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Operation Sindoor Airstrike के पीछे प्रधानमंत्री मोदी, राजनाथ सिंह, डोभाल में से किसका दिमाग...? Inside Story

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले में एजेंसियों की नाकामी के बाद प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री और एनएसए अजित डोभाल की रणनीति से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया गया. भारतीय वायुसेना ने PoK और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. यह जवाब देश की खोई हुई साख को फिर से स्थापित करने की कोशिश थी.

Operation Sindoor Airstrike के पीछे प्रधानमंत्री मोदी, राजनाथ सिंह, डोभाल में से किसका दिमाग...? Inside Story
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:39 AM IST

पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी आतंकवादियों के द्वारा किए गए अमंगल के वक्त भारतीय एजेंसियां गहरी नींद में सो रही हैं. फिर चाहे वो जम्मू कश्मीर पुलिस उसकी लोकल इंटेलीजेंस हो. या फिर दुनिया भर में मशूहर भारत की खुफिया एजेंसी RAW. पहलगाम में भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी आईबी (IB) भी बुरी तरह ‘पस्त’ साबित हो गई. रॉ, आईबी और जम्मू कश्मीर पुलिस व उसकी लोकल इंटेलीजेंस विंग अगर जाग रही होतीं तो शायद, पहलगाम में 26 निहत्थे-निर्दोष न मरे होते.

खुफिया एजेंसियों की ऐसी दुर्गति से खिन्न हिंदुस्तानी हुकूमत, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी अजित डोभाल (NSA Ajit Doval) की संयुक्त ‘सोच’ के बाद जो प्लानिंग की, उसी का नाम है “ऑपरेशन-सिंदूर” (Operation Sindoor).

पहलगाम में सोती रही एजेंसियों ने ‘जगाया’

पहलगाम नरसंहार (Pahalgam Terror Attack) में अपनी नीम-बेहोशी के चलते बदनाम हुई भारतीय खुफिया एजेंसियों को जगाने की जिम्मेदारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने जब अपने सिर पर ली, तो उसका नतीजा यह रहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड ही बदल डाला गया. खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ आलोक जोशी को बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया. कुछ काबिल सदस्य भी बोर्ड में शामिल किए गए. इस सब जबरदस्त उलट- फेर का नतीजा दुनिया के सामने 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद था. जिसमें भारतीय वायुसेना पाकिस्तान की हद में 100 किलोमीटर भीतर घुसकर, वहां मौजूद आतंकवादियों और उनके अड्डों पर कहर बरपा साफ-सुरक्षित वापिस अपने घर लौट आई.

PM Modi ने खुद संभाला मोर्चा तब बची इज्जत

कह सकते हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजित डोभाल भी अगर, पहलगाम में सोती रही अपनी एजेंसियों के ऊपर विश्वास करके हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते, तो शायद ‘Operation Sindoor’ जैसी व्यूह रचना ही नहीं रच पाती. जिसके नतीजे में पाकिस्तान और उसके आतंकवादी, हमेशा पहलगाम को लेकर हमें मुंह चिढ़ाते रहते. अब ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों को ही जमाने में मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा है.

पहलगाम से बुरा क्या होगा? इसलिए खामोशी...

प्रधानमंत्री मोदी ने देश और दुनिया से पहलगाम नरसंहार को लेकर जो कुछ, और जितना खरा-बुरा सुना-बर्दाश्त किया वह सब सुनने-सहने की उनकी फितरत नहीं है. बात चूंकि अपनी ही सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के निकम्मेपन के चलते पहलगाम में 26 निर्दोंषों के कत्ल की बदनामी वाली बात थी. और फिर बात दुनिया के पटल पर हिंदुस्तान के इज्जत बरकरार रखने थी. सो प्रधानमंत्री ने रक्षामंत्री और एनएसए से सबसे पहले विचार किया. उस अपने बीच तीनों भारतीए सेनाओं को मुखिया, रॉ को बुलाया. सबके बीच बैठकर निष्कर्ष निकला, चूंकि पहलगाम में नरसंहार को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी थे. जिन्होंने कई महिलाओं से के सिर से सिंदूर असमय ही पोंछ डाला. कई मासूम से पिता का साया छीन लिया. और तमाम ऐसे भी हताहत हैं जो गोलियां लगने से न मरने के रहे न ही जीने के. लिहाजा इन तमाम सवालो के जवाब का ऋण उतारने के लिए ही प्रधानमंत्री ने तय किया कि, ऑपरेशन-सिंदूर से ज्यादा और कोई बेहतर नाम हो ही नहीं सकता है.

ऑपरेशन सिंदूर का नाम रखने के बाद...

ऑपेरशन सिंदूर नाम जब मिल गया तब सवाल यह आया कि, अब ऑपरेशन को सिर-ए-अंजाम कैसे चढ़ाया जाए. इसके लिए तीनो सेनाध्यक्षों के साथ खुफिया एजेंसी रॉ और एनएसए मय अपनी टीम के बैठे. मंत्रणा हुई तो उसमें फाइनल कर दिया गया कि हमला रात के वक्त किया जाएगा. हमला सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकवादी शिविरों पर किया जाएगा. ताकि आसपास के निरीह-निर्दोष लोग भारतीय वायुसेना की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान की जा रही बमबारी में, आम-पाकिस्तानी नागरिक हताहत न हों.

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