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बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटे, राजनीतिक दलों ने जताई चिंता; जानिए SIR के पहले ड्राफ्ट की खास बातें

बिहार में मतदाता सूची से 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं. निर्वाचन आयोग की ओर से जारी Systematic Investigation Register (SIR) के पहले ड्राफ्ट में इस बड़ी संख्या में नाम विलोपित किए गए हैं. यह ड्राफ्ट बिहार के सभी जिलों में चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है और इसे राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ साझा किया गया है.

बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटे, राजनीतिक दलों ने जताई चिंता; जानिए SIR के पहले ड्राफ्ट की खास बातें
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( Image Source:  ANI )

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की. इस सूची में कुल 7.24 करोड़ नाम शामिल किए गए हैं, जो पूर्व की 7.89 करोड़ वोटर लिस्ट से लगभग 65.2 लाख नामों की कटौती को दर्शाता है. इस ड्राफ्ट सूची की हार्ड एवं डिजिटल कॉपी राज्य के सभी 38 जिलों में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को प्रदान की गई है.

चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया राज्य में मतदाता सूची की शुद्धता और दोहराव हटाने के उद्देश्य से शुरू की है. अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों के नाम हटे हैं, वे या तो दोहरा पंजीकरण, मृतक, या स्थान परिवर्तन जैसे कारणों से हटाए गए हैं. SIR ड्राफ्ट के मुताबिक, इन हटाए गए नामों की गहन जांच की गई है. ड्राफ्ट को http://voters.eci.gov.in पर भी अपलोड किया गया है.

क्यों हटाए गए इतने नाम?

  • 22.34 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी थी
  • 36.28 लाख लोग स्थायी रूप से दूसरे स्थानों पर गए या अनुपस्थित पाए गए
  • 7.01 लाख दुहरे पंजीकरण वाले नाम शामिल थे

किन जिलों में सबसे ज्यादा नाम हटे?

  • पटना: 3.95 लाख
  • मधुबनी: 3.52 लाख
  • पूर्वी चंपारण: 3.16 लाख
  • गोपालगंज: 3.10 लाख

कवरेज का दायरा

SIR प्रक्रिया में राज्य की 243 विधानसभा सीटें और 90,817 मतदान केंद्र शामिल किए गए. यह ड्राफ्ट लिस्ट है, और अंतिम मतदाता सूची दावा-आपत्ति प्रक्रिया के बाद ही प्रकाशित की जाएगी.

विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, इसे जनमत गुमराह करने वाला बताते हुए आरोप लगाया है कि इसे NDA को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से संचालित किया गया है. कई दलों ने आशंका जताई है कि इस प्रक्रिया में वास्तविक मतदाताओं के नाम भी गलती से हटा दिए गए हो सकते हैं. वहीं, आयोग का कहना है कि यह एक पारदर्शी प्रक्रिया है और अंतिम सूची सार्वजनिक प्रतिक्रिया और सुधार के बाद ही जारी की जाएगी.

चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि प्रभावित लोग पुनः नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकते हैं, और यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और समयबद्ध होगी. सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राजनीतिक दलों की आपत्तियों और सुझावों को गंभीरता से लें और फील्ड वेरिफिकेशन सुनिश्चित करें.

सुप्रीम कोर्ट का रुख और चुनाव आयोग की सफाई

सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जुलाई को स्पष्ट किया कि यदि “भारी संख्या में मतदाताओं को गलत तरीके से ड्राफ्ट सूची से बाहर किया गया” पाया गया, तो वह हस्तक्षेप करेगी. वहीं, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सूची में किसी भी नाम को हटाने से पहले स्पष्ट लिखित आदेश और नोटिस जारी किया गया है.

किशनगंज में 1 लाख 45 हजार लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए

किशनगंज में 1 लाख 45 हजार 913 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं. वहीं, सहरसा में 1,31,596 लोगों के नाम काटे गए हैं. बिहार के सीईओ विनोद सिंह गुंजियाल ने शुक्रवार को राज्यस्तरीय बैठक में इस बात की जानकारी दी. इस बैठक में 9 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए . अब राजनीतिक दलों से 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावा और आपत्तियों को लिया जाएगा. कोई भी पात्र मतदाता, जिसका नाम सूची में नहीं है, वो अपना नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकता है.

चुनाव आयोग के मुताबिक, पंजीकृत मतदाताओं में से 91.69 फीसदी मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. राज्य में कुल 7.89 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 7.27 करोड़ से अधिक लोगों ने गणना फॉर्म को जमा कर दिया है.

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