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NDLS Stampede: महाकुंभ के दौरान नई दिल्ली स्टेशन पर 18 मौतों की असली वजह क्या थी? रेल मंत्री ने संसद में बताई पूरी बात

15 फरवरी को महाकुंभ जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ के बीच नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची अफरा-तफरी में 18 लोगों की जान चली गई और 15 घायल हो गए. रेल मंत्री ने हादसे की वजह सिर से सामान गिरना बताया, लेकिन RPF रिपोर्ट में प्लेटफॉर्म बदलने की अनाउंसमेंट और अव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया गया है.

NDLS Stampede: महाकुंभ के दौरान नई दिल्ली स्टेशन पर 18 मौतों की असली वजह क्या थी? रेल मंत्री ने संसद में बताई पूरी बात
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 2 Aug 2025 7:33 AM

15 फरवरी को महाकुंभ में शामिल होने के लिए हज़ारों श्रद्धालु नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जुटे थे. शाम होते-होते यह भीड़ बेकाबू होने लगी. रात 8:15 बजे के बाद प्लेटफॉर्म 14 और 15 की सीढ़ियों से होकर गुजरने वाले फुटओवर ब्रिज (FOB-3) पर यात्रियों की संख्या अचानक बहुत अधिक हो गई. अधिकतर यात्री सिर पर भारी सामान लेकर चल रहे थे. इसी दौरान एक यात्री का सामान सिर से गिरा और आसपास बैठे लोग लड़खड़ा गए. कुछ ही पलों में सीढ़ियों पर लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मामले में संसद में जो बयान दिया, उसमें 'भगदड़' शब्द का जिक्र नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि हादसा सामान गिरने की वजह से हुआ, जिससे यात्री लड़खड़ाकर गिर पड़े. समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने जब इस हादसे पर सवाल किया, तो रेल मंत्री ने उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए केवल "सीढ़ियों पर यात्री गिरने" की बात दोहराई. सवाल यह है कि जब स्थिति स्पष्ट रूप से भगदड़ जैसी थी, तो क्या इसे टालने की कोशिश की जा रही है?

RPF की रिपोर्ट ने बताई हादसे की जड़

हादसे के कुछ दिन बाद आरपीएफ ने दिल्ली जोन को जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें साफ तौर पर अव्यवस्था की ओर इशारा किया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि प्रयागराज जाने वाली कुंभ स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म को लेकर भ्रम फैल गया था. पहले प्लेटफॉर्म 12 का अनाउंसमेंट हुआ, फिर प्लेटफॉर्म 16 का. इस भ्रम के कारण यात्री तेज़ी से प्लेटफॉर्म बदलने लगे. इसी बीच, पहले से ही मौजूद मगध एक्सप्रेस और उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के यात्रियों के साथ ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बन गई.

तीन ट्रेनों की भीड़, दो ब्रिज और एक गड़बड़ी

हादसे के समय तीन प्रमुख ट्रेनें मगध एक्सप्रेस, उत्तर संपर्क क्रांति और प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर खड़ी थीं. यात्री एक ही समय में चढ़ने-उतरने की कोशिश कर रहे थे. अनाउंसमेंट बदलने के कारण हजारों लोग फुटओवर ब्रिज-2 और 3 से ऊपर-नीचे हो रहे थे. इसी समय धक्का-मुक्की और गिरने की घटनाएं शुरू हुईं. ऐसा नहीं था कि यह केवल एक यात्री के सामान गिरने से हुआ. यह भीड़ नियंत्रण में भारी चूक का नतीजा था.

पुलिस ने कहा- जान बचानी है तो लौट जाओ

हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्लेटफॉर्म और ट्रेन दोनों में सांस लेने की भी जगह नहीं थी. पुलिसकर्मी लोगों से कह रहे थे, "अगर जान बचानी है तो वापस चले जाओ, टिकट गए तो गए, जान बची तो बहुत है." एक यात्री प्रमोद चौरसिया ने बताया कि उनके पास कन्फर्म टिकट था, लेकिन डिब्बे में घुसने की कोई संभावना नहीं थी. भीड़ इतनी थी कि लोग एक-दूसरे को कुचल रहे थे.

ट्रेनों की देरी और कैंसिलेशन ने भीड़ को और बढ़ाया

प्रयागराज जा रहे धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ ट्रेनें कैंसिल थीं और कुछ घंटों की देरी से चल रही थीं. इस कारण एक ही समय पर कई ट्रेनों की भीड़ स्टेशन पर जमा हो गई. यात्रियों को स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही थी. उन्होंने बताया कि पहली बार उन्होंने दिल्ली स्टेशन पर इतनी भीड़ देखी, और खुद छह-सात महिलाओं को स्ट्रेचर पर जाते हुए देखा. यह हादसा अचानक नहीं था, बल्कि इंतज़ामों की नाकामी का नतीजा था.

कितने लोगों को मिला मुआवजा?

रेल मंत्री ने बताया कि मृतकों के परिजनों को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख और सामान्य घायलों को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया. कुल 2.01 करोड़ रुपये की सहायता 33 पीड़ितों और उनके परिवारों को दी गई. साथ ही, रेलवे ने 73 प्रमुख स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया, एंट्री कंट्रोल, चौड़े फुटओवर ब्रिज, सीसीटीवी कैमरे और वॉर रूम जैसे नए इंतज़ाम किए हैं. सवाल ये उठता है कि क्या ये उपाय भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक पाएंगे?

सबक क्या मिला?

नई दिल्ली स्टेशन पर हुआ यह हादसा बताता है कि जब योजनाबद्ध ढंग से भीड़ प्रबंधन नहीं होता, तो नतीजे कितने खतरनाक हो सकते हैं. महाकुंभ जैसे आयोजनों के समय रेलवे को स्पेशल ट्रैफिक प्लान और अनाउंसमेंट सिस्टम को मजबूत बनाना होगा. यात्रियों को स्पष्ट जानकारी और सुरक्षित आवाजाही की व्यवस्था करना केवल कागज़ी नहीं, ज़मीनी स्तर पर भी होनी चाहिए. यह हादसा एक चेतावनी है, जिसे अगर अनसुना किया गया, तो अगली बार और बड़ा नुकसान हो सकता है.

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