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चमत्कार! ठाणे में अंतिम संस्कार से पहले जिंदा हो गया शख्स, खतरे में डॉक्टर की नौकरी

महाराष्ट्र के उल्हासनगर निवासी अभिमान गिरिधर तायडे के परिवार ने डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई, लेकिन यूएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि उचित जांच के बिना मरीज को मृत घोषित करने के फैसले को गंभीर लापरवाही माना. फिलहाल, डॉक्टर को विभागीय नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा गया है.

चमत्कार! ठाणे में अंतिम संस्कार से पहले जिंदा हो गया शख्स, खतरे में डॉक्टर की नौकरी
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( Image Source:  Twitter-Social )

Maharashtra Latest News: महाराष्ट्र के ठाणे इलाके से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. खबर यह है कि ठाणे के उल्हासनगर नगर निगम (यूएमसी) के अधीन संचालित शिवनेरी अस्पताल में एक बुजुर्ग व्यक्ति को उनके परिजन गंभीर हालत लेकर पहुंचे थे. अस्पताल के डॉक्टर ने ऑटो रिक्शा में जांच के बाद गलत तरीके से बुजुर्ग व्यक्ति को मरा हुआ घोषित कर दिया, लेकिन अंतिम संस्कार से पहले मरा हुआ शख्स जिंदा हो गया. यह मामला सुर्खियों में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप में डॉ. प्रभु आहूजा को नोटिस जारी किया गया है. साथ ही विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है.

क्या है मामला?

दरअसल, 64 वर्षीय अभिमान गिरधर तायडे कैंसर के मरीज थे. वह मधुमेह और पीलिया से भी पीड़ित थे. कई रिपोर्टों के अनुसार गुरुवार को उन्हें उल्हासनगर के शिवनेरी अस्पताल ले जाया गया. डॉ. आहूजा ने जल्दबाजी में तायडे को जिस रिक्शा में लाया गया था, उसमें जांच की और कुछ ही मिनटों में उन्हें मृत घोषित कर दिया.

इतना ही नहीं, डॉक्टर आहूजा ने जल्दी से मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया. तायडे के बेटे के मुताबिक डॉ. आहूजा द्वारा तायडे को मृत घोषित करने के बाद वे लोग उन्हें लेकर घर चले गए और उनके अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट गए. तभी उन्होंने देखा कि उनकी तायडे की सांसें तेज चल रही थी.

इसके बाद उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वह जीवित हैं और उनका उपचार शुरू किया गया. बाद में तायडे को होश आ गया. अब इस मामले की शिकायत मिलने के बाद उल्हासनगर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सोशल मीडिया पर घटना के तूल पकड़ने के बाद गलत तरीके से मौत की घोषणा करने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

हालांकि, अभिमान गिरिधर तायडे के परिवार ने शिकायत दर्ज नहीं कराई, लेकिन यूएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि उचित जांच के बिना मरीज को मृत घोषित करना बेहद गंभीर मामला है. इस बीच मरीज खतरे से बाहर है और डॉक्टरों की निगरानी में है.

डेथ सर्टिफिकेट क्यों किया जारी, नहीं दिया जवाब

डॉ. आहूजा ने दावा किया कि उन्होंने परिवार को तायडे को वेंटिलेटर सपोर्ट वाले अस्पताल में शिफ्ट करने की सलाह दी थी, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार वह यह नहीं बता पाए कि मरीज को मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों जारी किया गया? उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के तेज शोर के कारण वह नब्ज नहीं सुन पाए और उन्होंने माफी मांगी.

उन्होंने कहा, "मैंने देखा कि उसके मुंह से झाग निकल रहा था और सांस लेने की कोई आवाज नहीं आ रही थी। मैंने परिवार को सलाह दी कि वे कहीं और वेंटिलेटर सपोर्ट लें. बाद में वे वापस आए और मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा, जो मैंने जारी किया. इस बात से अनजान कि वह बच गया था."

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