प्लास्टिक शीट से हुई फिसलन और ट्रक की वजह से भगदड़, कोई मदद को नहीं आया; पीड़ितों ने बताई हादसे की पूरी कहानी
पुरी में श्रीगुंडिचा मंदिर के सामने रथ यात्रा के दौरान मची भगदड़ में 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए. बारिश, ट्रक की एंट्री और लचर प्रशासनिक व्यवस्था ने हादसे को और भयावह बना दिया. पीड़ितों के अनुसार, घटना के वक्त कोई मदद नहीं पहुंची. एक बार फिर भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की नाकामी उजागर हुई है.

रविवार सुबह पुरी की रथ यात्रा में हुए भगदड़ हादसे ने एक धार्मिक उत्सव को दर्दनाक त्रासदी में बदल दिया. श्रीगुंडिचा मंदिर के सामने करीब 4 बजे जब हजारों श्रद्धालु रथों के दर्शन के लिए उमड़े, तभी अफरा-तफरी में भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं बसंती साहू, प्रेमकांत मोहंती और पार्वती दास की जान चली गई, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए. हादसा महज़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सुनियोजित व्यवस्था की नाकामी का नतीजा बन गया.
हादसे की पृष्ठभूमि में बारिश एक बड़ा कारण बनी. श्रद्धालु अपने साथ प्लास्टिक शीट लेकर आए थे, जो भीड़ के भगदड़ में फिसलन का कारण बन गई. लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे हालात और बिगड़ गए. सूत्रों की मानें तो लकड़ी से लदे दो ट्रक भीड़ में घुस आए थे, जिससे भगदड़ और तेज हो गई. इतनी बड़ी घटना के बावजूद प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां नदारद दिखीं.
वीआईपी के लिए अलग रास्ता, आम श्रद्धालु हुए बेसहारा
स्थानीय निवासी स्वाधीन कुमार पंडा ने बताया कि प्रशासन ने वीआईपी श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ता बनाया था, जिससे आम भक्तों को दूर से दर्शन करने को मजबूर होना पड़ा. इससे प्रवेश और निकास द्वारों पर दबाव बढ़ा और भीड़ अनियंत्रित हो गई. यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई थी क्योंकि अनधिकृत पास वाले वाहन मंदिर के पास पहुंच गए थे. यह प्रशासन की प्राथमिकता और जनता के बीच फर्क को उजागर करता है.
हादसे के वक्त न पुलिस थी, न बचाव दल
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों ने बताया कि जब भगदड़ मची, तब न दमकल कर्मी पहुंचे, न पुलिस और न ही मेडिकल रेस्क्यू टीम. हादसे में अपनी पत्नी को खोने वाले शख्स ने कहा कि कोई मदद को नहीं आया, सिर्फ चीखें थीं और खामोशी. यह बयान प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली की असफलता का सबसे तीखा प्रमाण है.
अस्पताल में कई की हालत नाज़ुक
घायल श्रद्धालुओं को पुरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से छह की हालत अत्यंत गंभीर बताई जा रही है. इन सभी को आईसीयू में रखा गया है और डॉक्टर लगातार निगरानी कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मरीज मानसिक आघात की स्थिति में हैं. हादसे के बाद जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की बात तो कही है, लेकिन विश्वास उठ चुका है.
हर साल दोहराई जाती है चूक
पुरी की रथ यात्रा कोई नई परंपरा नहीं, बल्कि सदियों पुराना आयोजन है. इसके बावजूद हर साल भीड़ नियंत्रण को लेकर प्रशासन विफल रहता है. इस बार भी सवाल वही है, कितनी मौतों के बाद सरकार जागेगी? कब वीआईपी संस्कृति से ऊपर आम लोगों की जान की कीमत समझी जाएगी? श्रद्धा के नाम पर जान देना किसी भी व्यवस्था के लिए शर्म की बात होनी चाहिए, पर अफसोस कि ये शर्म अब आदत बन चुकी है.