश्विक रक्षा निर्यातक बनकर उभर रहा है.
क्यों खास है ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है. यह मिसाइल जमीन, हवा और समुद्र से दागी जा सकती है और इसकी गति Mach 3 (तीन गुना ध्वनि की गति) तक होती है. इसकी रेंज 290 से लेकर 800 किलोमीटर तक बढ़ाई जा चुकी है और यह सिर्फ 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए दुश्मन पर सटीक हमला कर सकती है. 200 से 300 किलोग्राम तक के वॉरहेड ढोने में सक्षम यह मिसाइल आज भारत की सैन्य शक्ति का सबसे भरोसेमंद चेहरा बन चुकी है.
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका
हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी अड्डों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत ब्रह्मोस मिसाइलों से हमला किया. इस कार्रवाई ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि बेहद आक्रामक और सटीक स्ट्राइक क्षमता रखता है. इसी कारण अब दुनिया भर की सेनाएं ब्रह्मोस को अपने हथियारों के ज़खीरे में शामिल करना चाह रही हैं.
अब तक किसे मिली ब्रह्मोस?
फिलहाल केवल फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का करार किया है. जनवरी 2022 में फिलीपींस ने 375 मिलियन डॉलर की डील के तहत तीन कोस्टल डिफेंस बैटरियों की खरीद की. पहली बैटरी अप्रैल 2024 में मिल चुकी है और दूसरी अप्रैल 2025 तक मिलने की उम्मीद है.
अब ये 17 देश भी खरीदना चाहते हैं ब्रह्मोस
- दक्षिण-पूर्व एशिया: इंडोनेशिया: $200–$350 मिलियन की डील के लिए बातचीत चल रही है
- वियतनाम: $700 मिलियन की डील की योजना, सेना और नौसेना दोनों के लिए मिसाइलें
- मलेशिया: Su-30MKM फाइटर जेट और Kedah-class वॉरशिप्स के लिए ब्रह्मोस चाहता है
- थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई: बातचीत के अलग-अलग चरणों में
- ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला: नेवल और कोस्टल डिफेंस वर्ज़न में दिलचस्पी
- मिस्र, सऊदी अरब, UAE, कतर, ओमान: कई देशों से उच्चस्तरीय वार्ताएं जारी हैं
- दक्षिण अफ्रीका, बुल्गारिया: संभावित सौदों के लिए बातचीत जारी
क्या कहती है सेना?
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, “ब्रह्मोस की सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार, सटीकता और बहुपक्षीय लॉन्च क्षमता है. यह दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का मौका तक नहीं देती.” इसके जरिए भारत न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि डिफेंस डिप्लोमेसी का नया चेहरा भी बना रहा है.
भारत की डिफेंस डिप्लोमेसी को मिला नया पंख
ब्रह्मोस मिसाइल अब सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक शक्ति और वैश्विक भरोसे का प्रतीक बन चुकी है. अमेरिका और चीन के बढ़ते तनाव के बीच भारत का ये सुपरसोनिक हथियार दुनिया की सैन्य ज़रूरतों को पूरा करने वाला भरोसेमंद ब्रांड बनकर उभर रहा है.