श्रद्धा की भीड़ में दब गई ज़िंदगी! पुरी रथ यात्रा में भगदड़ से 3 की मौत, कई घायल; जानें कैसे बनी भयावह स्थिति?
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान श्रीगुंडिचा मंदिर के पास भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौत और दस से अधिक लोग घायल हो गए. यह घटना भीड़ प्रबंधन में बड़ी चूक की ओर इशारा करती है. हर साल होने वाली इस यात्रा में सुरक्षा को लेकर प्रशासन फिर कटघरे में है.

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान श्रद्धा का सैलाब उस समय मातम में बदल गया, जब रविवार सुबह करीब 4:30 बजे श्रीगुंडिचा मंदिर के सामने अचानक भीड़ बेकाबू हो गई. हजारों की संख्या में दर्शन को उमड़े भक्तों के बीच इतनी भीड़ जमा हो गई कि धक्का-मुक्की और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, ज़मीन पर लोग गिरने लगे और शोर में सिसकियों की आवाज़ें दबने लगीं.
इस अफरा-तफरी में 3 श्रद्धालुओं की जान चली गई. मृतकों की पहचान खुर्दा जिले के प्रेमाकांत महांती (70), प्रभाती दास और बसंती साहू के रूप में हुई है. तीनों सुबह-सुबह रथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह यात्रा उनकी अंतिम यात्रा बन जाएगी. यह हादसा दर्शाता है कि कितनी बड़ी संख्या में एकत्रित भीड़ को नियंत्रित करना कितना संवेदनशील और कठिन होता है.
कैसे बनी भगदड़ जैसी स्थिति?
घटना स्थल श्रीगुंडिचा मंदिर के पास स्थित शरधाबली वह जगह है जहां रथ रुकता है और भक्त करीब से दर्शन का प्रयास करते हैं. हजारों की भीड़ जब एक ही समय में आगे बढ़ने लगी तो नियंत्रण टूट गया. सुरक्षा घेरा भी टूट गया और कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े. इसमें कुछ लोग दब गए और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई. यह बताता है कि भीड़ प्रबंधन में गंभीर चूक हुई.
घायलों की हालत गंभीर, अस्पताल में इलाज जारी
भगदड़ में घायल हुए 10 से अधिक श्रद्धालुओं को तुरंत 108 एम्बुलेंस के ज़रिये पुरी जिला अस्पताल पहुंचाया गया. इनमें से कुछ की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है. डॉक्टरों की टीम लगातार इलाज कर रही है, लेकिन कुछ लोगों के मानसिक रूप से भी बुरी तरह टूट जाने की खबर है. हादसे के बाद आसपास के लोग भी मदद के लिए आगे आए.
सवालों के घेरे में है प्रशासन की तैयारी
इतनी बड़ी संख्या में भीड़ जुटने के बावजूद, शुरुआती सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था असफल साबित हुई. यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है. हर साल रथयात्रा के दौरान सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई अक्सर कुछ और ही होती है. ऐसे आयोजनों में छोटी सी चूक भी जानलेवा हो सकती है, और यही इस बार हुआ.
श्रद्धा के इस पर्व में कड़वा सच
पुरी की रथयात्रा देश की सबसे भव्य धार्मिक परंपराओं में से एक है. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की यह वार्षिक यात्रा करोड़ों आस्थावानों का केंद्र होती है. लेकिन जब श्रद्धा को संभालने में चूक होती है, तो यही पर्व त्रासदी बन जाता है. यह हादसा प्रशासन, आयोजकों और समाज तीनों के लिए एक चेतावनी है कि भीड़ सिर्फ संख्या नहीं होती, वह ज़िम्मेदारी भी होती है.