Operation Nader: सेना की घेराबंदी से त्राल में आतंकी नेटवर्क ध्वस्त; मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकवादी
जम्मू-कश्मीर के त्राल और शोपियां में सुरक्षाबलों ने दो अलग-अलग अभियानों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के छह आतंकियों को मार गिराया है. ये कार्रवाई 48 घंटे के भीतर हुई, जिससे घाटी में आतंक का नेटवर्क कमजोर हुआ है. मारे गए आतंकी कई बड़ी घटनाओं में शामिल थे. सेना की रणनीति अब केवल जवाबी नहीं, निर्णायक बन चुकी है.

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने बीते 48 घंटों के भीतर दो अलग-अलग अभियानों में छह आतंकियों को मार गिराकर एक अहम रणनीतिक सफलता दर्ज की है. गुरुवार को पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र में हुए मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी मारे गए, जबकि इससे दो दिन पहले शोपियां में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को ऑपरेशन केलर के तहत ढेर किया गया था. इन लगातार अभियानों से आतंकियों की कमर टूटती दिख रही है.
त्राल के नादिर गांव में जैश के आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में सेना ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उन्हें घेर लिया और फायरिंग में तीन आतंकी ढेर कर दिए. इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, संचार उपकरण और पाकिस्तानी आईएसआई से जुड़ा डाटा मिला है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे. फिलहाल क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन जारी है.
लश्कर के खूंखार चेहरे शोपियां में ढेर
शोपियां के जंगल क्षेत्र में मारे गए लश्कर आतंकियों में शाहिद कुट्टे और अदनान शफी डार जैसे कुख्यात नाम शामिल हैं. शाहिद, श्रीनगर में विदेशी पर्यटकों पर हमले और बीजेपी नेता की हत्या जैसे मामलों में वांछित था, वहीं अदनान ने वाची में प्रवासी मज़दूरों की हत्या को अंजाम दिया था. इन दोनों की मौत को सुरक्षाबल स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी रास्ते से हटाने की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं.
आतंकी संगठनों में मची भगदड़
एक के बाद एक हो रहे अभियानों ने जैश और लश्कर जैसे संगठनों के अंदरूनी ढांचे को बुरी तरह झकझोर दिया है. आतंकियों के मारे जाने से सिर्फ उनके नेटवर्क को नुकसान नहीं पहुंचा है, बल्कि पाकिस्तानी आकाओं के बनाए लॉजिस्टिक और फंडिंग सिस्टम पर भी गहरा असर पड़ा है. खुफिया सूत्रों के अनुसार, घाटी में मौजूद कुछ अन्य आतंकी अब खुद ही आत्मसमर्पण की ओर बढ़ रहे हैं.
बदलती कश्मीर की कहानी
इन कार्रवाइयों से यह साफ हो गया है कि कश्मीर अब खौफ का इलाका नहीं, बल्कि कानून और संविधान की वापसी की जमीन बन चुका है. नई दिल्ली की नीति अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि हमलावर होती जा रही है. जहां आतंक को केवल जवाब नहीं, जड़ से खत्म करने की रणनीति अपनाई जा रही है. सुरक्षाबलों की यह आक्रामक नीति घाटी में स्थायी शांति के लिए निर्णायक साबित हो सकती है.